बच्चों के विकास और किशोरावस्था पर कैसे पड़ता है मेलाटोनिन का असर? डॉक्टर से जानें जरूरी बातें

मेलाटोनिन का प्रयोग नींद पैटर्न को सही करने के लिए किया जाता है। लेकिन लंबे समय तक इसका प्रयोग प्यूबर्टी के समय परेशानी उत्पन्न कर सकता है।  
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बच्चों के विकास और किशोरावस्था पर कैसे पड़ता है मेलाटोनिन का असर? डॉक्टर से जानें जरूरी बातें

हम जब सोना शुरू करते हैं तो हमारे शरीर में मेलाटोनिन नाम के हार्मोन रिलीज होने लगते हैं। यह हार्मोन शाम के समय अधिक बढ़ता जाता है और सुबह के समय कम होना शुरू हो जाता है। जब बच्चों को रात में कम नींद आती है या वह बहुत कम सोते हैं तो इसका अर्थ है उनके शरीर में मेलाटोनिन हार्मोन की कमी है। इसलिए डॉक्टर उन्हें मेलाटोनिन एक उपचार के रूप में दे देते हैं, ताकि उनका स्लीपिंग पैटर्न सही रह सके। लेकिन ज्यादा मेलाटोनिन का बच्चों पर प्रयोग करने से उन्हें प्यूबर्टी के समय काफी दिक्कतें आ सकती हैं। अपोलो क्रैडल रोयॉल, सीनियर गायनोकोलॉजिस्ट डॉ गीता चंदा के मुताबिक वैसे तो मेलाटोनिन बच्चों के लिए सुरक्षित और अप्रूव है। लेकिन अगर इसका प्रयोग बच्चों के लिए लंबे समय तक किया जाता है तो बच्चों में किशोरावस्था आने में बाकी बच्चों के मुकाबले थोड़ा अधिक समय लग सकता है। हालांकि इस बात को साबित करने के लिए ठोस प्रमाण तो नहीं हैं, लेकिन फिर भी आपको अपने बच्चे को लेकर इतना बड़ा रिस्क नहीं लेना चाहिए। इसलिए अगर आप चाहते हैं कि बच्चे में प्यूबर्टी के लक्षण समय से आएं तो मेलाटोनिन के प्रयोग से बचें। 

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केवल कुछ ही स्थितियों में किया जाता है मेलाटोनिन का अधिक प्रयोग

मेलाटोनिन का प्रयोग स्वस्थ बच्चों के लिए अधिक समय तक नहीं किया जाना चाहिए। जिन बच्चों को ऑटिज्म होता है या जिन्हें ADHD जैसी स्थितियां होती हैं उन्हें रात में सो पाने में काफी कठिनाई महसूस होती है। जिसके कारण उनके अगले दिन के सारे काम प्रभावित हो जाते हैं। ऐसे बच्चों को डॉक्टर की सलाह पर मेलाटोनिन दिया जा सकता है। ऐसे बच्चों में प्यूबर्टी पर भी असर नहीं होता। इसलिए जब तक बच्चा ढंग से सोने का आदी नहीं हो जाता है तब तक आप उसे मेलाटोनिन दे सकते हैं।

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शुरू में ही मेलाटोनिन का प्रयोग नहीं करना चाहिए

अगर आपको लग रहा है कि आपके बच्चे को ढंग से नींद नहीं आ रही है या वह इनसोम्निया जैसे स्लीपिंग डिसऑर्डर से जूझ रहे हैं, तो शुरू में ही मेलाटोनिन न दें। बल्कि उनके लाइफस्टाइल और रूटीन में बदलाव करके देखें। शुरू में यह देखें कि वह दिन में कितने सो रहे हैं। इसके अलावा रात में उन्हें हैवी मील या फिर इलेक्ट्रॉनिक आइटम का प्रयोग न करने दें। अगर इसके अलावा भी उन्हें सोने में तकलीफ हो रही है तो डॉक्टर के पास लेकर जाएं और उनसे सलाह लें और उनकी सलाह लेने के बाद ही मेलाटोनिन बच्चों को दे।

तो क्या बच्चों को मेलाटोनिन देना चाहिए या नहीं? 

तो आप के मन में भी इस समय यह दुविधा जरूर आ रही होगी कि आपको मेलाटोनिन अपने बच्चों को देना चाहिए या नहीं। अगर बच्चा कुछ समय के लिए किसी ट्रॉमा या किसी ऐसी स्थिति से गुजर रहा है जो उसकी नींद को प्रभावित कर रही है, तो आप उन्हें मेलाटोनिन दे सकते हैं। वैसे भी अगर वह रात में कुछ समय नहीं सोएंगे तो उनसे उन्हें सिर दर्द हो सकता है। तब काफी सारी शारीरिक स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए कुछ समय के लिए मेलाटोनिन देना सुरक्षित होता है और इसके कोई साइड इफेक्ट्स भी नहीं देखने को मिलते हैं।

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मेलाटोनिन के साइड इफेक्ट को साबित करने के लिए कोई स्टडीज नहीं हुई हैं। लेकिन आपको फिर भी बच्चों की सेहत और आगे आने वाली जिंदगी को लेकर कोई रिस्क नहीं लेना चाहिए। इसका लंबे समय तक प्रयोग से परहेज करना चाहिए।

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