अल्जाइमर बढ़ती बीमारी का एक घातक मानसिक रोग है। इसमें मस्तिष्क की कोशिकाओं का आपस में संपर्क खत्म हो जाता है। यह समस्या 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में होती है। अल्जाइमर में मस्तिष्क में कुछ रसायनों की मात्र भी कम होने लगती है। ये रसायन मस्तिष्क में सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए जरूरी होते हैं। अल्जाइमर की शुरुआत में याददाश्त कमजोर हो जाना और ठीक से बात ना कर पाना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। जैसे-जैसे यह बीमारी बढ़ती है, रोगी में तकलीफें बढ़ती जाती हैं। बार-बार लोगों के नाम, स्थान और हाल-फिलहाल में हुई घटनाओं को भूल जाना, मूड में बदलाव होना,चीजें यहां-वहां रखकर भूल जाना आदि भी समस्याएं होती हैं।
अल्जाइमर से बचाव
धीरे-धीरे ये लक्षण इतने गंभीर हो जाते हैं कि उसे अपनी दिनचर्या के लिए भी दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है। बोलने, लिखने और पढ़ने में भी समस्या आती है। रोगी अपने परिवार के सदस्यों को नहीं पहचान पाता। वह अपना दैनिक कार्य करना भी भूल जाता है। ऐसे में उसे पूरी तरह देखभाल की जरूरत होती है।
दवाएं
वर्तमान में इस रोग का कोई उपचार उपलब्ध नहीं है। कुछ दवाएं इसे नियंत्रित कर गंभीर होने से रोक सकती हैं। अल्जाइमर पीड़ितों के मस्तिष्क में एसिटाइल कोलिन की मात्र कम पाई जाती है। इसलिए ऐसी दवाएं दी जाती हैं जिससे मस्तिष्क में एसिटाइल कोलिन का स्तर नियंत्रित रहे। जितनी जल्दी इस रोग के बारे में पता चलेगा, इसका उपचार उतना ही आसान होगा।
नया सीखें
कई शोधों ने यह साबित किया है कि मस्तिष्क भी मांसपेशियों के समान ही कार्य करता है। जितना ज्यादा आप इसका इस्तेमाल करेंगे, उतना ही यह शक्तिशाली होगा। मानसिक व्यायाम नई मस्तिष्क कोशिकाओं के निर्माण में मदद कर मानसिक स्वास्थ्य को दुरुस्त रखते हैं। नई जटिल चीजें सीखें जैसे कोई नई भाषा, चुनौतीपूर्ण खेल जैसे शतरंज वगैरह खेलें। ब्रेन गेम जैसे सुडोकू, क्रॉस वर्ड बेहतरीन मानसिक व्यायाम हैं।
झपकी लेना फायदेमंद है
दिन में झपकी लेना आपके मस्तिष्क के लिए काफी फायदेमंद हो सकता है। अगर आप दिन के समय झपकी लेंगे तो अल्जाइमर के खतरे से दूर रहेंगे। यह बात वैज्ञानिक शोध में भी साबित हो चुकी है। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया की एक टीम ने अपने शोध में पाया कि दिन भर जागने वाले छात्रों की सीखने की क्षमता धीरे-धीरे कम होती जाती है, जबकि उन छात्रों की सीखने की क्षमता में वृद्धि होती है जो दिन में एक बार झपकी ले लेते हैं। यह शोध मैथ्यू वॉकर और उनकी टीम ने किया।
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नियमित रूप से पढ़ें-लिखें
आप अपने दिमाग से जितना काम लेंगे, वह उतना ही दुरुस्त रहेगा। यह मान्यता हमारे यहां पहले से ही रही है, लेकिन हाल में ही अमेरिका के इलिनोएस प्रौद्योगिकी संस्थान में किए गए शोध में भी इस बात की पुष्टि हुई है। अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि पढ़ाई-लिखाई और शतरंज जैसे खेल को अपनी दिनचर्या में प्रमुखता से शामिल करने वाले लोगों का दिमाग उन लोगों की तुलना में ज्यादा दुरुस्त रहता है जो इन गतिविधियों से दूर रहते हैं।
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आहार पर दें ध्यान
एक शोध के अनुसार, अगर आप 40 पार कर गए हैं तो आपको अपने भोजन में बादाम, जो, टमाटर, मछली आदि को नियमित रूप से शामिल करना चाहिए। इससे मस्तिष्क की कोशिकाएं स्वस्थ रहती हैं।
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