इंसुलिन हमारे शरीर में एक महत्वपूर्ण हार्मोन है, जो ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने का काम करते हैं। शरीर में इंसुलिन पैनक्रियाज में बनता है, और ये ब्लड से शुगर को अलग करके शरीर के अलग-अलग सेल्स में भेजता है। ऐसे में जब आपके शरीर में इंसुलिन रेसिस्टेंट की समस्या होती है तो यह बेहतर तरीके से काम नहीं कर पाती है, जिससे ब्लड शुगर लेवल बढ़ता है और आपको डायबिटीज होने का जोखिम बढ़ जाता है। ऐसे में इंसुलिन सेंसिटिविटी की समस्या होने पर आपके शरीर में कुछ लक्षण नजर आने लगते हैं, जैसे बिना कारण थकान महसूस होना, ब्लोटिंग, डिहाइड्रेशन आदि। इंसुलिन सेंसिटिविटी के लक्षणों को कंट्रोल करने के लिए आप हार्मोन और गट हेल्थ कोच के बताए इन बदलावों को अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं।
इंसुलिन सेंसिटिविटी के लक्षणों से राहत पाने के लिए डाइट में करें ये बदलाव
1. थकान
बिना किसी कारण थकान की समस्या महसूस होने पर आप चाय पीने के स्थान पर आप एक गिलास नींबू पानी में एक चुटकी नमक मिलाकर पी सकते हैं।यह ड्रिंक नेचुरल इलेक्ट्रोलाइट्स और विटामिन सी से भरपूर होता है, जो कैफीन के बिना आपके त्वरित ऊर्जा को बढ़ावा देता है।
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2. शुगर क्रेविंग
शुगर क्रेविंग होने पर आप चॉकलेट या मिठाई खाने के स्थान पर एक चुटकी दालचीनी वाली ग्रीन टी का सेवन कर सकते हैं। ग्रीन टी में एंटीऑक्सिडेंट और दालचीनी की प्राकृतिक मिठास शुगर क्रेविंग को कम करने और ब्लड शुगर लेवल को संतुलित करने में मदद कर सकती है।
3. डिहाइड्रेशन
निर्जलीकरण की समस्या से बचाव के लिए आप कार्बोनेटेड ड्रिंक्स पीने से बचें, इसके स्थान पर आप नारियल पानी पिएं। यह पोटेशियम और इलेक्ट्रोलाइट्स से भरपूर होता है, जो एक हाइड्रेटिंग ड्रिंक है और ब्लड शुगर लेवल को संतुलित रखने में मदद करता है।
4. डार्क अंडरआर्म्स
इंसुलिन सेंसिटिवीटी के कारण डार्क अंडरआर्म्स की समस्या से राहत पाने के लिए आप रोल-ऑन और डिओडोरेंट का उपयोग करने से बचें, बल्कि इसकी जगह जामुन के बीज की चाय पिएं। यह हर्बल चाय इंसुलिन संवेदनशीलता को प्रबंधित करने और ब्लड शुगर को संतुलित करके पिग्मेंटेशन को कम करने में मदद कर सकती है।
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5. अत्यधिक भूख लगना
बार-बार भूख लगने की समस्या से बचाव के लिए जरूरी है कि आप हाई-कार्ब वाले स्नैक्स का सेवन करने से परहेज करे, इसके स्थान पर आप प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों को चुनें। प्रोटीन आपको लंबे समय तक भरा हुआ रखने में मदद करता है और ब्लड शुगर के स्पाइक्स को रोकता है, जिससे आपको कम भूख लगती है।
6. पेट की चर्बी
इंसुलिन सेंसिटिवीटी के कारण होने वाले बैली फैट की समस्या को कम करने के लिए आप कम कैलोरी वाली डाइट के स्थान पर संतुलित भोजन लें और इंटरमिटेंट फास्टिंग करें। उपवास इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार कर सकता है, जबकि संतुलित भोजन ब्लड शुगर को कंट्रोल करने और हेल्दी चयापचय के लिए जरूरी है।
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अपनी डाइट और लाइफस्टाइल में इन बदलावों को करने से इंसुलिन संवेदनशीलता के लक्षणों को कंट्रोल करने में मदद मिल सकती है और आप एक हेल्दी लाइफ जी पाएंगे।
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