गोद लिये बच्‍चे को ऐसे करायें अपनेपन का एहसास

गोद लिए हुए बच्चे को खुद से कनेक्ट के लिए उसे भावनात्मक सपोर्ट दें। उनकी जरूरतों को पूरा करना सही है लेकिन उनके साथ वक्त गुजारना उससे भी ज्यादा जरूरी है।
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गोद लिये बच्‍चे को ऐसे करायें अपनेपन का एहसास

आपके बच्चे का चाहे कोई भी इतिहास हो, लेकिन उसे अपने माता-पिता से सुरक्षा और बहुत सारा प्यार चाहिए। अपने बच्चे के साथ प्यार भरा रिश्ता कायम करने के लिए हर माता-पिता को एक जैसे ही नियमों का पालन करना होता है फिर चाहे बच्चा उनका अपना है या फिर गोद लिया हुआ। असल में बच्चों को सिर्फ और सिर्फ प्यार की भाषा समझ आती है। यहां हम कुछ ऐसे ही टिप्स दे रहे हैं जिन्हें आजमाकर हर माता-पिता अपने गोद लिये हुए बच्चे के दिल की गहराई में घर कर सकते हैं।

 

पूर्वानुमान लगाएं

अरमान ने जब प्रीती को गोद लिया था, तब वह महज 5 साल की थी। लेकिन अरमान ने हमेशा उसके रोने, उसके हंसने, उसकी जरूरत का पूरा ख्याल रखा। इसी तरह अरमान ने गोद ली हुई बेटी प्रीती के दिल में खास बना ली। असल में प्रत्येक माता-पिता को अपने गोद लिये हुए बच्चे के साथ ऐसा ही करना चाहिए। बच्चों की प्रतिक्रिया और गतिविधियों पर ध्यान देना चाहिए। उनकी जरूरतों का पूर्वानुमान लगाना चाहिए। इसके बाद उनके दिल में घर करने में आसानी होती है।

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गोद लिया बच्चा

 

भावुक रहें

गोद लिये हुए बच्चों के साथ भावनात्मक रिश्ता स्थापित करें। ध्यान रखें कि बच्चे आपकी मैकेनिकल भाषा नहीं समझते। बच्चों को अपने माता-पिता से सिर्फ और सिर्फ भावनाओं का रिश्ता चाहिए होता। वे चाहते हैं कि पिता उनकी छाया बने और मां उनकी ममत का आंचल। ये सब तभी संभव होता है जब माता-पिता अपने गोद लिये हुए बच्चों के साथ भावनात्मक रिश्ता रखते हैं।

 

भावनाएं दिखाएं

भावनात्मक होना भर काफी नहीं होता। यह भी जरूरी है कि आप अपने गोद लिए हुए बच्चों को अपनी भावनाएं दर्शाएं। असल में बच्चे बड़ों की तरह प्रतीकात्मक चीजों को नहीं समझ सकते। उन्हें जो दिखता है, वे वही समझते हैं। बच्चों का यही जीवन है। अतः बच्चों से बातें साझा करते हुए या खेलते हुए अपनी भावनाएं अवश्य दिखाएं ताकि आपके दिल में मौजूद उनके लिए प्यार वे देख सकें।

 

अपशब्दों का इस्तेमाल न करें

चाहे आपके बच्चे को पता हो या न पता हो कि आपने उन्हें गोद लिया है। चाहे स्थिति कुछ भी हो। कभी भी उनके साथ अपशब्दों का इस्तेमाल न करें। अपशब्द उन्हें गहरे तक तोड़ देते हैं। इसके अलावा उन्हें लगने लगता है कि आप उन्हें प्यार नहीं करते। खासकर जब बात गोद लिये हुए बच्चों की हो तो वे अन्य बच्चों की तुलना में ज्यादा आहत होते हैं। ध्यान रखें कि आपका व्यवहार ही बच्चों का व्यवहार तय करता है। यदि आप उसे पराया होने का एहसास कराएंगे तो वे भी ऐसा करने से हिचकिचाएंगे नहीं।

