उम्र बढ़ना तय है। और इस इसके साथ ही तय है इस बढ़ती उम्र के प्रभाव भी। हमारी स्वाद ग्रंथियां कमजोर हो जाती हैं। नजरें कमजोर हो जाती हैं। मांसपेशियां ढीली हो जाती हैं। चेहरे पर झुर्रियां उभर आती हैं। मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है। और साथ ही कई अन्य बीमारियां भी हमें घेर लेती हैं। इन मुश्किलों का आना जहां एक और तय माना जाता है, वहीं इनके आने का वक्त ऊपर-नीचे हो सकता है। हमारी जीवनशैली, माहौल और कुछ हद तक गुणसूत्र भी हमारी असली उम्र और उम्र के प्रभाव के अंतर को निर्धारित करते हैं।
जैसे-जैसे व्यक्ति की कालनुक्रमिक उम्र बढ़ती है, खुशियां भी बढ़ती हैं। इसकी बड़ी वजह यह है कि अपनी जवानी के दौर में हम अपने भविष्य को लेकर सोचते हैं। लेकिन, इस बुजुर्ग होकर हमारा ध्यान उन चीजों पर केंद्रित हो जाता है, जो हमारे लिए भावनात्मक रूप से ज्यादा मायने रखती हैं। इसके साथ ही हमें अपनी सेहत का भी खयाल रखना चाहिये। यदि हम अपनी समान उम्र के लोगों की अपेक्षा सेहत का कम खयाल रखते हैं, तो भले ही हमारी उम्र कुछ भी हो, हमारी उम्र वही हो जाएगी। बेशक, हम अपनी उम्र के बारे में क्या सोचते हैं और अपनी उस उम्र को लेकर हमारी उम्मीद क्या है, यह बात भी काफी मायने रखती है।
लंबा जीवन जीने के पीछे के असल वैज्ञानिक कारणों का सही प्रकार पता अभी नहीं लग पाया है। लेकिन, हम इतना तो जानते हैं कि वे लोग जो सामाजिक रूप से अधिक सक्रिय रहते हैं। जो लोग अपने आहार को लेकर सजग रहते हैं। जो लोग व्यायाम करते हैं। उनके लिए 70 की उम्र भी उतनी बुरी नहीं, जितनी अन्य लोगों के लिए हो सकती है। और अगर ज्यादा से ज्यादा लोग स्वस्थ सामाजिक रहन-सहन की ओर आकर्षित हो जाएं, तो शायद 70 की उम्र को लेकर बनी हमारी सोच में भी बड़े पैमाने पर बदलाव आ जाए।
भले ही आपकी उम्र कुछ भी हो, स्वस्थ जीवनशैली का अपना महत्त्व होता है। जीवनशैली का महत्त्व इसलिए ज्यादा होता है, क्योंकि इससे हमारी उम्र बढ़ने और उसका अहसास होने का अंतर पैदा होता है। यानी अगर हम स्वस्थ होंगे तो हमें अपनी उम्र का अहसास कम होगा। एक शोध में यह बात भी सामने आई है कि बड़ी आबादी में बीमारियों के लक्षण उनकी कालनुक्रमिक उम्र मायने नहीं रखती, बल्कि उनकी असली उम्र मायने रखती है।
असल में कालुनक्रमिक उम्र असल में हमारी जिंदगी की अहम घटनाओं का पैमाना बन जाती है। शादी से लेकर परिवार बढ़ाने तक यही उम्र हमारे लिए पैमाना होती है। लेकिन, धीरे-धीरे यह सोच बदल रही है। लेकिन, धीरे-धीरे बच्चे पैदा करने की उम्र बढ़ रही है। ऐसा शायद इसलिए भी है क्योंकि उम्र को लेकर हमारे नजरिये में भी बदलाव आ रहा है। न्यूयॉर्क टाइम्स के एक हालिया लेख में कहा गया कि अमेरिका में रिटायर्टमेंट की औसत उम्र 61 वर्ष है। आप मानें या न मानें यह एक दशक पहले की औसत उम्र से अधिक है। कुछ लोग अब 65 की उम्र से भी अधिक तक काम करते हैं। और वे अपनी रिटायरमेंट की प्लानिंग भी 66 वर्ष की उम्र के बाद से कर रहे हैं।
उम्र उस समय महज एक आंकड़ा होकर रह जाती है, जब आपमें रोमांच और कुछ नया करने का जज्बा कायम हो। जब आप अपने लिए हमेशा नयी चुनौतियां रखते हैं, तो ऐसा लगता है कि बढ़ती उम्र आपके लिए नयी कामयाबी और नये सपनों की ओर एक सोपान है। मेरे एक अंकल हैं। उम्र 93 बरस। लेकिन, जीने के उत्साह से परिपूर्ण। इस उम्र में भी फेसबुक पर अकाउंट बनाना चाहते हैं और देखना चाहते हैं कि आखिर यह दुनिया क्या कर रही है। चलने फिरने में कोई खास परेशानी नहीं। अपने आहार और व्यवहार को लेकर पूरी तरह सजग। तो, अगर आप इन छोटी-छोटी बातों का खयाल रखते हैं, तो बढ़ती उम्र में भी स्वयं को सक्रिय रख सकते हैं। और इन पैमानों पर आपकी उम्र आपकी वास्तविक उम्र से जरा कम नजर आ सकती है।
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