
लिवर, किडनी और फेस ट्रांसप्लांट के बाद अब सिर का प्रतिरोपण भी मुमकिन हो सकेगा। अमेरिकी वैज्ञानिकों का दवा है कि एक व्यक्ति का सिर, दूसरे व्यक्ति के धड़ पर प्रतिरोपित करने की दिशा में जितनी भी तकनीकी बाधाएं थी, उन्हें पार कर लिया गया है।
ट्यूरिन एडवांस्ड न्यूरोमॉडयुलेशन ग्रुप के शीर्ष न्यूरोसर्जन डॉक्टर सर्जियो कैनावेरी के मुताबिक जानवरों में रिस के प्रतिरोपण की तकनीक कई बार आजमाई जा चुकी है। 1970 में अमेरिकी न्यूरोसर्जन डॉक्टर रॉबर्ट व्हाइट ने एक बंदर का सिर दूसरे बंदर के धड़ पर प्रतिरोपित किया था। यह बंदर आंखें खोलने, खाने का स्वाद लेने और गंध सूंघने में सक्षम था। लेकिन चूंकि व्हाइट बंदर की रीढ़ की हड्डी जोड़ने में नाकाम रहे थे, इसलिए ऑपरेशन के कुछ ही घंटों बाद उसने दम तोड़ दिया। 2001 में दो अन्य बंदरों का सिर प्रतिरोपित किया गया, लेकिन इस बार भी ऑपरेशन नाकाम रहा।
हालांकि अब सर्जियों का दावा है कि उन्होंने सिर के प्रतिरोपण से जुड़ी तकनीकी बाधा को दूर कर लिया है। तंत्रिका कोशिकाओं के विकास की दिशा में हुए हालिया अध्ययनों के बलबूते वह रीढ़ की हड्डी को जोड़ने की तकनीक खोजने में कामयाब हुए हैं। इससे इनसानों में सिर का प्रतिरोपण मुमकिन हो सकेगा। सर्जियों के मुताबिक दो इनसानों बीच सिर के प्रतिरोपण को ठीक उसी तरह से अंजाम दिया जाएगा, जैसे बंदरों मे किया गया था।
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