आपमें से ज्यादातर लोगों ने 'पेट का रास्ता दिल से होकर जाता है' वाली कहावत जरूर सुनी होगी लेकिन क्या आपको पता है कि आपके दिमाग का भी रास्ता पेट से ही होकर गुजरता है? मानसिक स्वास्थ्य का पेट के स्वास्थ्य से सीधा कनेक्शन होता है जिसे अंग्रेजी में गट-ब्रेन कनेक्शन (Gut-Brain Connection) कहा जाता है। अगर हमारे पेट में किसी भी प्रकार की दिक्कत होती है तो इसकी वजह से शरीर मानसिक रूप से सुस्त और तनावग्रस्त होने लगता है। पेट को शरीर के दूसरे दिमाग के रूप में भी जाना जाता है, दिमाग को बेहतर और स्वस्थ रखने के लिए पेट का स्वस्थ होने जरूरी होता है। गट-ब्रेन कनेक्शन के पीछे क्या कारण होते हैं? दिमाग और पेट कैसे काम करते हैं? आइये विस्तार से जानते हैं इसके बारे में।
पेट और दिमाग का कनेक्शन (Gut-Brain Connection)
पेट और दिमाग के बीच कनेक्शन में सबसे अहम भूमिका गट-ब्रेन एक्सिस की होती है जो आपके आंतों को मस्तिष्क को जोड़ता है। इसलिए मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं में और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल दिक्कतें जैसे ईर्ष्या, अपच, एसिडिटी, सूजन, दर्द, कब्ज, दस्त होने के बीच एक मजबूत संबंध होता है। शरीर में एंडोक्राइन पाथवे, न्यूरो पाथवे और इम्यून पाथवे के सहारे पेट, मस्तिष्क से जुड़ा होता है। इन्हीं का इस्तेमाल करते हुए शरीर पेट और मस्तिष्क के बीच संचार करता है। अक्सर लोग बटरफ्लाई इन द स्टमक जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते हैं असल में यह स्थिति पेट और दिमाग के संबंध के कारण ही बनती है। यही वजह है कि अगर कोई भी व्यक्ति पेट से जुडी समस्याओं से जूझ रहा है तो उसका मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है और अगर मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी कोई समस्या होती है तो इसका असर पेट पर भी देखने को मिलता है। न्यूरॉन्स युक्त एंटेरिक नर्वस सिस्टम के सहारे हमारे शरीर के कार्यान्वयन में बड़ी भूमिका निभाता है। इसी सिस्टम के सहारे सभी संचार पेट और दिमाग के बीच में होते हैं और पेट से जुड़ी समस्या होने पर इसका सीधा संदेश दिमाग तक जाता है।
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पेट और दिमाग के संबंध की वजह से होने वाली समस्याएं (Problems Due to Gut-Brain Connection)
किसी भी व्यक्ति को अगर पेट से जुड़ी दिक्कत काफी समय से है तो इसकी वजह से उसके मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है। गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सिस्टम की वजह से लोगों को मानसिक दिक्कतें जैसे अवसाद, चिंता और डिप्रेशन का सामना करना पड़ सकता है। अगर किसी भी व्यक्ति को बचपन से ही पेट से जुड़ी समस्याएं हैं तो उनमें मानसिक समस्याओं के होने का खतरा बढ़ जाता है।
पेट से जुड़ी समस्या (Gastrointestinal Problems)
चूंकि हमारे शरीर का गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सिस्टम दूसरे दिमाग के रूप में भी जाना जाता है और इसका सीधा संबंध दिमाग के स्वास्थ्य से होता है, इसलिए इन समस्याओं में मानसिक दिक्कतों के होने का खतरा अधिक होता है।
- - कब्ज
- - अपच
- - एसिडिटी
- - इरिटेबल बाउल सिंड्रोम
पेट की समस्या का मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव (Mental Problems Due to Gut-Brain Connection)
एंज़ायटी, डिप्रेशन, डिप्रेसिव डिसऑर्डर, सिरदर्द जैसी समस्याओं के पीछे काफी समय तक रहने वाली कब्ज, अपच और पेट से जुड़ी दूसरी समस्या भी हो सकती है। पेट की वजह से होने वाली मानसिक समस्याएं इस प्रकार से हैं।
- - ऑटिज़्म
- - डिप्रेशन
- - सिरदर्द
- - एडीएचडीएडीएचडी
- - स्किज़ोफ्रेनिया
- - पैनिक अटैक
इन समस्याओं से बचने के उपाय (Ways to Avoid These Problems)
पेट और दिमाग के संबंध की वजह से इन दोनों से जुड़ी समस्याओं का एक दूसरे पर सीधा असर होता है। गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल और मानसिक समस्याओं से बचने के लिए हम अपने जीवनशैली में इन बातों का ध्यान रख सकते हैं।
खानपान में सुधार
इन समस्याओं से बचने के लिए खानपान में सुधार करना बेहद जरूरी होता है। फाइबर युक्त और प्रोबायोटिक फूड का सेवन ऐसी स्थिति में फायदेमंद माना जाता है।
नियमित व्यायाम
व्यायाम हमारे पाचन तंत्र और आंत के लिए फायदेमंद होता है। नियमित व्यायाम करने से इन समस्याओं के अलावा शरीर की कई अन्य समस्याओं पर भी काबू पाया जा सकता है।
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तनाव को कम करें
तनाव और चिंता आदि की स्थिति पर कंट्रोल करने से इन समस्याओं में फायदा मिलेगा।
इसके अलावा गट-ब्रेन कनेक्शन की वजह से होने वाली दिक्कतों में चिकित्सक से इलाज की भी आवश्यकता पड़ती है। अधिकतर ऐसी समस्याओं में साइकेट्रिस्ट की सहायता भी लेनी पड़ती है।अगर आपको भी ऊपर बताई गयी समस्याओं में से कोई दिक्कत है तो चिकित्सक की सहायता जरूर लें।
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