मीनोपॉज अर्थात रजोनिवृत्ति का सामना करना किसी भी महिला के लिए आसान नहीं होता। इस दौरान क्योंकि महिला के शरीर में कई तरह के परिवर्तन होते हैं। हालांकि इसके बारे में सही जानकारी, उचित चिकित्सकीय देख-भाल, मानसिक तौर पर खुद को इसके लिए तैयार कर व खान-पान का ध्यान रख कर इस समस्या का सामना करने के लिए तैयार हुआ जा सकता है।
बेशक किसी भी महिला के जीवन का यह एक मुश्किल समय होता है, जब उसके हॉरमोन्स कम हो रहे होते हैं। दरअसल, उम्र बढ़ने के साथ महिलाओं के शरीर में हॉरमोन्स कम होते जाते हैं, जिस वजह से उनके मासिक धर्म धीरे-धीरे कम होते जाते हैं। इस स्थित को ही मीनोपॉज कहा जाता है। माना जाता है कि मीनोपॉज 40 से 50 की उम्र के आसपास होती है, लेकिन यह जरूरी नहीं, यह पहले या बाद में भी हो सकती है। ऐसे में उम्र की इस सीमा में व्यवहारिक रूप से परिवर्तन भी देखे जाते हैं। मीनोपॉज का अर्थ मासिक धर्म का प्राकृतिक और स्थाई तौर पर समाप्त हो जाना है। मीनोपॉज दरअसल ग्रीक भाषा से बना शब्द है, जिसमें मीनो का अर्थ है महीना और पॉजिज का अर्थ है रुकना।
इस बात में कोई दोराय नहीं कि अधिकांश महिलाएं मीनोपॉज के समय से घबराती हैं। लेकिन इस समस्या से आराम से उबरा जा सकता है, बशर्ते एक अच्छी व्यायाम योजना के साथ संयुक्त एक स्वस्थ आहार का पालन किया जाए। इस दौरान क्या खाएं ये बात मायने रखती है, लेकिन इस दौरान क्या ना खाएं ये बात कहीं ज्यादा जरूरी है। इस बात को मद्देनजर रखते हुए हम कुछ ऐसे विकल्पों पर बात करने जा रहें जो आपके मीनोपॉज से निपटने और एक खुश और स्वस्थ जीवन जीने में मदद कर सकते हैं। तो जानिये कि वे कौंन से खाद्य पदार्थ हैं जिनके सेवन से आपको मीनोपॉज के दौरान बचना चाहिए।
एल्कोहॉल
मीनोपॉज का समय आपके लिए तनाव से भरा हो सकता है। ऐसे में अपनी तनी हुई तंत्रिकाओं को शांत करने के लिए शायद आप शराब के बारे में सोच सकती है। लेकिन क्या ऐसा करना सही है? शराब मिजाज को तेज से बदलती है और थकान का कारण बनती है। इसलिए एक्सपर्ट सलाह देते हैं कि जितना हो सके एल्कोहॉल से दूर ही रहें।
मांस का सेवन
मीनोपॉज के इस कमजोरी से भरे और हतोत्साहित करने वाले समय में स्वभाविक रूप से आपका वजन भी बढ़ने लगता है। इससे बचने का सबसे कारगर तरीका है कि आप अस्वास्थ्यकर वसा को अपने आहार से बाहर कर दें और व्यायाम करें। इसके लिए सभी संभव स्रोतों से वसा बाहर करें, खासतौर पर संतृप्त वसा और ट्रांस वसा को। टॉन्ड दूध का उपयोग करें, पनीर, मक्खन, और तला भोजन भी अपने डाइट प्लान से बाहर कर दें। भुने हुए भोजन का चुनाव करें, यदि करना ही है तो अपना खाना पकाने के लिए स्वस्थ तेलों का उपयोग करें।
जंक और फास्ट फूड
