How Does Pregnancy Affect Cardiovascular System: प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। बता दें कि ये समस्याएं मॉर्निंग सिकनेस या प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाली अन्य आम समस्याओं तक ही सीमित नहीं होती है। आपको जानकर हैरानी हो सकती है कि प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाएं दिल से जुड़ी समस्याओं का सामना कर सकती हैं। जी हां, आज के इस आर्टिकल में हम डॉ. अंजू सूर्यपानी, वरिष्ठ सलाहकार - प्रसूति एवं स्त्री रोग, मेट्रो अस्पताल, नोएडा (Dr. Anju Suryapani, Sr. Consultant - Obstetrics & Gynaecology, Metro Hospital, Noida) से जानेंगे कि प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं की हृदय प्रणाली पर कैसा असर होता है और शरीर में अन्य कौन-सी समस्याएं हो सकती हैं? आइए इस सवाल का जवाब विस्तार से जानते हैं।
प्रेग्नेंसी के दौरान दिल पर कैसा होता है असर?- How is the Effect on the Heart During Pregnancy
डॉ. अंजू सूर्यपानी के मुताबिक, प्रेग्नेंसी केवल हार्मोनल और भावनात्मक बदलाव (Emotional Changes) नहीं लाती, बल्कि यह शरीर के कई महत्वपूर्ण अंगों पर भी असर डालती है। खासतौर पर हृदय (कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम) पर बुरा असर होता है। दरअसल, मां और गर्भ में पल रहे शिशु दोनों को पर्याप्त ऑक्सीजन और पोषण देने के लिए हार्ट और ब्लड वेसल्स को एक्स्ट्रा कार्य करना पड़ता है। आइए जानते हैं कि प्रेग्नेंसी के कारण दिल पर किन कारणों से असर होता है?
1. ब्लड की मात्रा में वृद्धि
प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में ब्लड की मात्रा में लगभग 40-50% की बढ़ोतरी होती है। ऐसे में मां के शरीर और भ्रूण को पर्याप्त ब्लड फ्लो सुनिश्चित करने के लिए हृदय को सामान्य से ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है।
2. कार्डिएक आउटपुट बढ़ना
प्रेग्नेंसी के दौरान कार्डिएक आउटपुट यानी प्रति मिनट पंप किया गया ब्लड भी लगभग 30-50% तक बढ़ जाता है। ऐसा हृदय गति (हार्ट रेट) और प्रत्येक धड़कन में पंप होने वाले ब्लड की मात्रा में वृद्धि की वजह से होता है।
3. तेज हृदय गति (Heart Rate)
प्रेग्नेंसी के दौरान हृदय की धड़कन सामान्य से 10-20 बीट प्रति मिनट तेज हो सकती है, ताकि मां और बच्चे दोनों को पर्याप्त ब्लड मिल सके। इस कारण भी दिल को मेहनत करनी पड़ती है।
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4. ब्लड प्रेशर में गिरावट
प्रारंभिक गर्भावस्था में हार्मोनल बदलाव के कारण ब्लड वेसल्स फैलती हैं, जिससे ब्लड प्रेशर थोड़ा कम हो सकता है। इसका असर चक्कर आना या थकावट महसूस करने के रूप में देखा जा सकता है। तीसरी तिमाही तक ब्लड प्रेशर सामान्य हो जाता है।
5. सूजन और वैरिकोज वेन्स का खतरा
बता दें कि बढ़ता हुआ गर्भाशय श्रोणि और पैरों की नसों पर दबाव डालता है, जिससे पैरों में सूजन, ऐंठन या वैरिकोज वेन्स हो सकती हैं।
6. हृदय संबंधी समस्याओं का जोखिम
बता दें कि महिलाएं अगर पहले से हृदय रोग या हाई ब्लड प्रेशर के जोखिम का सामना कर रही हैं, तो उनके लिए गर्भावस्था चुनौतीपूर्ण हो सकती है। गर्भावस्था में प्री-एक्लेम्पसिया, गर्भकालीन हाई ब्लड प्रेशर या दुर्लभ स्थिति पेरिपार्टम कार्डियोमायोपैथी विकसित हो सकती है।
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गर्भावस्था के दौरान हृदय प्रणाली में बदलाव सामान्य हैं और ज्यादातर महिलाएं इन्हें बिना किसी समस्या के पार कर लेती हैं। हालांकि, अगर किसी महिला को पहले से हृदय रोग हो या वह छाती में दर्द, ज्यादा थकान या सांस फूलने जैसी परेशानी महसूस करती है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है।
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