बच्चों को मोटा बनाता है बोतल का दूध

बॉटल का दूध पीने से बच्‍चों में मोटापे की समस्‍या के अलावा कई अन्‍य बीमारियां भी हो जाती हैं और उनका विकास भी प्रभावित होता है।
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बच्चों को मोटा बनाता है बोतल का दूध

बॉटल का दूध पीने वाले बच्‍चे मोटापे के शिकार हो सकते हैं। क्‍योंकि बॉटल में बच्‍चे मां का दूध नहीं पीते बल्कि बाहर का दूध पीते हैं। इसमें वसा की मात्रा अधिक होती है जो बच्‍चों मोटा बनाती है।

Harmful Effects of Bottle Milkबच्‍चों को बॉटल का दूध इसलिए भी पीना पड़ता है क्‍योंकि उनके मां के पास उनके लिए वक्‍त की कमी है। काम की व्यस्तता में कामकाजी महिलाएं या व्यस्त गृहिणियां अपने शिशुओं को बोतल से दूध पिलाना ज्यादा आसान समझती हैं। क्योंकि अब उनके पास बच्चे को गोद में लिटाकर चम्मच से दूध पिलाने के लिए समय और धैर्य दोनों की कमी है।

 

क्‍या कहते हैं शोध  

बॉटल का दूध पिलाने से बच्‍चे मोटापे के शिकार होते हैं, एक शोध में भी यह निष्‍कर्ष निकला है। फिलाडेल्फिया के टेंपल यूनिवर्सिटी में शोधकर्ताओं ने यह निष्कर्ष निकाला है कि बोतल से दूध पीने वालें बच्चे मोटापे का शिकार होते है। अध्ययन के अनुसार, जो बच्चे रात को सोते समय बोतल से दुध पीते हुए सोते है, वह अधिक कैलोरी की खपत के आदी हो जाते हैं। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है, कि इन बच्चों में 5 साल के होने तक वजन अधिक होने की 30% अधिक संभावना होती है।

यदि एक 2 साल की लड़की जिसका वजन और ऊंचाई एक औसत में है, अगर उसको 8 औंस दूध बोतल से पी कर सोने की आदत है, तो उसको बोतल से उसकी जरुरत की लगभग 12 प्रतिशत कैलोरी मिल जाएगी। अनुसंधान के लिए जिन बच्चों का निरीक्षण किया गया था उनमें से, 22 प्रतिशत बच्चों को बोतल से दूध पीने की और दुध पीते हुए सोने की आदत थी। इसमें 23 प्रतिशत बच्चे 5 साल की आयु में पहुंचने तक मोटापे से ग्रस्त थे। यह गर्भावस्था के दौरान मां के वजन, जन्म के समय बच्चे का वजन और खिलाने के प्रकार जैसे वजन प्रबंधन के अन्य कारकों से प्रभावित नहीं है।

 

बॉटल से दूध पीने के अन्‍य नुकसान

 

सांस लेने में समस्‍या

कई बार सोते हुए बच्चे के मुंह में महिलायें बॉटल लगा देती हैं, इससे कभी-कभी गले की नली में ही दूध की कुछ मात्रा रह जाती है, जिससे बच्चे को सांस लेने में कठिनाई होती है और उसके फेफड़ों से संबंधित बीमारी हो सकती है, इसमें निमोनिया सबसे आम बीमारी है।


पेट संबंधित समस्‍या

इसके अलावा बॉटल से दूध पीने वाले बच्चों में पेट के संक्रमण की कई बीमारियां, जैसे डायरिया, दस्त आदि होते रहते हैं। इसकी वजह से बच्‍चे कमजोर भी हो सकते सकते हैं, क्‍योंकि दस्‍त और डाय‍रिया होने से खाना आसानी से पच नहीं पाता है।

 

चबाने की आदत

लगातार बोतल से दूध पीने वाले बच्चे चबाने वाली चीजें ज्यादा नहीं खाते, क्योंकि उन्हें चूसने की अपेक्षा चबाना अधिक कष्टदायक लगता है। नतीजतन बच्चे को कब्ज की शिकायत हो जाती है।



बच्‍चे को बॉटल की बजाय स्‍तनपान कराना चाहिए, स्‍तनपान कराने से बच्‍चा स्‍वस्‍थ होता है औ बीमारियों से ग्रस्‍त नहीं होता है। इसके अलावा स्‍तनपान कराने से महिला को स्‍तन कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी नहीं होती है।

 

 

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