
यूपी के गोरखपुर के अस्पताल में इंसेफेलाइटिस के कारण हुई 60 बच्चों की मौत ने देश को झकझोर दिया है। हालांकि इस बीमारी का खतरा उत्तर प्रदेश के अलावा देश के बाकी राज्यों के ऊपर मंडरा रहा है। देश के अन्य 14 राज्यों में भी इस बीमारी का असर है और रोकथाम के बजाय इलाज पर ध्यान देने की वजह से यह बीमारी बरकरार है। केंद्रीय संचारी रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनवीबीडीसीपी) निदेशालय के आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, असम और बिहार समेत 14 राज्यों में इंसेफेलाइटिस का प्रभाव है, लेकिन पश्चिम बंगाल, असम, बिहार तथा उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में इस बीमारी का प्रकोप काफी ज्यादा है। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, महराजगंज, कुशीनगर, बस्ती, सिद्धार्थनगर, संत कबीरनगर, देवरिया और मऊ समेत 12 जिले इंसेफेलाइटिस से प्रभावित हैं।
एनवीबीडीसीपी के आंकड़ों के अनुसार असम में इस साल जापानी इंसेफेलाइटिस और एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम की वजह से उत्तर प्रदेश के मुकाबले ज्यादा लोगों की मौत हुई है। उत्तर प्रदेश में इन दोनों प्रकार के संक्रमणों से अब तक कुल 155 लोगों की मृत्यु हुई है, वहीं असम में यह आंकड़ा 195 तक पहुंच चुका है। पश्चिम बंगाल में इस साल अब तक 91 लोग मर चुके हैं।
उत्तर प्रदेश में वर्ष 2010 में इंसेफेलाइटिस और एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम से 553 मरीजों, 2011 में 606, वर्ष 2012 में 580, साल 2013 में 656, वर्ष 2014 में 661, साल 2015 में 521 और वर्ष 2016 में 694 रोगियों की मौत हुई थी। असम में इन वर्षों में क्रमश: 157, 363, 329, 406, 525, 395 तथा 279 मरीजों की मौत हुई थी। इस साल यह तादाद 195 तक पहुंच चुकी है। असम में जापानी इंसेफेलाइटिस से मरने वालों की तादाद उत्तर प्रदेश के मुकाबले कहीं ज्यादा है।
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