एक कहावत है 'पढ़ोगे लिखोगे बनोगे नवाब, खेलोगे कूदोगे बनोगे खराब'। लेकिन वैज्ञानिकों ने एक नए अध्ययन के बाद यह दावा किया है कि ज्यादा पढ़ाई से आपके मानसिक रोगी बनने का खतरा बढ़ जाता है। अभी माना जाता है कि कम शिक्षा से आपके जीवन में कई प्रकार की परेशानियां आ सकती हैं।
शोधकर्ताओं ने बताया कि अध्ययन के दौरान कई ऐसे लोगों को देखा गया जिनकी शिक्षा उनकी नौकरी के मुकाबले ज्यादा थी। ऐसे लोगों के ज्यादा सोचने से मानसिक रोगी बनने की आशंका होती है। इस अध्ययन को 21 यूरोपीय देशों के 16,600 नौकरीपेशा लोगों के बीच पूरा किया गया। शोध में शामिल सभी व्यक्तियों की आयु 25वर्ष से 60 वर्ष के बीच थी।
वेबसाइट 'लाइवसाइंस डॉट कॉम' ने शोधकर्ता एवं बेल्जियम की घेट यूनिवर्सिटी के सामाजिक विज्ञान के प्रोफेसर पीट ब्रेके के हवाले से कहा कि ज्यादा शिक्षित लोगों को अपनी नौकरी में उस तरह की चुनौती नहीं मिल पाती जिसके लिए उन्हें प्रशिक्षित किया गया था। और वे अपने कौशल का इस्तेमाल नहीं कर पाते। इसी कारण कई बार ज्यादा तनाव लेना उनके लिए खतरनाक हो जाता है।
शोधकर्ताओं ने न्यूयॉर्क में हुई अमेरिकी सामाजिक समिति की बैठक में अपना शोधपत्र प्रस्तुत किया। उन्होंने अध्ययन में शामिल लोगों से पूछे गए सवालों के जवाब के आधार पर उनके मानसिक तनाव को जाना। ब्रेके ने बताया कि ऐसे लोग खुद को अपेक्षाकृत कम प्रतिष्ठित नौकरी में पाते हैं और वे सहयोग के लिए अनुचित व्यक्तियों पर निर्भर रहते हैं।
ऐसे लोग सहायता प्रदान करने में सक्षम व्यक्तियों की बजाय दूसरे व्यक्तियों से सहायता मांगते हैं। इस कारण भी कई बार उनके मानसिक तनाव का स्तर बढ़ जाता है। शोध से निकले परिणामों के आधार पर ब्रेके ने कहा कि ऐसे लोग जिन्होंने अपने करियर के शुरूआती दिनों में शिक्षा से अपेक्षाकृत कम स्तर की नौकरी पाई है, उन्हें लगातार बेहतर नौकरी के अवसरों की तलाश करनी चाहिए। अन्यथा वे मानसिक रोग का शिकार हो सकते हैं।
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