How Can Nutrition Affect Eye Health in Hindi: न्यूट्रिएंट्स को हिंदी भाषा में पोषक-तत्व कहा जाता है। ये न्यूट्रिएंट्स शरीर के साथ-साथ आंखों के लिए भी फायदेमंद होते हैं। कई न्यूट्रिएंट्स आंखों की सही फंक्शनिंग में मदद करते हैं और आंखों को हानिकारक रोशनी से सुरक्षा देते हैं। इसके अलावा, पोषक तत्व उम्र से जुड़ी अपक्षयी नेत्र संबंधी बीमारियों (Age-Related Degenerative Eye Diseases) के जोखिम को कम कर सकते हैं। बता दें कि आंखों से जुड़ी बीमारियों का विकास कई जोखिम कारकों पर निर्भर करता है। आप जो चीजें खाते हैं, वे भी इसमें योगदान दे सकते हैं। आइए डॉ. अदिति सिंह, वरिष्ठ नेत्र चिकित्सक से जानते हैं कि आंखों की सेहत के लिए पोषक-तत्व जरूरी क्यों होते हैं और कौन-से न्यूट्रिएंट्स को आंखों की किन समस्याओं से जोड़कर देखा जाता है।
कौन-से न्यूट्रिएंट्स की कमी आंखों के लिए है नुकसानदायक?- Which Nutrients Deficiency is Harmful for Eyes
विटामिन-ए की कमी- Vitamin-A Deficiency
विटामिन-ए आंखों के फोटोरिसेप्टर- प्रकाश संवेदी कोशिकाओं (Photoreceptors of the Eyes - Light-Sensing Cells) को बनाए रखने के लिए आवश्यक है। इस विटामिन की कमी होने पर व्यक्ति को रतौंधी (Night Blindness), सूखी आंखें (Dry Eyes) या अन्य गंभीर आंखों की समस्याएं विकसित हो सकती हैं। बता दें कि विटामिन-ए की कमी अंधेपन के सबसे आम कारणों में से एक है।
विटामिन-ए की कमी का सबसे ज्यादा जोखिम किन लोगों में पाया जाता है:
- गर्भवती महिलाएं
- ब्रेस्टफीड कराने वाली माताएं
- शिशु
- बच्चे
- सिस्टिक फाइब्रोसिस
- क्रोनिक डायरिया
इन समस्याओं से ग्रस्त लोगों में विटामिन-ए की मात्रा कम होती है। इससे ऊपर बताई आंखों की समस्याएं होने का खतरा बढ़ सकता है।
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ल्यूटिन और जेक्सैंथिन- Lutein and Zeaxanthin
बता दें कि ल्यूटिन और जेक्सैंथिन शक्तिशाली एंटी-ऑक्सीडेंट्स होते हैं। इससे कई स्वास्थ्य लाभ मिल सकते हैं। इन्हीं में से एक लाभ आंखों की सुरक्षा भी है। ल्यूटिन और जेक्सैन्थिन पीले कैरोटीनॉयड एंटी-ऑक्सीडेंट हैं, जिन्हें मैक्यूलर पिगमेंट (Macular Pigments) के रूप में जाना जाता है, क्योंकि वे मैक्युला (Macula) में उच्च सांद्रता (High Concentrations) में पाए जाते हैं। वे आपकी आंखों को सूरज की यूवी किरणों और हानिकारक नीली रोशनी से बचाते हैं। कई स्टडी से पता चला है कि ये पोषक तत्व उम्र से संबंधित मैकुलर डिजनरेशन (एएमडी), मोतियाबिंद, डायबिटिक रेटिनोपैथी और यूवाइटिस जैसी क्रोनिक आंखों की बीमारियों के जोखिम को कम कर सकते हैं।
विटामिन-सी- Vitamin-C
बता दें कि विटामिन-सी (एस्कॉर्बिक एसिड) एक एंटी-ऑक्सीडेंट है, जो आंखों के वॉटरी फ्लूइड में ज्यादा केंद्रित होता है। यह सीधे आहार सेवन से जुड़ा होता है। ऐसे में विटामिन-सी का सेवन बढ़ाकर आप अपनी आंखों का ख्याल रख सकते हैं। विटामिन-सी मोतियाबिंद के खतरे को कम करता है। बता दें कि जब विटामिन-सी का सेवन अन्य आवश्यक पोषक-तत्वों के साथ किया जाता है, तो यह एएमडी और दृष्टि हानि को बढ़ने से रोकता है।
विटामिन-ई- Vitamin-E
विटामिन-ई फैट में घुलनशील एंटी-ऑक्सीडेंट होता है। यह आंखों में फैटी एसिड को फ्री रेडिकल्स या अस्थिर अणुओं (Unstable Molecules) से बचाता है, जो स्वस्थ टिशूज के खराब होने का कारण बनते हैं। बता दें कि रेटिना में फैटी एसिड की उच्च सांद्रता (High Concentration) होती है। यही वजह है कि आंखों के स्वास्थ्य के लिए पर्याप्त विटामिन-ई का सेवन जरूरी हो जाता है।
जिंक- Zinc
जिंक एक आवश्यक खनिज है, जो रेटिना के नीचे संवहनी ऊतक परत (कोरॉइड) में ज्यादा केंद्रित होता है। जिंक की प्राथमिक भूमिका लिवर से विटामिन-ए को रेटिना तक लाना है, ताकि मेलेनिन प्रोडक्शन को बढ़ाया जा सके। यह आंख में मौजूद एक पिग्मेंट है, जो हमारी आंखों को हानिकारक प्रकाश, जैसे कि सूर्य की यूवी किरणों से बचाने के लिए एक फिल्टर के रूप में काम करता है। बता दें कि जिंक की कमी से रतौंधी की समस्या हो सकती है।
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कुल मिलाकर, अगर आप ऊपर बताए इन सभी पोषक-तत्वों को अपनी डाइट में सही मात्रा के अंदर शामिल करते हैं, तो आंखों की सेहत को फायदा हो सकता है। हालांकि, आपको डाइट में कोई भी बदलाव करने से पहले अनुभवी डॉक्टर या एक्सपर्ट से सलाह जरूर लेनी चाहिए।