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ग्लूकोमा (काला मोतिया) से जुड़ी इन 6 भ्रामक बातों पर आप भी करते हैं यकीन? जानें इनकी सच्चाई

Glaucoma Myths in Hindi:समाज में ग्लूकोमा यानी काला मोतिया से जुड़े कई ऐसी भ्रामक बातें फैली हुई हैं, जिन पर अकसर लोग यकीन कर लेते हैं। 

Anju Rawat
Written by: Anju RawatUpdated at: Mar 18, 2023 10:00 IST
ग्लूकोमा (काला मोतिया) से जुड़ी इन 6 भ्रामक बातों पर आप भी करते हैं यकीन? जानें इनकी सच्चाई

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Glaucoma Myths and Facts in Hindi: ग्लूकोमा दुनियाभर में गंभीर रूप ले रहा है। दुनियाभर में 50 से 60 मिलियन लोग ग्लूकोमा से पीड़ित हैं। इनमें से 12 मिलियन लोग सिर्फ इंडिया में ग्लूकोमा से जूझ रहे हैं। यह एक साइलेंट डिजीज है यानी ग्लूकोमा का कोई लक्षण नहीं है। ग्लूकोमा का पता तब चल पाता है, जब स्थिति गंभीर रूप ले लेती है। ग्लूकोमा ऑप्टिक नर्व को नुकसान पहुंचाता है, जिससे दृष्टि हानि होती है। इतना ही नहीं कुछ मामलों में तो ग्लूकोमा अंधेपन का भी कारण बन सकता है। ऐसे में ग्लूकोमा के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल विश्व ग्लूकोमा वीक मनाया जाता है। इस साल 12 मार्च से 18 मार्च तक विश्व ग्लूकोमा वीक मनाया जा रहा है। इसी मौके पर एलर्जन, एन एबवी कंपनी ने ग्लूकोमा के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए प्रसिद्ध ग्लूकोमा विशेषज्ञों के साथ एक इवेंट का आयोजन किया। इसमें ग्लूकोमा से जुड़े कई विषयों पर चर्चा की गई। साथ ही ग्लूकोमा यानी काला मोतिया से जुड़े कई भ्रामक बातों पर भी जोर दिया गया। प्रसिद्ध ग्लूकोमा विशेषज्ञ डॉ. जे सी दास से जानते हैं ग्लूकोमा से जुड़े मिथकों की सच्चाई-

मिथक 1- ग्लूकोमा सिर्फ बुजुर्गों को होता है।

सच्चाई- हमारे समाज में यह एक बहुत बड़ा मिथ है कि ग्लूकोमा सिर्फ बुजुर्गों को ही होता है। डॉक्टर जे सी दास बताते हैं कि ग्लूकोमा किसी भी उम्र के लोगों को हो सकता है। नवजात शिशुओं, बच्चों, वयस्कों में से किसी को भी ग्लूकोमा हो सकता है। लेकिन बुजुर्गों में ग्लूकोमा होने का जोखिम अधिक रहता है।  जब किसी व्यक्ति के ऑप्टिक नर्व को नुकसान पहुंचता है, तो ग्लूकोमा हो सकता है। इस स्थिति में दृष्टि हानि हो सकती है। 

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glaucoma myths and facts

मिथक 2- ग्लूकोमा होने पर आंखों में तेज दर्द होता है।

सच्चाई- डॉक्टर जे सी दास बताते हैं कि जब लोगों में ग्लूकोमा डिटेक्ट होता है, तो कई लोग उनसे बालते हैं कि उन्हें तो आंखों में कोई दर्द नहीं है, फिर ग्लूकोमा कैसे हो सकता है? तो समाज में यह भी एक मिथ है कि ग्लूकोमा होने पर आंखों में दर्द होता है। जबकि ग्लूकोमा के प्रारंभिक चरण में व्यक्ति को कोई दर्द नहीं होता है। ग्लूकोमा के लक्षण धीरे-धीरे महसूस होते हैं। इस स्थिति में अगर दृष्टि परिवर्तन पर ध्यान न दिया जाए, तो ऑप्टिक नर्व को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है। दृष्टि धुंधली हो सकती है या फिर अंधापन तक हो सकता है।

मिथक 3- सर्जरी करने के बाद ग्लूकोमा पूरी तरह से ठीक हो जाता है।

सच्चाई- डॉक्टर जे सी दास बताते हैं कि वर्तमान में ग्लूकोमा का ऐसा कोई इलाज नहीं है, जो इस बीमारी को पूरी तरह से ठीक कर सके। इस समय ग्लूकोमा से होने वाले नुकसान को धीमा करने के लिए सिर्फ लेजर और सर्जरी की जाती है। लेकिन सर्जरी के बाद भी दवाइयों का सेवन करना जरूरी होता है। सर्जरी ग्लूकोमा का संपूर्ण इलाज नहीं होता है। 

मिथक4-  आंखों की रोशनी सही होने पर ग्लूकोमा नहीं हो सकता है।

सच्चाई- डॉक्टर जे सी दास कहते हैं कि आंखों की रोशनी सही होने पर भी ग्लूकोमा हो सकता है। दरअसल, अधिकतर मामलों में ग्लूकोमा का कोई शुरुआती लक्षण नहीं होता है। ऐसे में जिन लोगों के आंखों की रोशनी सही रहती है, उन्हें ग्लूकोमा का पता लंबे समय बाद चलता है। 

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मिथक 5- ग्लूकोमा को डिटेक्ट करने वाले टेस्ट दर्दनाक होते हैं।

सच्चाई- ग्लूकोमा को डिटेक्ट करने के लिए कई टेस्ट किए जाते हैं। इसमें टोनोमेट्री और ऑप्थाल्मोस्कोपी टेस्ट सबसे आम है। ग्लूकोमा के लिए सभी टेस्ट दर्दरहित होते हैं। इसलिए ग्लूकोमा का टेस्ट करवाते समय आपको डरने या घबराने की जरूरत नहीं है। 

मिथक 6- ग्लूकोमा को गंभीर होने से रोका नहीं जा सकता है।

सच्चाई- ग्लूकोमा को रोकने के लिए नियमित रूप से आंखों की जांच करवानी चाहिए। नियमित जांच करवाने से ग्लूकोमा को डिटेक्ट किया जा सकता है, फिर समय पर इलाज शुरू करवाया जा सकता है। इससे दृष्टि हानि और अंधेपन को रोका जा सकता है।

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