बदलते रहते हैं लक्षण इसलिए आसान नहीं है ल्‍यूपस का निदान

ल्‍यूपस के निदान के लिए कोई एक विशेष जांच नहीं होती। इसके लिए डॉक्‍टर को कई जांच करनी पड़ती है। उसके बाद ही वह‍ किसी निष्‍कर्ष पर पहुंच सकता है।
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बदलते रहते हैं लक्षण इसलिए आसान नहीं है ल्‍यूपस का निदान

ल्‍यूपस ऑटोइम्‍यून (स्व-प्रतिरक्षित) रोग है, जिसमें शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक सक्रिय होकर स्‍वस्‍थ उत्तकों पर हमला कर देती है। इससे शरीर में सूजन, टिशू और जोड़ों में दर्द, त्वचा, गुर्दा, तंत्रिका (मस्तिष्क, स्पाइनल कॉर्ड और तंत्रिकाओं)  रक्त, हृदय, फेफड़े, पाचन तंत्र और आंखों में नुकसान हो सकता है ।  

कैसे करें ल्‍यूपस का निदान ल्‍यूपस का निदान जरा मुश्किल है, क्‍योंकि हर व्‍यक्ति में इसके लक्षण अलग प्रकार से नजर आते हैं। समय के साथ इसके लक्षणों में बदलाव आता रहता है। और कई बार इसके लक्षण अन्‍य कई बीमारियों के सा‍थ मिल भी जाते हैं। सिर्फ एक टेस्‍ट से ल्‍यूपस का निदान नहीं किया जा सकता। रक्‍त और यू‍रीन दोनों की मिश्रित जांच, लक्षण और इशारे तथा शारीरिक जांच के निष्‍कर्षों के बाद ही ल्‍यूपस का निदान किया जा सकता है।

प्रयोगशाला के टेस्‍ट

 

ब्‍लड काउंट

इस जांच में लाल रक्‍त व श्‍वेत रक्‍त कोशिकाओं और प्‍लेटलेट्स की जांच की जाती है। इसके साथ ही रक्‍त में हीमोग्‍लोबिन के स्‍तर को भी जांचा जाता है। संभव है कि इस जांच के परिणाम में यह बात सामने आए कि आपको एनीमिया की शिकायत है। जो ल्‍यूपस में होना सामान्‍य बात है। इसके साथ ही ल्‍यूपस में श्‍वेत रक्‍त कोशिकाओं और प्‍लेट्लेट्स की संख्‍या में कमी भी हो सकती है।

 

एरिथ्रोसाइट सेडिमेंटेशन रेट

यह रक्‍त जांच इस बात की पुष्टि करती है कि लाल रक्‍त कोशिकाएं एक घंटे के अंदर किस गति से नीचे जा रही हैं। सामान्‍य दर से अधिक गति से लाल रक्‍त कोशिकाओं का नीचे जाना किसी प्रणालीगत रोग, जैसे ल्‍यूपस की ओर इशारा करता है। सेडिमेंटेशन यानी अवसादन अथवा नीचे जाना किसी भी रोग के लिए विशिष्‍ट नहीं होती। लेकिन आपको ल्‍यूपस या अन्‍य उत्तेजक रोग, जैसे कैंसर या संक्रमण जैसी बीमारी है, तो यह गति अधिक हो सकती है।

गुर्दे और यकृत की जांच

रक्‍त जांच में इस बात का पता लगाया जा सकता है कि आपके गुर्दे और यकृत कितनी अच्‍छी तरह काम कर रहे हैं। ल्‍यूपस का असर इन अंगों पर पड़ सकता है।

 

मूत्र की जांच

आपके मूत्र की जांच से इस बात का पता चल सकता है कि कहीं उसमें प्रोटीन अथवा लाल रक्‍त कोशिकाओं की मात्रा अधिक तो नहीं हो गई। ऐसा उन परिस्थितियों में हो सकता है, जब ल्‍यूपस आपकी किडनी को प्रभावित कर चुका हो।

 

एंटीन्‍यूक्‍लीयर एंटीबॉडी (एएनए) टेस्‍ट

यह एक ऐसा टेस्‍ट है जो इस बात की जांच करता है कि कहीं शरीर की रोग प्रतिरक्षा प्रणाली अधिक उत्तेजित तो नहीं है। यह एंटीबॉडीज का पता लगाए जाने के लिए की जाने वाली जांच है। यह एंटीबॉडी शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा बनायी जाती हैं। इनकी मौजूदगी इस बात का संकेत है कि प्रतिरक्षा प्रणाली अधिक उत्‍तेजित है। एक ओर जहां ल्‍यूपस के शिकार अधिकतर लोगों की एएनए जांच सकारात्‍मक आती है, वहीं अधिकतर लोग जिनकी एएनए जांच सकारात्‍मक आती है, उन्‍हें ल्‍यूपस नहीं होता। अगर आपकी एएनए जांच सकारात्‍मक आयी है, तो डॉक्‍टर आपको अन्‍य विशिष्‍ट एंटीबॉडी टेस्‍ट कराने की सलाह दे सकता है।

 

इमेजिंग टेस्‍ट

अगर आपके डॉक्‍टर को इस बात का अहसास हो कि ल्‍यूपस आपके दिल अथवा फेफड़ों को प्रभावित कर रहा है, तो वह आपको इन बातों की सलाह दे सकता है-

छाती का एक्‍स-रे

छाती का एक्‍स-रे करवाने से इस बात से पर्दा हट सकता है कि कहीं आपके फेफड़ों में किसी प्रकार का तरल पदार्थ अथवा सूजन तो नहीं है।

इकोकार्डियोग्राम

इस जांच में स्‍वर तरंगों द्वारा आपके दिल की धड़कनों की वास्‍तविकत समय की छवि प्राप्‍त की जाती है। यह जांच हृदय वॉल्‍व और हृदय के अन्‍य हिस्‍सों की समस्‍याओं का पता लगा सकती है।

बॉयोप्‍सी

ल्‍यूपस आपकी किडनी को कई प्रकार से नुकसान पहुंचा सकता है। और इसी नुकसान के आधार पर ही इसका इलाज तय होता है। कुछ मामलों में, किडनी के एक छोटे से टिशू की जांच करना जरूरी हो जाता है। इसके बिना यह पता नहीं लगाया जा सकना मुश्किल हो जाता है कि आखिर आपको किस प्रकार के इलाज की जरूरत है। यह सेम्‍पल शरीर में एक छोटी सी सुई को प्रवेश करा लिया जा सकता है।

इनके निदानों के माध्‍यम से डॉक्‍टर इस बात की पुष्टि करता है कि अमुक व्‍यक्ति को ल्‍यूपस है अथवा नहीं। इसके बाद ही उसके इलाज की ओर जरूरी कदम उठाए जा सकते हैं।

 

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