आपके रंग रूप से लेकर सम्भावित बीमारियों के खतरे तक- जीन आपका पूरा राज खोल सकते हैं। इसे अपनी जैविक कुण्डली ही समझिये। अब इसकी मदद से इलाज की नयी विधा तलाशी जा रही है। जिसमें वैज्ञानिकों को सफलता मिलती भी दिख रही है।
जीन्स अनुवांशिकता की जैविक इकाइयां हैं। जीन्स कई आम चीजों के बारे में आसानी से बता सकते हैं। जैसे आपकी आंखों और बालों का रंग क्या होगा। इसके साथ ही कई सूक्ष्म बातें भी जीन्स के जरिये जानी जा सकती हैं। जैसे आपके रक्त में कितनी ऑक्सीजन ले जाने की क्षमता है। इतना ही नहीं जीन्स कई जटिल बातों से भी पर्दा हटाने में मदद कर सकते हैं- जैसे आपकी शारीरिक शक्ति और क्षमता आदि। आप शारीरिक रूप से कितने सक्षम होंगे यह बाहरी कारणों के साथ ही जीन्स की रचना पर भी काफी रूप से निर्भर करता है।
जीन्स कोशिकाओं के क्रोमोजोन्स में स्थित होते हैं। ये डिओक्रिबोनूक्लेइक (deoxyribonucleic) एसिड से बने होते हैं, जिसे आम बोलचाल की भाषा में डीएनए कहा जाता है। यह एक प्रकार का जैविक अणु होता है। मनुष्यों में आमतौर पर 30 से 40 हजार जीन्स होते हैं। जीन्स कोशिकाओं को एंगजाइम जैसे विशेष प्रकार के प्रोटीन के निर्माण के लिए निर्देशित करते हैं।
क्या होती है जीन थैरेपी
बीमारियों से बचने और लड़ने के लिए वैज्ञानिक किसी व्यक्ति की अनुवांशिकता को समझने की कोशिश करते हैं। जीन्स को समझने और उनमें जरूरी बदलाव करने से वैज्ञानिकों को किसी बीमारी के बारे में पहले से ही अंदाजा लगाने में भी मदद मिलती है। जीन थैरेपी एक ऐसी इलाज की पद्धति है जिसमें किसी व्यक्ति की कोशिकाओं में जेनरेटिक मैटिरियल प्रवेश कराया जाता है, ताकि उसे बीमारियों से लड़ने में मदद मिल सके। कई क्लिनिकल परीक्षणों में जीन थैरेपी का अध्ययन किया गया है। कैंसर तथा अन्य कई बीमारियों के लिए भी जीन थेरेपी के प्रयोग का अध्ययन किया गया है। यह तरीका अभी क्लिनिकल परीक्षणों तक ही सीमित है और बड़े पैमाने पर इसका उपयोग अभी शुरू नहीं हुआ है।
कैंसर के इलाज में जीन थेरेपी
शोधकर्ता कैंसर के इलाज के कई ऐसे रास्ते तलाश रहे हैं, जिनमें जीन थेरेपी का इस्तेमाल किया जा सके। कुछ स्वस्थ कोशिकाओं को बढ़ावा देकर कैंसर से लड़ने का तरीका तलाशते हैं। बाकी कैंसर कोशिकाओं को निशाना बनाकर उन्हें खत्म कर देते हैं। जिससे उनकी बढ़ोत्तरी को रोका जा सके।
हाल ही में न्यूयार्क के स्लोन-केटरिंग कैंसर सेंटर के डॉक्टरों ने दावा किया था कि जीन थेरेपी के जरिये कैंसर का इलाज किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि इस तकनीक से पांच मरीजों का दो से तीन महीनों में सफल इलाज हो चुका है।
डॉक्टरों ने बताया कि इस तकनीक से शरीर के इम्यून सिस्टम ((प्रतिरक्षी तंत्र)) को मजबूत किया जाता है। कैंसर सेंटर के डॉक्टर रेनियर जे. ब्रेंटजेंस ने बताया कि इसके लिए हम पीडि़त के टी-सेल्स को लेते हैं। ये वह कोशिकाएं हैं जो शरीर में बीमारियों से लड़ती हैं। हमने इनमें जेनेटिकली बदलाव कर इन्हें सीडी19 प्रोटीन पर हमला करने के लिए तैयार किया। उसके बाद बदली गई कोशिकाएं वापस मरीज के शरीर में डाल दीं। शुरुआत में मरीजों को थोड़ा बुखार आया। उनका रक्तचाप कम हुआ। लेकिन जल्द ही वे बाद एकदम ठीक हो गए। डॉ. रेनियर के अनुसार इसके परिणाम बेहद उत्साहवर्धक हैं। जिन मरीजों का इलाज किया गया है उनकी उम्र 23 से 66 साल के बीच है।
Read More Articles On Cancer In Hindi