भाई-बहनों में आपसी प्रतिस्पर्धा (Competition) अकसर देखने को मिल जाती है। वैसे थोड़ी बहुत कॉम्पटीशन (प्रतिस्पर्धा) भावना में कुछ गलत नहीं। जैसे पढ़ाई लिखाई में या खेल में प्रतिस्पर्धा। यहां तक कि कभी-कभी छोटी-छोटी बातें जैसे कि खाने, उठने-बैठने के तरीके आदि में भी अक्सर यह प्रतिस्पर्धा दिखती है। लेकिन जब यह बढ़ जाये तो नुकसानदायक हो सकती है। दरू इन प्रतियोगिताओं की वजह से उनके बीच कभी-कभी भयंकर लड़ाई भी हो जाती है। उस समय पेरेंट्स उन्हें कितना ही क्यों न समझा लें, लेकिन वह अपने को दूसरे से श्रेष्ठ साबित कर,उसे नीचा दिखाना बंद नहीं करते। इसलिए इन झगड़ों और इस प्रतियोगिता की भावना को कम करना काफी जरूरी है। इस प्रतिस्पर्धा को कम करने के लिए निम्न टिप्स को अपना सकते हैं।
1. उनकी एक दूसरे से तुलना न करें (Don't Compare Them)
बच्चे जैसा देखते और महसूस करते हैं वैसा ही वह व्यवहार करने लगते हैं। इसलिए सबसे पहले आपको खुद में यह बदलाव करना होगा कि आप उन्हें एक दूसरे से कंपेयर न करें। अगर आप उन्हें यह समझाएंगे कि वह एक दूसरे से किसी चीज में अच्छे या बुरे हैं तो वह हमेशा एक दूसरे के लिए नीचा दिखाने वाला और लड़ाई की भावना वाला भाव रखेंगे। इसलिए हमेशा केवल उनकी तारीफ करें लेकिन एक दूसरे से उनकी तुलना न करें।
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2. उन्हें स्पष्टता के बारे में सिखाएं (Talk About Clarity)
अपने बच्चों को चीजों को स्पष्ट करना सिखाएं। उन्हें यह पता होना चाहिए कि अगर उनके भाई या बहन पढ़ाई में उनसे कमजोर हैं तो यह उनकी कमजोरी नहीं है बल्कि हो सकता है वह खेल कूद आदि में तेज हों। इसलिए किसी एक चीज को लेकर उनकी तुलना एक दूसरे से न करें। बल्कि उनकी एक कमजोरी के बदले दूसरी खूबी ढूंढें। ताकि वह एक दूसरे की कमजोरी में उनका साथ दे पाएं।
3. बाउंड्री सेट करें (Set Boundaries)
थोड़ा बहुत मस्ती मजाक हर भाई बहन करते हैं और अगर कभी कभार वह मस्ती करते समय एक दूसरे की टांग खींच लेते हैं तो इसमें कोई बुराई नहीं है। लेकिन उन्हें उनकी सीमा का पता होना चाहिए। उन्हें बताएं कि मजाक इतना ज्यादा भी नहीं होना चाहिए कि उससे दूसरे बच्चे की भावनाओं को ठेस पहुंचे। अगर दूसरा बच्चा मजाक में रो रहा है या उसे बुरा महसूस हुआ है तो ऐसी गलती या मजाक दोबारा न करने को कहें और इसे एक सबक की तरह प्रयोग करना सिखाएं।
4. उनकी भावनाओं को समझें (Try to Understand Them)
बच्चा अपने आप को दूसरे से श्रेष्ठ तब दिखाता है जब उसे यह महसूस हो कि माता पिता उसकी भावनाओं की कदर नहीं कर रहे हैं या जब उन्हें यह महसूस होता है कि उनकी पूरे परिवार में कोई वैल्यू ही नहीं है। ऐसी स्थिति को अवॉइड करने के लिए उनके मन में क्या चल रहा है इस बारे में बात करें। अगर आपको लगता है कि आप दोनों बच्चों में एक जैसा व्यवहार नहीं कर रहे हैं तो इस बात पर गौर करें।
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5. दोनों बच्चों की खूबियां गिनवाएं ( Appriciate Them)
एक बच्चे को उसकी खामी की वजह से गलत शब्दों का प्रयोग करने की बजाए उसे उसके अंदर छुपी खूबी के लिए शाबाशी दें। हो सकता है किसी दिन दोनों बच्चों में से एक बच्चे के अच्छे नंबर नहीं आए हों, तो इस स्थिति में अच्छे नंबर लाने वाले बच्चे की प्रशंसा करने के साथ साथ दूसरे बच्चे की कमी न निकालें बल्कि उसे भी उसकी किसी पिछली उपलब्धियों के बारे में शाबाशी दें।
बच्चों को यह सिखाना काफी जरूरी होता है कि वह एक दूसरे के प्रति लड़ाई या द्वेष की भावना न रखें। अगर वह बचपन से ही यह सोच रखेंगे कि उन्हें एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा करनी है तो आप उन्हें हमेशा एक दूसरे के समक्ष खड़ा पाएंगे न की एक दूसरे के साथ।
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