दरअसल भावनाएं हमारे व्यक्तित्व का अभिन्न अंग है। हमारे दिमाग के दो मुख्य हिस्से है एक जो तार्किक है, हर चीज को तर्क के हिसाब से ही देखता है और दूसरा भावनात्मक, जिसका तर्क से दूर-दूर तक का कोई रिश्ता ही नहीं है।
चाहे आफिस जाने वाले लोगों की बात करें या कालेज जाने वाले किशोरों की, जब आप किसी के साथ लंबे समय तक रहते हैं या काम करते है तो उसके साथ आपका भावनात्मक जुड़ाव हो जाता है। खासकर लड़कियों की भावनात्मक स्थिति ऐसी होती है कि वे भावनाओं में आसानी से बह जाती हैं। भावनात्मक जुड़ाव ज्यादातर स्थितियों में अनजाने ही होते है। लेकिन अपने पर नियंत्रण रखते हुए भावनात्मक दूरी बनाई जा सकती है। आइए जानें कैसे आप भावनात्मक लगाव पर नियंत्रण कैसे पा सकते हैं।
काम और निजी जीवन में संतुलन
चाहे आप कालेज जाने वाले किशोर हों या आफिस जाने वाले युवक या युवती हों, आपको अपने काम के स्थान और अपनी निजी जिंदगी के बीच संतुलन बनाकर रखना चाहिए।
भावनात्मक रूप से मजबूत
आपको मानसिक और भावनात्मक रूप से मजबूत होना चाहिए जिससे आप किसी भी प्रकार के भावनात्मक लगाव पर नियंत्रण पा सकें। ऑफिस में अनजान व्यक्तियों से भावनात्मक जुड़ाव कम ही होना चाहिए। ऐसा करके आप अपने काम को बखूबी निभा सकेंगे साथ ही आफिस की गासिप से भी बच सकते हैं।
भावनाओं में बहकर निर्णय न लें
महिला हो या पुरूष उन्हें भावनाओं में बहकर निर्णय न लेकर व्यवहारिक होते हुए किसी भी नतीजे पर पहुंचना चाहिए। किसी से मित्रता करने में कोई बुराई नहीं है लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि मित्रता के चक्कर में अपने दोस्त की गलत बातों में भी हां में हां मिलाई जाए।
अतिरिक्त सतर्क रहें
महिलाओं को खासतौर पर अतिरिक्त सतर्क रहने की जरूरत होती है। जब भी कोई महिला अपने काम में सफल होती है तो हर किसी को अच्छा लगता है और लोग प्रभावित होकर उसकी तरफ दोस्ती का हाथ तक बढ़ा देते है लेकिन इसमें समझदारी दिखाना ही अच्छा रहता है। किसी से भी मित्रता बढ़ाने के पहले उसकी पिछली पृष्ठभूमि पता कर लेनी चाहिए। ताकि बाद में होने वाले तनाव और अन्य समस्याओं से बचा जा सकें।
जिंदगी में सुकून, शांति से रहने और सफल होने के लिए जरुरी है की हम उपयुक्त निर्णय ले सके और इसके लिए जरुरी है की हम भावनात्मक रूप से मजबूत हों।
Image Source : Getty
Read More Articles on Relationship in Hindi