Homemade Ayurvedic Potli in Hindi: आज के समय में माइग्रेन और साइनस की समस्या बहुत ज्यादा आम हो गई है। बच्चों से लेकर बड़े कई व्यक्ति माइग्रेन और साइनस की समस्या से परेशान रहते हैं। खासकर मौसम में बदलाव के दौरान, तानव बढ़ने, बहुत ज्यादा स्क्रीन टाइम और खराब लाइफस्टाइल के कारण भी माइग्रेन की समस्या बढ़ती है। लेकिन, इन समस्याओं से राहत पाने के लिए बार-बार दवाओं का सेवन करना भी आपके सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। लेकिन, एक बार माइग्रेन का दर्द होने या साइनस बढ़ने के बाद सिर में तेज दर्द, आंखों में भारीपन, नाक बंद और अन्य समस्याएं होने लगती है, जिससे राहत पाने के लिए लोगों को दवाई का सेवन करना ही पड़ता है। लेकिन, अगर आप दवाओं का सेवन करने से बचना चाहते हैं तो माइग्रेन के दर्द से राहत पाने या साइनस की समस्या से छुटकारा पाने के लिए आयुर्वेदिक पोटली थेरेपी को ट्राई कर सकते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं मेवाड़ विश्वविद्यालय में प्रोफेसर एवं प्राकृतिक चिकित्सालय बापू नगर, जयपुर की वरिष्ठ चिकित्सक योग, प्राकृतिक चिकित्सा पोषण और आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. किरण गुप्ता से कि नेचुरल तरीके से माइग्रेन और साइनस से राहत पाने के लिए घर पर आयुर्वेदिक पोटली कैसे बनाएं?
आयुर्वेदिक पोटली बनाने का तरीका - How To Make Ayurvedic Potli in Hindi?
पोटली बनाने के लिए सामग्री
- अजवाइन– 2 बड़े चम्मच
- लौंग– 4-5 टुकड़े
- तुलसी की सूखी पत्तियां– 1 बड़ा चम्मच
- सेंधा नमक– 1 बड़ा चम्मच
- सौंठ– 1 बड़ा चम्मच
- साफ सूती कपड़ा या मलमल का कपड़ा– 1 टुकड़ा
पोटली बनाने की विधि
इन सभी सूखी सामग्रियों को एक कटोरी में लेकर मिला लें। अब इसे एक सूती कपड़े के बीच में रखें। कपड़े के चारों कोनों को इकट्ठा करके एक पोटली बनाएं और ऊपर से धागे से बांद दें, ताकि वह अच्छे से बंध जाए और सामग्री बाहर न निकल पाए। बस आपकी पोटली तैयार है। अब एक लोहे का तवा या कड़ाही को धीमी आंच पर गर्म कर लें। इसके बाद तैयार पोटली को इस पर 10 से 15 सेकेंड के लिए रखें, ताकि यह हल्का गर्म हो जाए। ध्यान रहे आपको इसे ज्यादा गर्म करने से बचना है। फिर आप इसे बंद आंखों, माथे, कनपटी, नाक के आसपास और गालों पर धीरे-धीरे थपथपाते हुए घुमाएं। दिन में 2 से 3 बार इस पोटली का इस्तेमाल आपके माइग्रेन और साइनस के लक्षणों को कम कर सकता है।
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टॉप स्टोरीज़
माइग्रेन और साइनस के लिए आयुर्वेदिक पोटली के फायदे - Benefits Of Ayurvedic Potli For Migraine And Sinus in Hindi
- अजवाइन की तासीर गर्म होती है और इसमें वातहर (वात दोष को संतुलित करने) गुण होते हैं, जो नाक खोलने, सिरदर्द कम करने और ब्लॉकेज हटाने में फायदेमंद होता है।
- लौंग में यूजेनॉल नाम का तत्व होता है, जो साइनस और माइग्रेन की समस्या से राहत दिलाने में मदद करता है। यह सूजन और दर्द को कम करता है। इसकी तेज खुशबू दिमाग को शांत करती है, जिससे माइग्रेन का दर्द कम होता है।
- तुलसी नेचुरल एंटीबायोटिक और एंटी-वायरल गुणों से भरपूर होती है, जो सांस की नली को खोलती है और साइनस की समस्या को शांत करने में मदद करती है।
- पोटली में सेंधा नमक का उपयोग आपके शरीर से टॉक्सिक पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करते हैं और शरीर में गर्मी बढ़ाते हैं, जिससे ब्लॉकेज से राहत मिलती है।
- सौंठ का इस्तेमाल कफ और वात दोष को संतुलित करने में फायदेमंद होता है, जो सिरदर्द, नाक बंद आदि समस्याओं से राहत दिलाने में बहुत कारगर होता है।
निष्कर्ष
माइग्रेन और साइनस की समस्या से पीड़ित लोग इस आयुर्वेदिक पोटली का नियमित इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन, ध्यान रहे पोटली बहुत ज्यादा गर्म नहीं होनी चाहिए, और 2 से 3 दिन इस पोटली का इस्तेमाल करने के बाद आप अंदर की सामग्रियों को बदल दें।
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FAQ
किसकी कमी से माइग्रेन होता है?
माइग्रेन होने के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन कई बार शरीर में विटामिन और मिनरल्स की कमी भी इसका कारण बन सकती है। इसके अलावा, मैग्नीशियम की कमी भी माइग्रेन का एक मुख्य कारण हो सकती है, क्योंकि ये ब्लड वेसल्स को आराम देने औऱ नर्व सिस्टम को प्रभावित कर सकती है।माइग्रेन में क्या नहीं खाना चाहिए?
माइग्रेन से पीड़ित लोगों को अपनी डाइट में कुछ खास चीजों को शामिल करने से बचना चाहिए, जिसमें शराब, चॉकलेट और प्रोसेस्ड फूड्स शामिल हैं। इन फूड्स के सेवन से आपका माइग्रेन ट्रिगर हो सकता है, जिससे सिर का दर्द बहुत ज्यादा बढ़ सकता है।रोज-रोज सिर दर्द होने का क्या कारण है?
रोजाना सिर में दर्द होने के कारण हो सकते हैं, जिसमें तनाव, एंग्जाइटी, डिहाइड्रेशन, या नींद की कमी शामिल है। कुछ मामलों में माइग्रेन, इंफेक्शन, हाई बीपी या स्वास्थ्य से जुड़ी अन्य समस्याएं भी सिर में दर्द का कारण बन सकता है।