गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में जापानी इन्सेफेलाइटिस से अब तक 60 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें बच्चों की संख्या ज्यादा है। पिछले दो दिनों में हुई मौतों ने हर किसी को सोचने पर मजबूर कर दिया है। गौरतलब है कि, पूर्वी उत्तर प्रदेश में हर साल इस बीमारी से सैकड़ों बच्चों और वयस्कों की मौत हो जाती है। इस घटना के बाद एक तरह जहां राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप तेज हो गए हैं वहीं दूसरी ओर यूपी के सीएम आदित्यनाथ योग ने आक्सीजन की कमी से बच्चों की हुई मौंत ने प्रशासन के इंतजाम पर सवाल खड़े कर दिए है। बताया जा रहा है कि अस्पताल में बच्चों की मौत ऑक्सीजन सप्लाई के अभाव में हुआ है। आपको बता दें कि ये बीमारी बहुत ही खतरना है, जिसके लक्षण और बचाव को जानना जरूरी है।
क्या है जापानी इन्सेफेलाइटिस
यह एक दिमागी बुखार है। जो कि वायरल संक्रमण की वजह से फैलता है।
यह मुख्य रुप से गंदगी में पनपता होता है। जो कि मच्छरों, सुअर के द्वारा फैलता है।
जैसे ही यह हमारे शरीर के सपंर्क में आता है वैसे ही यह दिमाग की ओर चला जाता है।
दिमाग में जाने के कारण व्यक्ति की सोचन, समझने, देखने की क्षमता खत्म हो जाती है।
यह बीमारी ज्यादातर 1 से 14 साल के बच्चे एवं 65 वर्ष से ऊपर के लोग इसकी चपेट में आते हैं।
इस बीमारी का सबसे ज्यादा प्रकोप अगस्त, सितंबर और अक्टूबर में सबसे ज्यादा होता है।
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ये है लक्षण
जो भी इस बीमारी से ग्रसित होता है। उनमें से 70 फीसदी लोगों की मौत हो जाती है। इसके अलावा इसके ये लक्षण है।
बुखार, सिरदर्द, अतिसवेंदनशील होना, लाकवा मारना, पागनपन के दौरे पड़ना, आधे लोगों की स्थिति तो कोमा में जाने तक की हो जाती है।
अगर कोई छोटा बच्चा ज्यादा देर रोता है, भूख की कमी, उल्टी, बुखार आदि के लक्षण भी नजर आते है।
ऐसे करें बचाव
कोशिश करें तो आपके आसपास गंदगी न हो।
समय से टीकाकरण कराएं
गंदे पानी के संपर्क में न आएं
बारिश के मौसम में खानपान का ज्यादा ध्यान रखें।
साफ-सुथरा पानी पीएं।
मच्छरों से बचाव के लिए करें उचित इंतजाम
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