कोविड से ठीक होने के बाद हो रही हैं साइकोलॉजी और न्यूरो से जुड़ी कई समस्याएं, डॉक्टर से जानें इनके बारे में

हम सभी जानते हैं कि कोरोना वायरस फेफड़ों को प्रभावित करता है। लेकिन एक अध्ययन में सामने आया है कि कोरोना वायरस साइकोलॉजिकल और न्यूरो से जु़ड़ी कई समस्याओं का भी कारण बन सकता है। 
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कोविड से ठीक होने के बाद हो रही हैं साइकोलॉजी और न्यूरो से जुड़ी कई समस्याएं, डॉक्टर से जानें इनके बारे में

कोरोना वायरस का पहला प्रभाव फेफड़ों या श्वसनतंत्र पर पड़ता है। (The First Effect of Corona Virus is on the Lungs or Respiratory System) लेकिन इसके बाद यह शरीर के कई दूसरे अंगों को भी अपनी चपेट में ले लेता है। कोरोना वायरस साइकोलॉजिकल (Psychological) और न्यूरो (Neuro) से जुड़ी कई बीमारियों का भी कारण बन सकता है। अकसर कोरोना से ठीक होने के बाद लोगों को एंग्जायटी (Anxiety) और मूड स्विंग (Mood Swings) से साथ ही कई न्यूरो संबंधी समस्याएं भी हो रही हैं। पोस्ट कोविड में व्यक्ति को गुलियन बेरी सिंड्रोम (Guillain Barre Syndrome), एंग्जायटी (Anxiety), मूड स्विंग (Mood Swings), खून के थक्के बनना (Blood Clots), लकवा और मस्तिष्क विकृति जैसी परेशानियां हो रही हैं। एचसीएमसीटी मणिपाल हॉस्पिटल की कंसल्टेंट न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर खुशी गोयल बताती हैं कि कोरोना वायरस से ठीक होने के बाद कई ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, जो न्यूरो संबंधी बीमारियों का कारण बन रहे हैं। कोरोना संक्रमण से ठीक होने के बाद अगर आप में नसों में सुन्नपन्न और भूलने की बीमारी जैसे लक्षण दिखाई दें, तो समझ जाए कि कोरोना वायरस आपके ब्रेन और तंत्रिका तंत्र को प्रभावित कर रहा है। इसके साथ ही कोरोना वायरस साइकोलॉजिकल डिसऑर्डर का कारण भी बन सकता है। एचसीएमसीटी मणिपाल हॉस्पिटल की क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉक्टर रूचि शर्मा बताती हैं कि पोस्ट कोविड में मूड स्विंग और कमजोरी महसूस होना कई साइकोलॉजिकल समस्याओं का कारण बन सकता है। इनके बारे में जानें डॉक्टर खुशी गोयल और डॉक्टर रूचि शर्मा से-  

मदनग्

पूरी दुनिया पिछले एक साल से ज्यादा समय से कोरोना वायरस से लड़ रही हैं। कुछ नए अध्ययनों से पता चला है कि कुछ मामलों में कोविड-19 केवल फेफड़ों को ही सबसे अधिक प्रभावित करता है। लेकिन कुछ मामलों में कोरोना वायरस ने व्यक्ति के दिमाग (Mind) और नर्वस सिस्टम (Nervous System) को भी प्रभावित किया है, जिससे मरीज को कई गंभीर बीमारियां होनी शुरू हो जाती है। ऑक्सफोर्ड के एक अध्ययन से पता चला है कि कोरोना वायरस ठीक हुए लोगों में मानसिक और न्यूरोलॉजिकल समस्याएं भी पैदा कर सकता है। कोरोना वायरस रोगियों के दिमाग और तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करके कई बीमारियों को जन्म दे सकता है। कोरोना वायरस वाले लोगों में चिंता और मनोदशा संबंधी विकार सबसे सामान्य है।

इन बीमारियों से भी हो रहे हैं पीड़ित (Suffering from These Diseases)

कोरोना वायरस सिर्फ फेफड़ों या श्वसन तंत्र को ही प्रभावित नहीं करता है बल्कि यह साइकोलॉजिकल और न्यूरोलॉकिजल समस्याओं का भी कारण बन सकता है। यह केवल सांस संबंधी बीमारियों को ही जन्म नहीं देता, इसके अलावा यह कई और दूसरी बीमारियों को भी जन्म दे सकता है। 

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मस्तिष्क विकृति (Encephalopathy)

कोरोना से ठीक होने के बाद मस्तिष्क विकृति (Encephalopathy)  की समस्या सामने आ रही है। यह एक असमंजस की स्थिति है, जिसमें मनोविकृति (Psychosis) और याद्दाश्त (Memory) कमजोर की संभावना होती है।

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इन्सेफेलाइटिस (Encephalitis)

पोस्ट कोविड (Post Covid) में इन्सेफेलाइटिस (Encephalitis) की समस्या भी बेहद सामान्य हो गई है। कोरोना से ठीक होने के बाद कई लोग इससे पीड़ित है। इसमें दिमाग में सूजन (Inflammation) हो जाती है। 