 

बात और व्यवहार का मिलान करें

बात करने के दौरान आप यह ध्यान रखें कि आपका व्यवहार भी उससे मेल खाता हो। जरा सोचिए कि आप अपने गोद लिये हुए बच्चे से कहते हैं कि मैं तुम्हारी बहुत ज्यादा परवाह करता हूं। लेकिन दूजे ही पल आपको इस बात की खबर नहीं है कि उसने नाश्ता किया या नहीं। यह सुनने में कैसा लगता है? बेहद खराब। ऐसा करने से बचें। ऐसा करने से बच्चों को लगने लगता है कि वे आप पर बोझ हैं। जैसा कहते हैं, वैसा करें और जो कह रहे हैं, वो करते हुए दिखें।

 

उम्मीद मुताबिक छाप छोड़ें

गोद लिए हुए बच्चों की अपने माता-पिता से अन्य बच्चों की तुलना में अलग उम्मीदें होती हैं। एक ओर जहां उन्हें डर होता है, दूसरी ओर वहीं वे प्यार से भर जाना चाहते हैं। ऐसे में माता-पिता को चाहिए कि वे उम्मीद के मुताबिक बच्चों पर छाप छोड़ें। हमेशा उनका बाहें खोलकर स्वागत करें। ऐसा करने से बच्चों को लगता रहेगा कि माता-पिता उन्हें बहुत ज्याद प्यार करते हैं। वे सिर्फ दिखावा नहीं करते। इसके उलट उन्हें साथ ही जरूरत महसूस करते हैं।

 

बच्चों का हर समय ख्याल रखें

जब तक आपके गोद लिये हुए बच्चे छोटे हैं, उनके प्रति अतिरिक्त सजग रहें। उनका हर समय ख्याल रखें। इतना ही नहीं वो चाहते हैं, वो पूरा करें। लेकिन हां, उन्हें यह भी बताएं कि उनकी चाहत कितनी जायज है और कितनी नाजायज। यदि उनकी मांग नाजायज है तो उन्हें अस्वीकार करें। साथ ही यह भी ध्यान रखें कि कहीं बच्चे को यह बात आहत न कर जाए कि आप उसे हर चीज के लिए मना करते हैं। वास्तव में गोद लिये हुए बच्चों को मना करने का अंदाज अलग होना चाहिए, जिसे वे साधारण रूप में लें।

 

आई कांटेक्ट बनाए रखें

गोद लिए बच्चों के साथ हमेशा नजरें मिलाकर बातें करें। याद रखें कि गोद लिए हुए बच्चों के मन में असंख्य आशंकाएं होती हैं। उन्हें जरा भी हवा न लगने दें। अतः हमेशा उनके साथ नजरें मिलाकर बातें करें। ऐसा करने से बच्चे के मन में क्या चल रहा है, यह जानने में आपको सुविधा होगी। साथ ही आप बच्चे से क्या उम्मीदें रखते हैं, यह जानने में बच्चों को समस्या नहीं आएगी।

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शिकायतें सुनें

क्या आपको लगता है कि गोद लिए हुए बच्चे अपने माता-पिता से शिकायतें नहीं करते? अगर हां, तो आप गलते हैं। असल में सब बच्चों को अपने अपने स्तर पर अपने माता-पिता से शिकायतें होती हैं। आखिर इस दुनिया में हर कोई पर्फेक्ट नहीं होता। खासकर जब बात बच्चों की हो तो वे हर छोटी छोटी बात पर अपने माता-पिता से शिकायत करते हैं। इसे वे अपना हक समझते हैं। अतः अपने गोद लिए हुए बच्चों से यह हक न छीनें। उन्हें शिकायत करने दें और आप उनकी शिकायतें सुनें।

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