एडीएचडी से ग्रस्‍त लड़कों के लिए फिश ऑयल हो सकता है मददगार

अटेंशन डेफीसिट हाइपरएक्टिविटी डिसॉर्डर की समस्या लड़कियों की तुलना में लड़कों में ज्यादा पाई जाती है, लेकिन मछली के तेल में मौजूद ओमेगा-3 सप्लीमेंट इस समस्या के उपचार में मदद करता है।
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एडीएचडी से ग्रस्‍त लड़कों के लिए फिश ऑयल हो सकता है मददगार


यूरोप में हुए एक शोध के अनुसार अटेंशन डेफीसिट हाइपरएक्टिविटी डिसॉर्डर (एडीएचडी) से ग्रस्त लड़कों के लिए मछली व सब्जियों के तेल में पाये जाने वाला  ओमेगा-3 फैटी एसिड फायदेमंद होता है। न्यूरोसाइकोफार्मालॉजी के मार्च में प्रकाशित इश्यू की एक रिपोर्ट के अनुसार ओमेगा-3 से भरपूर कृत्रिम मक्खन का सेवन ना करने वालों की तुलना में रोजाना करने वालों की एकाग्रता की क्षमता बढ़ जाती है। नीदरलैंड के पोस्ट डॉक्टरल रिसर्चर दीनेक वोस की मानें तो इस रिसर्च के अनुसार पैरेंट्स अपने बच्चों के भोजन में ओमेगा-3 से भरपूर आहार या फिश ऑयल सप्लीमेंट देकर उनकी मदद कर सकते हैं। एडीएचडी में किस तरह फिश ऑयल मदद करता है, इसके बारे में इस लेख में विस्‍तार से जानें।

ADHD

क्या होता है एडीएचडी

एडीएचडी अर्थात अटेंशन डिफिसिट हाइपरएक्टिव डिसऑर्डर, दिमाग से संबंधित विकार है जो बच्‍चों और बड़ों दोनों को होता है। लेकिन बच्‍चों में इस रोग के होने की ज्‍यादा संभावना होती है। इस बीमारी के होने पर आदमी का व्‍यवहार बदल जाता है और याद्दाश्‍त भी कमजोर हो जाती है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो अटेंशन डेफिसिट हायपरएक्टिविटी यानी एडीएचडी का मतलब है, किसी चीज़ पर ध्यान केंद्रित करने की क्षमता का सही इस्तेमाल नहीं कर पाना। माना जाता है कि कुछ रसायनों के इस्तेमाल से दिमाग की कमज़ोरी की वजह से ये कमी होती है। यह लड़कियों की तुलना में लड़कों को ज्यादा होता है।

मछली के तेल से फायदा

फिश ऑयल में ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है। फैटी फिश में ओमेगा-3 की मात्रा सबसे ज्यादा होती है और इसे कोल्ड वॉटर फिश के नाम से भी जाना जाता है। ओमेगा-3 फैटी एसिड फ्लैक्स सीड्स (अलसी) और सालमोन (एक तरह की मछली) में भरपूर मात्रा में पाया जाता है। मानसिक बीमारियों से पीड़ित लोग अगर पर्याप्त मात्रा में समुद्री मछलियों का सेवन करें तो उनकी स्थिति में सुधार हो सकता है, क्योंकि यह मस्तिष्क में मौजूद रसायन सेरोटोनिन के स्तर को प्रभावित करता है। सेरोटोनिन के उत्पादन व कार्य को विटामिन डी तथा ओमेगा-3 फैटी एसिड से संबद्ध किया है। ये सूक्ष्म पोषक तत्व मस्तिष्क को कार्य करने में उसकी मदद करते हैं और इस प्रकार हमारा स्वभाव नियंत्रित होता है। यह दिमाग को सुचारु रूप से चलाने में मदद करता है।

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एडीएचडी का निदान

एडीएचडी से निदान के लिए कोई एक परीक्षण नहीं है। इसके लक्षणों के आधार पर ही इस बीमारी का निदान संभव है। अगर आपके बच्‍चे का व्‍यवहार इस बीमारी से मेल करता है तो इस आधार पर इस विकार का निदान होता है। इसके लिए विशेषज्ञ बच्‍चे की मेडिकल हिस्‍ट्री की जांच कर सकता है, वह परिवार के अन्‍य सदस्‍यों से इस बारे में पूछ सकता है। इसके अलावा चिकित्‍सक यह भी देखता है कि बच्‍चे को कोई अन्‍य परेशानी तो नही है जिसके कारण वह ऐसा व्‍यवहार कर रहा है। इसके बाद सुनने और देखने की क्षमता, चिंता, अवसाद या अन्य व्यवहार समस्याओं की जांच की जाती है। इसके लिए अपने बच्चे को एक विशेषज्ञ (आमतौर पर मनोवैज्ञानिक, मनोचिकित्सक या न्यूरोलॉजिस्ट) के पास परीक्षण के लिए भेजिए। इसमें बच्‍चे का आईक्‍यू लेवल की भी जांच होती है।

ओमेगा 3 फैटी एसिड मस्तिष्क के विकास और उसकी गतिविधि में मददगार साबित होता है। इसलिए बचपन से ही बच्‍चों को इसका सप्‍लीमेंट देना चाहिए।

 

ImageCourtesy@GettyImages

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