खून के थक्के (Blood Clots)

दिमाग में खून के थक्के जमना (Blood Clots) भी एक गंभीर समस्या है, जो पोस्ट कोविड में देखने को मिलता है। यह समस्या स्ट्रोक (Stroke) का जन्म दे सकता है। कोरोना से ठीक होने के बाद कई लोगों में स्ट्रोक की समस्या देखने को मिल रही है। 

गुलियन बेरी सिंड्रोम (Guillain Barre Syndrome)

एक दुर्लभ विकार, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune) नसों पर हमला करती है। यह कमजोरी (Weakness), सुन्नता (numbness), झुनझुनी (tingling) और पेरालाइसिस (paralysis) का कारण बन सकता है।

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एंग्जायटी (Anxiety)

कोरोना से ठीक होने के बाद साइकोलॉजिकल समस्याएं होना भी बेहद सामान्य है। इसमें व्यक्ति को एंग्जायटी की समस्या सबसे ज्यादा देखने को मिलती है। इसके साथ ही मूड स्विंग होना भी पोस्ट कोविड में सामान्य है। 

ये बीमारियां भी हैं सामान्य (These Diseases Are Also Normal)  

  • - स्ट्रोक (Stroke)
  • - डिमेंशिया (Dementia)
  • - पार्किंसंस (Parkinson’s)
  • - ब्रेन हैमरेज (Brain Haemorrhage)
  • - मूड डिसऑर्डर (Mood Disorder)
  • - एंग्जायटी डिसऑर्डर (Anxiety Disorder)

क्या कहते हैं अध्ययन (What Study Says)

अध्ययन में बताया गया है कि कोरोना से ठीक होने के 6 महीने बाद तक 33% मरीजों में न्यूरोलॉजिकल और साइकोलॉजी समस्याएं देखने को मिलती है। कोविड-19 रोगियों में श्वसन संबंधी अन्य संक्रमण वाले लोगों की तुलना में मनोवैज्ञानिक या न्यूरोलॉजिकल विकार विकसित होने की संभावना 16 प्रतिशत अधिक होती है। कोरोना से ठीक होने के बाद 2 % लोग स्ट्रोक, 0.7% लोग डिमेंशिया, 14 % मूड डिसऑर्डर, 5% अनिद्रा, 0.6 % ब्रेन हैमरेज, 2.1% इस्केमिक स्ट्रोक, 17% एंग्जायटी डिसऑर्डर से पीड़ित हो रहे हैं। इसके साथ ही 24% लोग मनोदशा, चिंता और मनोविकृति से पीड़ित हो रहे हैं।

कौन हो रहा है इनसे प्रभावित (Who is Affected by These)

वैसे तो ये समस्याएं किसी को भी हो सकती है, लेकिन ज्यादातर बुजुर्ग इनसे प्रभावित हो रहे हैं। इसके अलावा जिन लोगों का पहले से ही हार्ट या न्यूरो से संबंधी बीमारियां का इलाज चल रहा है, वे भी इन समस्याओं से प्रभावित हो सकते हैं। साथ ही एलर्जी, अस्थमा, टीबी और श्वसन तंत्र से संबंधी अन्य बीमारियां होने पर भी शरीर पर इनका असर दिख सकता है। कोरोना वायरस के दौरान जिन लोगों का इलाज आईसीयू या वेंटिलेटर पर हुआ था, उनमें भी ये समस्याएं दिखी जा रही हैं। 

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क्यों हो रही हैं ये समस्याएं (Why Are These Problems Happening)

अकसर कोरोना संक्रमण होने के दौरान मरीजों के मस्तिष्क को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाता है, जिसकी वजह से मस्तिष्क में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है और मस्तिष्क इनसे प्रभावित होता है। इस स्थिति को हाईपोक्सिक ब्रेन इंजरी कहा जाता है। जिसमें न्यूरो और साइकोलॉजिकल से जुड़ी समस्याएं पैदा होती हैं। इसमें मरीज को स्ट्रोक, डिमेंशिया, पार्किंसंस, ब्रेन हैमरेज, मूड डिसऑर्डर और एंग्जायटी डिसऑर्डर जैसी समस्याएं हो रही हैं। इसके अलावा कोरोना संक्रमण से ठीक होने के बाद भी मरीज में सिरदर्द, सूंघने की क्षमता में कमी और कमजोरी जैसे लक्षण दिखाई दे रहे हैं।

अगर आपको भी कोरोना से ठीक होने के बाद न्यूरो संबंधी किसी तरह की कोई समस्या हो तो इसे नजरअंदाज न करें। थोड़े से भी लक्षण दिखने पर डॉक्टर से सलाह लें। इससे स्थिति को प्रारंभिक अवस्था में ही सुधार लिया जाएगा और इलाज में लंबा समय नहीं लगेगा। 

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