कोरोना की दूसरी लहर ने लोगों को भीतर से झकझोर रख दिया है। चारों तरफ से कोई अच्छी खबर नहीं आ रही है। सभी तरफ से मौतें, मेडिकल सुविधाओं की कमी आदि सूचनाएं आ रही हैं। ऐसे में जो मरीज कोविड पॉजिटिव है, वे तो मानसिक और शारीरिक दोनों रूपों से परेशान तो होते ही हैं। पर वे लोग जो कोविड पॉजिटिव नहीं हैं, वे भी मानसिक रूप से परेशानी होने लगते हैं। कोविड के डर से उनमें एंग्जाइटी होने लगती हैं। बहुत बार एंग्जाइटी के कारण सांस फूलना, बुखार आना जैसी परेशानियां हो सकती हैं। पर कोरोना के इस नए वेरिएंट को देखते हुए इसके लक्षणों पर कुछ भी कहना मुश्किल है। कभी कोरोना में सूंघने की क्षमता का चले जाना कोविड से रिकवरी का अच्छा संकेत बता दिया जाता है तो कभी बुरा। लोग कन्फ्यूज्ड हैं। ऐसे में बहुत से लोग मानसिक रूप से भी परेशान हो रहे हैं। अब ऐसे में कोरोना के लक्षण और चिंता के लक्षण दोनों के बीच अंतर कर पाना मुश्किल है। इस अंतर को गुरुग्राम के अवेकनिंग रिहैब में मनोचिकित्सक डॉक्टर प्रज्ञा मलिक से समझते हैं। साथ ही जानते हैं कि इस एंग्जाइटी से बाहर कैसे निकला जाए।
क्या कोविड-19 और चिंता दोनों के लक्षण एक समान हैं?
डॉक्टर प्रज्ञा मलिक का कहना है कि अभी तक एंग्जाइटी और कोविड लक्षणों में अंतरों को लेकर डाइग्नोस्टिक क्राइटेरिया नहीं बताया गया है। इन दोनों को ऐसे समझ सकते हैं कि अगर कोविड होगा तो एंग्जाइटी होगी ही। महामारी में तनाव, चिंता, डेथ वाली फीलिंग आ रही है। ये सब मेंटल सफरिंग के लिए एक कांबीनेशन बन जाता है। कोविड में मामले की गंभीरता बढ़ जाती है। चोकिंग सेंसेशन ज्यादा होते हैं। शरीर भारी हो जाता है। टेस्ट चला जाता है। कोविड में मेंटल कंडीशन एंग्जाइटी जैसी हो सकती है। जिसे हम स्ट्रेस मीटर से खुद से जान सकते हैं।
एंग्जाइटी ओर कोविड के लक्षणों में अंतर?
मनोचिकित्सक का कहना है कि शुरूआती तौर पर देखने पर कोविड और एंग्जाइटी के लक्षण समान दिखाई देते हैं। कोविड में सांस फूलना, सांस का भारी होना, बुखार आना, घबराहट में पैनिक अटैक होने से शरीर में दर्द आदि लक्षण होते हैं, यही लक्षण एंग्जाइटी में भी दिखाई देते हैं। लेकिन कोविड केलक्षण ज्यादा गंभीर हैं। एंग्जाइटी कुछ समय में खत्म हो जाती है पर कोविड को ठीक होने में समय लगता है।
इसे भी पढ़ें : घर में रहकर अकेले कर रहे हैं काम, इन 7 तरीकों से रखें अपने मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का ख्याल
कोविड में एंग्जाइटी को स्ट्रेस मीटर से मापें
क्या है स्ट्रेस मीटर
एंग्जाइटी का लेवल कहां तक पहुंचा है उसे मापने के लिए स्ट्रेस मीटर होता है। कोविड में हमारी एंग्जाइटी कहां जा रही है, इसे भी स्ट्रेस मीटर से माप सकते हैं। स्ट्रेस मीटर को ऐसे समझ सकते हैं।
1. पैनिक
2. एंग्जाइटी (खतरे की घंटी)
3. स्ट्रेस्ड (stressed)
4. कोपिंग
5. रिलैक्स
