स्त्री हो या पुरुष- हर साल हजारों लोग दिल की बीमारियों के चलते मौत का ग्रास बनते हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ कैलिफोर्निया के हालिया शोध के अनुसार मध्यम आयु वर्ग (30 से 54) की महिलाओं में दिल की बीमारी तेजी से अपने पैर पसार रही है। और समय के साथ-साथ हालात बदतर होते जा रहे हैं।
क्यों पड़ रहा है मध्यम वर्ग आयु की महिलाओं पर असर
शोध में कहा गया है कि स्थिर कोरोनेरी हृदय रोग (शारीरिक नहीं, भावनात्मक तनाव से पीडि़त) से ग्रस्त महिलाओं के हृदय में इस आयु वर्ग के पुरुषों की अपेक्षा पर्याप्त मात्रा में रक्त संचरण नहीं होता।
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हृदय रोग के संभावित कारण
मोटापा
सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के अनुसार, दुनिया भर में महिलाओं को अधिकतर स्वास्थ्य समस्यायें इसी मध्यम आयु में होती हैं। इसमें कई गंभीर बीमारियां और संज्ञात्मक क्रियाओं संबंधी रोग शामिल हैं। इसके साथ ही शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर भी इसी अवस्था में विपरीत असर पड़ने लगता है। इनमें से ज्यादातर बीमारियों का संबंध मोटापे से होता है। मोटापे से दिल का दौरा पड़ने की आशंका बढ़ जाती है। इसके साथ ही रक्त चाप और कोलेस्ट्रॉल के स्तर में भी खतरनाक स्तर तक बढ़ोत्तरी हो सकती है।
निदान न करना
सर्कुलेशन में प्रकाशित एक शोध के अनुसार हृदय रोग से पीडि़त महिलाओं में पुरुषों के समान सीने में तेज दर्द जैसे संकेत नजर नहीं आते। इसी वजह से कई बार उनकी बीमारी का समय रहते निदान नहीं हो पाता। महिलाओं में कमजोरी, सांस उखड़ना, थकान, नौजिया, चक्कर आना, अपच और पीठ दर्द जैसी शिकायतें अधिक देखने को मिलती हैं, जिन्हें वे अकसर अनदेखा कर देती हैं। और इसके साथ ही महिलायें अकसर यह सोचती हैं कि उन्हें हृदय रोग हो ही नहीं सकता।
तनाव
मध्यम आयु वर्ग की महिलाओं में हृदय रोग के बढ़ते मामलों का एक बड़ा कारक तनाव है। आप सोच रहे होंगे कि तनाव से तो हृदय रोग नहीं हो सकता, लेकिन ऐसा नहीं है। अधिक तनाव हृदय की कार्यक्षमता पर विपरीत असर डालता है और इससे आपको हृदय रोग हो सकता है। इसके साथ ही तनाव के कारण व्यक्ति अपनी देखभाल की परवाह नहीं करता। तनाव के कारण हमारी स्वास्थ आदतों पर भी असर पड़ता है।
अनजाने खतरे
उच्च रक्तचाप, हाई कोलेस्ट्रॉल, मोटापा और धूम्रपान को महिलायें आमतौर पर बहुत गंभीरता से नहीं लेतीं। शोध में साबित हुआ है कि पुरुष महिलाओं की अपेक्षा अपने कोलेस्ट्रॉल की अधिक नियमित रूप से जांच करवाते हैं। इसके साथ ही अपने स्वास्थ्य को लेकर पुरुषों का रवैया अधिक सकारात्मक होता है। वे रक्तचाप को काबू रखने के प्रति भी अधिक सजग होते हैं। इसलिए महिलाओं में उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल स्तर और हृदयाघात के अधिक मामले सामने आते हैं।
एक बात यह भी ध्यान रखने की है कि केवल किसी एक कारण से हृदयाघात होना मुश्किल है। मोटापा, तनाव, सही नींद न लेना और मसूड़ों की बीमारियां हृदय रोग का कारण हो सकती हैं। इस खतरे को कम करने के लिए महिलाओं को कुछ कदम उठाने की जरूरत है। उन्हें संतुलित और स्वस्थ आहार का सेवन करना चाहिये। इसके साथ ही व्यायाम को अपने जीवन का महत्वपूर्ण अंग बनाना चाहिये। इसके साथ ही धूम्रपान नहीं करना चाहिये। रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित रखना चाहिये।
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