ये खाद्य पदार्थ शरीर में फ्री रेडिकल्स की मात्रा बढ़ाते हैं, जिससे समस्याएं पैदा होती हैं। अधिकतर जंक फूड और फास्ट फूड्स में प्रोटीन की कमी और चिकनाई तथा चीनी की अधिकता होती है जो जोड़ों की कार्टलेज के लिए काफी नुक्सानदेह है। फ्री रेडिकल्स की अधिकता से हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी काफी कम हो जाती है। इस समय में इस प्रकार के खाद्य पदार्थों को पूरी तरह त्याग दें।
ज्यादा नमक या मीठा
चीनी और नमक एदिकांश भोजन में मौजूद होते हैं। तो ऐसे में इनसे कैसे बचा जाए। तो मौहतरमा परेशान न हों, हम आपको इनका सेवन बंद करने को नहीं कह रहे....बस इनकी मात्रा को घटाने का सलाह दे रहे हैं। अपने भोजन को थोड़ा नियंत्रण में लें, अपने नमक और चीनी का सेवन पचास प्रतिशत तक कम कर दें और आहार को स्वस्थ आहार बनाएं। सोडियम उच्च रक्तचाप का कारण बनता है जबकि प्रोसेस्ज खाद्य पदार्थों में मौजूद नमक कैंसर पैदा करता है।
चाय/ कॉफी/ कोल्ड ड्रिंक्स
विश्व प्रसिध्द फेमिनघम स्टडी के अनुसार कोल्ड ड्रिंक पीने वाले व्यक्तियों में अस्थि घनत्व काफी कम होता है। अतः उसके फे्रक्चर होने की संभावना अधिक होती है। इनका कारण कोल्ड ड्रिंक में पाया जाने वाला घातक रासायनिक पदार्थ ‘फॉस्फोरिक एसिड’ है जो हडि्डयों में मौजूद कैल्शियम को निकाल कर पेशाब द्वारा शरीर से बाहर निकाल देता है और हडि्डयों को भौतिक रूप से कमजोर कर देता है। इसमें मौजूद कैफीन हडि्डयों की कैल्शियम की आवश्यकता को बहुत अधिक बढ़ा देता है, जिसकी पूर्ति न होने से हडि्डयां बहुत कमजोर हो जाती हैं। वहीं मीनोपॉज के दौरान इन चीजों के सेवन से समस्या और बढ़ जाती है। इसलिए इन चीजों के सेवन से बचें।
धूम्रपान या कोई अन्य नशा
मीनोपॉज के दौरान किसी भी नशीले पदार्थ का सेवन न करें जैसे तम्बाकू गुटखा, सगरेट, शराब आदि। इससे खून में विटामिन डी की कमी हो जाती है, जिससे अस्थि घनत्व निश्चित रूप से कम होता है। यह कूल्हे, कलाई या रीढ़ की हड्डी के फेक्चर को जन्म देता है। मीनोपॉज के समय से 4-5 वर्ष पहले हो जाती है, जिससे इस्ट्रोजन हारमोन कम होकर ऑस्टियोपो रोसिस हो जाता है। मोटापे, हार्ट अटैक तथा थायरॉयड की संभावना कई गुना बढ़ जाती है। धूम्रपान से एड्रिनल ग्रंथि, पैराथॅयरायड ग्रंथि से निकलने वाले हारमोन भी प्रभावित होते हैं जिससे शरीर शिथिल हो जाता है। धूम्रपान से शरीर में फ्री रेडिकल्स की मात्रा काफी बढ़ जाती है जिससे बूढ़ापे की सभी बीमारियां जवानी में ही आ जाती हैं।
आजकल मीनोपॉज के इलाज के लिए कई दवाइयां उपलब्ध हैं। इनमें फाइटो-एस्ट्रोजन पाया जाता है, जो नेचरल व लो-डोज वाला होता है। यह मीनोपॉज के साइड इफेक्ट से आराम दिलवाने के अलावा, साइड इफेक्ट भी कम करता है। इस अवस्था में सोयाबीन रिच डाइट लें और नियम से एक्सरसाइज करें।
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