हाई ब्लड प्रेशर से शरीर के कई अंगों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। अगर इसे नियंत्रित नहीं किया गया, तो हार्ट अटैक, ब्रेन अटैक या स्ट्रोक्स का जोखिम बढ़ जाता है। कुछ सुझावों पर अमल कर उच्च रक्त चाप (हाई ब्लड प्रेशर) को नियंत्रित किया जा सकता है। ब्लड प्रेशर को मापना आसान है और यह हमारे स्वास्थ्य की स्थिति के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दे सकता है। उम्र बढ़ने के साथ ब्लड प्रेशर में वृद्धि होती है। युवाओं में यह लगभग 120/80 एमएमएचजी होता है। यहां पर 120 का अंक सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर कहा जाता है, जिसे आम भाषा में ऊपर का ब्लड प्रेशर कहते हैं। इसी तरह नीचे के ब्लड प्रेशर जैसे 80 को डाइस्टोलिक यानी नीचे का ब्लड प्रेशर कहा जाता है। बुजुर्गों में सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर प्रमुख रूप से बढ़ता है, जो लगभग 160/80 एमएमएचजी हो सकता है। युवाओं में सिस्टोलिक के 140 से ऊपर होने और बुजुर्गों में 150 से अधिक होने पर आगे निगरानी की जरूरत होती है।
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ये हैं दुष्प्रभाव
- हाई ब्लड प्रेशर धमनियों को क्षति पहुंचाता है, जो हमारे शरीर के प्रत्येक अंग को रक्त की आपूर्ति करती हैं। हाई ब्लड प्रेशर दिल का दौरा पड़ने या फिर दिल का समुचित रूप से कार्य न करने और किडनी के अलावा आंख को भी नुकसान पहुंचा सकता है। इसके अलावा हाई ब्लड प्रेशर से मस्तिष्क की नसें फट सकती हैं।
- हाई ब्लड प्रेशर से आंखों में हुई क्षति का पता लगाने के लिए हमें अपनी रेटिना की धमनियों की जांच नेत्र विशेषज्ञ से करानी चाहिए। इसी तरह हृदय की क्षति की जांच ईसीजी से और गुर्दे की जांच पेशाब और रक्त की जांच से संभव है।
- आज सबसे बड़ी चिंता यह है कि हाई ब्लड प्रेशर युवाओं को भी प्रभावित कर रहा है। मेरे पास नियमित रूप से 20 और 40 वर्ष की उम्र के लोग हाई ब्लड प्रेशर के कारण परामर्श लेने आते हैं। जबकि 10 साल पहले ऐसे मामले कभी-कभार ही सामने आते थे।
- तनावपूर्ण जीवन शैली युवावस्था में हाई ब्लड प्रेशर से ग्रस्त होने का एक प्रमुख कारण है। अनियमित खान-पान व फलों और सब्जियों के बजाय जंक फूड्स और चिकनाई युक्त खाद्य पदार्र्थों को ग्रहण करना और नमक का अधिक सेवन हाई ब्लड प्रेशर के जोखिम को बढ़ा देता है। इसके अलावा व्यायाम न करना और निष्क्रिय जीवन-शैली भी इस रोग को बुलावा देती है।
इलाज के बारे में
हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने के लिए अनेक दवाएं उपलब्ध हैं, जिन्हें डॉक्टर के परामर्श से ही लेना चाहिए। इसके अलावा जीवनशैली में सकारात्मक परिवर्तन करें। वजन को नियंत्रित रखें धूम्रपान व शराब से परहेज करें। निष्क्रिय जीवन व्यतीत न करें। प्रतिदिन व्यायाम करें। योग और ध्यान लाभप्रद हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि ब्लड प्रेशर के बढ़ने का तनाव के बढ़ने से निकट का सीधा संबंध होता है। लोग अक्सर दवाएं लेने से इस कारण बचते हैं कि उन्हें स्थायी रूप से इन दवाओं को लेना होगा और ऐसी दवाओं के दुष्प्रभावों को लेकर भी वे चिंतित होते हैं। हालांकि डॉक्टर ऐसी दवाओं का चयन करते हैं,जिनका आप पर दुष्प्रभाव न हो।
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याद रखें ये बातें
- लक्षणों के प्रकट होने पर नियमित रूप से ब्लड प्रेशर की निगरानी करें।
- यदि हाई ब्लड प्रेशर की दवा शुरू हो चुकी है, तो डॉक्टर के परामर्श से दवाएं लें। ब्लड प्रेशर के सामान्य होने पर भी दवाओं को जारी रखना चाहिए।
- स्वास्थ्य की स्थिति में परिवर्तन होने, साइड इफेक्ट के कारण दवा के बदलने के बारे में डॉक्टर से परामर्श लें।
लक्षणों को समझें
हाई ब्लड प्रेशर के रोगियों में घबराहट महसूस हो सकती है। सामान्य कार्य करने में बेचैनी के चलते उन्हें दिक्कत होती है। कुछ लोगों को सिर में भारीपन महसूस होता है, लेकिन कुछ लोगों में इसके कोई लक्षण प्रकट नहीं होते। इसलिए ब्लड प्रेशर की समस्या से ग्रस्त लोगों को नियमित रूप से जांच करानी चाहिए। ब्लड प्रेशर की जानकारी अब इलेक्ट्रॉनिक मॉनीटर से भी मालूम कर सकते हैं।
डा'.जमशेद दलाल, सीनियर कार्डियोला''जिस्ट, कोकिलाबेन हा'सि्पटल, मुंबई से बातचीत पर आधारित।
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