ओरल हेल्थ का ध्यान रखना संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी होता है। लेकिन, आज के भागदौड़ भरी जिंदगी में लोगों के पास सुकून से अपने दांतों को साफ करने का भी समय नहीं है। ऐसे में ओरल हेल्थ को बेहतर रखना बहुत मुश्किल हो जाता है, जिस कारण दांतों में दर्द, मसूड़ों का कमजोर होना, मुंह से बदबू आने की समस्या और मुंह में छाले की परेशानी बढ़ जाती है। लेकिन, अगर आप आसान तरीके से अपने ओरल हेल्थ को बेहतर रखना चाहते हैं तो आयुर्वेद के अनुसार त्रिफला का इस्तेमाल फायदेमंद हो सकता है। त्रिफला में ऐसे गुण होते हैं, जो ओरल हेल्थ से जुड़ी समस्याओं को दूर कर सकता है। ऐसे में आइए रामहंस चेरिटेबल हॉस्पिटल के आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा से जानते हैं कि ओरल हेल्थ के लिए त्रिफला के पानी से गरारे करने के क्या फायदे हैं?
मुंह के स्वास्थ्य के लिए त्रिफला पानी से कुल्ला करने के फायदे
त्रिफला में मौजूद गुण ओरल हेल्थ के लिए भी काफी फायदेमंद होते हैं। इसलिए, इसके पानी से कुल्ला करने से मुंह के स्वास्थ्य को बेहतर रखने और इससे जुड़ी समस्याओं को दूर करने में मदद मिल सकती है-
1. मुंह की बदबू से राहत
मुंह के बैक्टीरिया, दांतों के बीज फंसे खाने और मसूड़ों से जुड़ी समस्याओं के कारण अक्सर कई लोगों के मुंह से बदबू आने की समस्या बढ़ जाती है। त्रिफला चूर्ण के पानी से कुल्ला करने से मुंह से आने वाली बदबू से राहत मिलती है, क्योकि त्रिफला में मौजूद गुण मुंह के बैक्टीरिया को खत्म करके मुंह की बदबू को दूर करते हैं।
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2. छालों से राहत
अगर आपके मुंह में छाले हो रहे हैं तो भी त्रिफला के पानी से गरारे करना काफी फायदेमंद (muh me chale kaise thik kare) हो सकता है। पेट की गर्मी या अन्य कारणों से कई बार मुंह में छाले होने की समस्या हो जाती है, जिससे खाने या कुछ पीने में भी समस्या होती है। ऐसी स्थिति में त्रिफला के पानी से गरारे करने से मुंह में ठंडक मिलती है, और इसके एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण छालों के कारण होने वाले घाव को जल्दी भरने में मदद करते हैं।
3. मसूड़ों को मजबूत बनाए
त्रिफला के पानी से गरारे करने से मसूड़ों की सूजन को कम करने में मदद मिल सकती और उन्हें मजबूत बनाया जा सकता है। यह मसूड़ों से खून आने, सूजन या पायरिया जैसी समस्याओं में भी बेहद फायदेमंद होता है, जो मसूड़ों की जलन को शांत करते हैं।
4. कैविटी से बचाव
त्रिफला के पानी से नियमित रूप से गरारे करने से दांतों की ऊपर एक सुरक्षित परत बनती है, जो दांतों को सड़ने और कैविटी की समस्या को होने से रोकती है। त्रिफला में मौजूद आंवले में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो दांतों की जड़ों को पोषण देने और उन्हें मजबूत बनाने में मदद करती है।
5. जीभ की सफाई
त्रिफला के पानी से गरारे करने से इसका कड़वा और कसैला स्वाद जीभ पर जमी गंदगी को हटाने में मदद करता है और स्वाद की ग्रंथियों को एक्टिव करता है। इस पानी का नियमित इस्तेमाल जीभ पर लगे बैक्टीरिया को कम करने में मदद करते हैं।
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गरारे करने के लिए त्रिफला का पानी कैसे तैयार करें?
सामग्री:
- त्रिफला चूर्ण-1 चम्मच
- पानी- 1 गिलास
पानी तैयार करने का तरीका-
- पानी में 1 चम्मच त्रिफला चूर्ण मिलाएं।
- अब इस मिश्रण को रातभर के लिए ढककर रख दें।
- सुबह इस पानी को हल्का गर्म करें और छान लें।
- पानी के गुनगुने होने पर 2 से 3 मिनट तक इससे गरारे करें।
निष्कर्ष
त्रिफला अपने एंटी-बैक्टीरियल, एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों के कारण जाना जाता है। ऐसे में नियमित रूप से त्रिफला के पानी से गरारे करने से मुंह से जुड़ी समस्याओं से न सिर्फ राहत पाने में मदद मिल सकती है, बल्कि ये आपके ओरल हेल्थ को बेहतर बनाए रखने में भी अहम भूमिका निभाता है। लेकिन, अगर आप पहली बार त्रिफला का इस्तेमाल करने जा रही हैं तो किसी आयुर्वेदिक डॉक्टर से सलाह ले लें।
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FAQ
त्रिफला कब और कैसे खाना चाहिए?
त्रिफला का सेवन आप सुबह खाली पेट या रात को सोने से पहले गुनगुने पानी या दूध के साथ करसकते हैं। आप अपने अनुसार इसे खाने से पहले या बाद में ले सकते हैं, लैकिन खाली पेट लेने से ये ज्यादा बेहतर तरीके से काम करता है।त्रिफला चूर्ण कब नहीं खाना चाहिए?
त्रिफला चूर्ण का सेवन कुछ खास स्थितियों में करने से बचना चाहिए। प्रेग्नेंसी, ब्रेस्टफीडिंग, दस्त या पेट खराब होने और कम वजन होने पर त्रिफला का सेवन नहीं करना चाहिए।त्रिफला चूर्ण गर्म है या ठंडा?
त्रिफला आंवला, बहेड़ा और हरड़ को मिलाकर बनाया जाता है, जो सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है। इसकी तासीर गर्म होती है, जो वात, पित्त और कफ दोष को संतुलित करती है।