ये स्ट्रेस मीटर खुद की एंग्जाइटी को पहचानने के लिए है। जैसे बुखार आने पर थर्मामीटर होता है वैसे ही एंग्जाइटी को मापने के लिए स्ट्रेस मीटर होता है। इस स्ट्रेस मीटर का प्रयोग करके आप पहचान सकती हैं कि अभी आपकी मानसिक स्थिति किस लेवल पर है आगे आपको किस इलाज की जरूरत है।
इसे भी पढ़ें : कोरोना के डर से बार-बार आ रहा है पसीना और हो रही है घबराहट, तो इन टिप्स से मिलेगी मदद
कोविड एंग्जाइटी से निपटने के लिए उपाय
कोविड एंग्जाइटी से निपटने के लिए दो तरह के उपाय हैं। जिनमें मेंटल और एक्शन लेवल दोनों शामिल हैं। कोविड पेशेंट्स को एंग्जाइटी होने पर मनोचिकित्सक कोविड फर्स्ट ऐड देते हैं। जिसे निम्न तरीके से समझ सकते हैं।
एंग्जाइटी होने पर ये एक्शन करें
- -गहरी सांस लें।
- -धीरे-धीरे 10 से 1 गिनती करें। अगर इससे भी मदद न लगे तो 20 से 1 तक गिनना है।
- -समाज के लिए कुछ करें। दूसरों की सेवा के बारे में सोचेंगे तो एंग्जाइटी से अच्छे से डील कर पीएंगे।
- -टाइम आउट टेक्नीक- इस टेक्नीक में मरीज को बताया जाता है कि जो काम हो चुका है उसे अब खत्म करें। अब आगे का सोचें।
- -ऑनलाइन मदद लें- एंग्जाइटी होने पर चिकित्सक से ऑनलाइन परामर्श लें।
- -किसी से बात करें- बात करते समय ध्यान रहे कि आप वर्तमान स्थिति पर बात न करें। दूससे मुद्दों पर बात करें।
मानसिक शांति के लिए करें ये उपाय
माइंडफुल
माइंडफुल टेक्नीक में करंट सिचुएशन को स्वीकार करना होता है। मैं क्या कर सकता हूं और क्या नहीं कर सकता है, ये स्वीकार करना पड़ता है। मैं एक साथ सारी चीजें कंट्रोल नहीं कर सकता हूं। तो कोविड को भी नहीं कर सकता हूं।
अपने काम में बेस्ट दें
आप जो भी काम कर रहे हैं उसमें अपना बेस्ट दें। सेल्फ सैटिस्फैक्शन के लिए करें। ये ओवरथिकिंग में भी मदद करता है। खुद को डाइरेक्शन देना होता है कि मैंने अपने इस काम में क्या अच्छा किया।
थॉट रिप्लेसमेंट थेरेपी
इसमें सकारात्मक सोच कैसे बना सकते हैं। जिस चीज की एंग्जाइटी हो रही है उसे ध्यान में रखकर दूर रहना है। ट्रिगर को समझना है और उससे दूर होना है।
5-4-3-2-1 नियम
ये एंग्जाइटी वाली सिचुएशन में करने के लिए ये करें। आप जहां पर भी हैं वहां 5 चीजों को देखें और बोलें। 4 ऐसे क्या ऑब्जेक्ट हैं, जिन्हें मैं छू सकता हूं और नाम बोलना है। 3 कौन सी आवाजें हैं जो मुझे सुनाई दे रही हैं। 2 चीजें कौन सी हैं जिन्हें मैं सूंघ सकता हूं। 1 नंबर देखते हैं कि मेरे मुंह का टेस्ट कैसा है। अगर टेस्ट आ रहा है तो अभी मैं ठीक हूं। इस टेक्नीक को 5-4-3-2-1 बोलते हैं। यह हमारी सेंसिस जुड़ी होती है।
कोरोना के समय में कोरोना की वजह से होने वाली मानसिक बीमारियों के लक्षण भी लगभग समान हैं। बस फर्क इतना है कि कोरोना की गंभीरता लंबे समय चलती है और एंग्जाइटी की थोड़े समय। पर लक्षणों में समानता है।
Read More Articles on Miscellaneous in Hindi
How we keep this article up to date:
We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.
Current Version