अगर आप हाल ही में माता-पिता बने हैं तो बच्चे के जन्म का पहला साल आपके लिए कठिन हो सकता है। इस दौरान आपको कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, जो लोग पहली बार माता-पिता बने हैं उनके लिए ये समय ज्यादा चुनौती भरा हो सकता है। आपको कही सुनी बातों पर यकीन करके बच्चे पर घरेलू नुस्खे नहीं आजमाने हैं इससे बच्चे की तबीयत बिगड़ सकती है, किसी भी नुस्खे को अपनाने से पहले बाल रोग विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें। डॉक्टर की सलाह के बिना बच्चे की स्किन या शरीर पर कोई नुस्खा न आजमाएं। इस लेख में हम आपको बच्चे के जन्म के एक साल में नजर आने वाली 5 समस्याओं के बारे में बताएंगे ताकि आप उन्हें जानकर उनका हल तैयार रखें। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने लखनऊ के डफरिन अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ सलमान खान से बात की।
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1. डायरिया (Diarrhoea)
डायरिया एक कॉमन समस्या है जो बच्चे के जन्म के पहले साल में ज्यादातर देखने को मिल सकती है। अगर बच्चे को डायरिया की समस्या हुई है तो आप उसे सैलिन और पानी देकर हाइड्रेटेड रखें। आप इस बात पर भी गौर करें कि बच्चे के स्टूल का रंग क्या है, अगर रंग में बदलाव नजर आए तो डॉक्टर से संपर्क करें। अगर डायरिया की समस्या 3 दिन से ज्यादा रहे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
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2. रेस्पिरेटरी समस्याएं (Respiratory problems in infants)
बच्चे को जन्म के एक साल के दौरान रेस्पिरेटरी समस्याएं जैसे सांस लेने में तकलीफ हो सकती है, नैज़ल ब्लॉकेज के कारण ऐसा होता है। बच्चे को ऐसी समस्या हो तो डॉक्टर को तुरंत दिखाएं। साथ ही अगर बच्चे को खांसी आ रही हो तो भी उसके लंग्स या डाइजेस्टिव सिस्टम से जुड़ी कोई समस्या हो सकती है, इस कंडीशन में भी आपको डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
3. बुखार और सर्दी (Fever and cold)
बुखार और सर्दी की समस्या बच्चों को जरूर होती है। बच्चों की इम्यूनिटी कमजोर होती है जिसके कारण वो बुखार, सर्दी या फ्लू के संपर्क में आ जाते हैं। फ्लू के चलते निमोनिया होने की आशंका भी रहती है इसलिए बच्चे के तापमान में बदलाव नजर आने पर डॉक्टर से संपर्क करें। इसके साथ ही अगर बच्चे को 101 या उससे ज्यादा बुखार है तो दिमाग को गहरा नुकसान हो सकता है इसलिए जरूरत पड़ने पर डॉक्टर से सलाह लेते रहें।
4. शिशु का अचानक से रोना
जन्म के एक साल तक आपको ये परेशानी हर दिन देखने को मिल सकती है क्योंकि इस दौरान शिशु अपनी परेशानी को समझाने के लिए रोने लगते हैं, बच्चे के रोने पर डायपर या नैपी चेक करें, अगर नैपी ड्राय है तो हो सकता है बच्चे को भूख लगी हो। बच्चे का पेट भरा है तो पेट में गैस की समस्या या डकार न आने के कारण भी बच्चे रोते हैं। ऐसे में आप बच्चे को कंधे पर लेकर उसकी पीठ सहलाएं और कुछ देर वॉक करें ताकि बच्चे के पेट में फंसी गैस या डकार निकल जाए और वो सो सके, अगर इसके बावजूद भी बच्चा सामान्य महसूस नहीं कर रहा हो तो कोई अन्य कारण भी हो सकता है उसे तुरंत डॉक्टर के पास लेकर जाएं।
5. उल्टी आना (Vomiting)
कभी-कभी बच्चे दूध पीते-पीते थोड़ा दूध मुंह के बाहर निकाल देते हैं इसे माता-पिता उल्टी करना समझ लेते हैं पर ऐसा नहीं है। जब शिशु का पेट भर जाता है तो वो दूध को मुंह के बाहर निकाल सकता है। अगर दूध बाहर निकालते समय आपको हरा पदार्थ निकलता दिखे तो परेशानी गंभीर हो सकती है, इस स्थिति में आप बच्चे को डॉक्टर को दिखाएं। बच्चे को डिहाइड्रेशन की समस्या बहुत जल्दी हो जाती है इसलिए बच्चे की बॉडी को हाइड्रेट रखें समय-समय पर उसे स्तनपान करवाते रहें।
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शिशु को शारीरिक समस्याओं से कैसे बचाएं? (How to prevent physical problems in infants)
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- बच्चे को जन्म के बाद सभी जरूरी टीके लगवाएं।
- बच्चे के आसपास के वातावरण में सफाई का खास ख्याल रखें।
- बच्चे को धूल-मिट्टी या पालतू जानवरों से दूर रखें।
- बच्चे को समय पर सुलाएं और उसे पर्याप्त नींद लेने दें।
- शिशु को बीमारियों से बचाने के लिए स्तनपान जरूरी है, इसे नजरअंदाज न करें।
बच्चे के जन्म के शुरूआती पहले साल में आपको कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, इस दौरान डॉक्टर के संपर्क में रहें और ऐसे लोगों से जानकारी लें जिनके बच्चे आपके बच्चे से उम्र में कुछ साल बड़े हैं, ऐसे पैरेंट्स आपको सही जानकारी दे सकते हैं।
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