ग्लूकोमा को काला मोतिया भी कहा जाता है। हमारी आंखों के भीतर तरल पदार्थ मौजदू होते हैं। आंखों का यह तरल पदार्थ लगातार आंखों के अंदर बनता रहता है और बाहर निकलता रहता है। आंखों के इस तरल पदार्थ के पैदा होने और बाहर निकलने की इस प्रक्रिया में जब कभी दिक्कत आती है तो आंखों में दबाव बढ़ जाता है। वहीं आंखों के भीतर मौजूद ऑप्टिक नर्व आपके दिमाग को जरूरी संकेत देने का काम करता है। लेकिन, आँखों पर दबाव बढ़ने के कारण ऑप्टिक नर्व डैमेज होने लगते हैं और आपकी आंखों की रोशनी धीरे-धीरे कमजोर होने लगती है। अगर समय रहते इसका इलाज न किया जाए, तो इससे व्यक्ति की आंखों की रोशनी भी जा सकती है। हालांकि हम आपको बता दें कि ओपेन एंगल ग्लूकोमा की समस्या में आपको कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। इसमें न तो दर्द महसूस होता है और न ही आंखों की रोशनी कम होती है। ग्लूकोमा के कारण आपके चश्मे का नंबर बार-बार बदल सकता है। काम करने के दौरान आपको सिरदर्द और आंख में दर्द की दिक्कत हो सकती है। ग्लूकोमा के लक्षण में आप योग कर सकते हैं, ये योगासन सीधे तौर पर आपके ग्लूकोमा की समस्या तो नहीं ठीक कर सकते, लेकिन इससे आंखों को काफी लाभ मिलता है। ग्लूकोमा का सही इलाज कराने के साथ अगर आप इन योगासनों का अभ्यास करते हैं तो आपके लक्षण बढ़ते नहीं हैं और रिकवरी में भी आसानी होती है। इन योगासनों के अभ्यास से आपके आंखों की रोशनी और मांसपेशियों की थकान कम हो सकती है।
ग्लूकोमा की समस्या में करें ये योग
1. नौकासन
नौकासन की मदद से आपकी आंखों की रोशनी ठीक हो सकती है। साथ ही इससे गर्दन और कंधे में दर्द की दिक्कत भी ठीक हो सकती है। इससे आंखों की मांसपेशियों में भी आराम मिल सकता है। इसके अलावा इससे पेट की चर्बी कम करने में भी सहायता मिलती है। यह रीढ़ की हड्डी में दर्द को कम करने के लिए भी काफी कारगर साबित हो सकता है।
अभ्यास का तरीका
1. इसे करने के लिए आप पीठ के बल लेट जाएं।
2. फिर अपने ऊपरी शरीर को फर्श से 45° ऊपर उठाएं।
3. अपने पैर को फर्श से कुछ दूरी पर उठाएं और अपनी आंखों को पैर की उंगलियों पर टिकाकर रखें।
4. अपने टेलबोन की मदद से संतुलन बनाए रखें और पीठ को सीधा रखें।
5. अपने पेट की मांसपेशियों को योग के दौरान टाइट रखें।
2. सुखासन
सुखासन की मदद से आपके शरीर का ब्लड सर्कुलेशन तेज होता है। इससे आंखों में रक्त और ऑक्सीजन का प्रवाह अच्छे से होता है। इस आसन की मदद से आंखों पर पड़ने वाला तनाव कम होता है और सिरदर्द की समस्या भी नहीं होती है। सुखासन के अभ्यास से एकाग्रता बढ़ती है और आप अंदर से आनंद का अनुभव करते हैं।
सुखासन करने का तरीका
1. सीधी स्थिति में बैठें और दंडासन की स्थिति में आ जाएं।
2. बाएं पैर को मोड़कर दाहिनी जांघ के अंदर रखें।
3. दाहिने पैर को मोड़ें और बायीं जांघ के अंदर टिकाएं।
4. हथेलियों को घुटनों पर रखें और रीढ़ को सीधा रखने का प्रयास करें।
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3. वज्रासन
वज्रासन के नियमित अभ्यास से पाचन तंत्र में काफी सुधार होता है। साथ ही कब्ज की दिक्कत भी ठीक हो सकती है। वज्रासन के अभ्यास से मस्तिष्क से जुड़ी नसों को काफी आराम मिलता है। पीठ को मजबूत बनाने के लिए भी इस योगासन का अभ्यास काफी लाभकारी होता है।
वज्रासन करने का तरीका
1. इसके लिए आप योग मैट पर बैठ जाएं और धीरे से अपने घुटनों को नीचे करें।
2. फिर अपनी एड़ियों को एक दूसरे के पास रखें।
3. वज्रासन के दौरान पैर की उंगलियों को एक दूसरे के ऊपर न रखें। इसके बजाय, दाएं और बाएं पैर का अंगूठा एक दूसरे के बगल में होना चाहिए।
4. अपनी हथेलियों को अपने घुटनों पर ऊपर की ओर रखें।
5. अपनी पीठ को सीधा करें और आगे की ओर देखें।
4. अनुलोम विलोम
अनुलोम विलोम आपकी हृदय संबंधी समस्याओं को कम करने में मदद करता है। साथ ही सर्दी-जुकाम और सांस संबंधी दिक्कतों में भी आराम मिलता है। इससे आंखों पर पड़ने वाला तनाव कम होता है और सिरदर्द की परेशानी भी नहीं रहती है। इससे मूड फ्रेश रहता है और पूरे शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह होता है।
अनुलोम विलोम करने का तरीका
1. इस अभ्यास को करने के लिए आप सुखासन, अर्ध पद्मासन या वज्रासन मुद्रा में बैठ जाएं।
2. अपनी पीठ को सीधा रखें और कंधों को आराम दें।
3. अपनी आँखें बंद करें और अपनी सांस पर ध्यान दें।
4. अपनी हथेलियों को अपने घुटनों पर ऊपर की ओर रखें।
5. अपने दाहिने नाक को अपने अंगूठे से धीरे से बंद करें।
6. अपने बाएं नाक से सांस लें और इसे बंद करें।
7. दाएं नासिका छिद्र से सांस को बाहर निकालें।
5. उद्गीथ प्राणायाम
उद्गीथ प्राणायाम आंखों की जलन और दर्द में आराम मिल सकता है। साथ ही आंखों की अंदरूनी नसों को ये शांत करता है। इसके नियमित अभ्यास से मन और दिमाग शांत रहता है। इससे मानसिक तनाव भी दूर रहता है।
उद्गीथ प्राणायाम करने का तरीका
1. सबसे पहले आप आरामदायक मुद्रा में बैठ जाएं।
2. फिर अपनी पीठ को सीधा करें और आंखे बंद कर लें।
3. अपनी हथेलियों को अपने घुटनों पर ऊपर की ओर रखें और प्राप्ति मुद्रा में बैठ जाएं।
4. गहरी सांस लें और ओम का जाप करें।
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