मानसून के मौसम में लोग ज्यादा बीमार पड़ते हैं, जिसकी सबसे बड़ी वजह है कि इस मौसम में नमी और गंदगी के कारण ज्यादा वायरस पनपते हैं, जो कि कई तरह के गंभीर संक्रमणों का कारण बनते हैं। इस मौसम में अगर किसी व्यक्ति के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी कमजोर होती है तो वह व्यक्ति जल्दी बीमारी और संक्रमण की चपेट में आ सकता है। इस मौसम में पेट से जुड़ी समस्याओं में भी इजाफा होता है। दरअसल, मानसून के मौसम में दूषित पानी और संक्रमित भोजन का सेवन करने से पेट की समस्याएं हो सकती हैं। कई लोगों का सवाल होता है कि क्या बरसात के मौसम में पाचन कमजोर होता है? इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए हमने रामहंस चेरिटेबल हॉस्पिटल के आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा (Ayurvedic doctor Shrey Sharma from Ramhans Charitable Hospital) से बात की है।
क्या बरसात के मौसम में पाचन कमजोर होता है?
डॉक्टर श्रेय ने बताया कि ग्रीष्म और वर्षा दोनों ही ऋतुओं में पाचन कमजोर हो जाता है। लेकिन मानसून यानी वर्षा ऋतु के दौरान पाचन सबसे ज्यादा कमजोर रहता है। बरसात के मौसम में वात दोष बढ़ने के कारण भी शरीर में पाचन तंत्र में असंतुलन हो सकता है।
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मानसून में कमजोर पाचन तंत्र को ठीक कैसे करें?
डॉक्टर ने बताया कि इस मौसम में पाचन से जुड़ी समस्याओं से बचने के लिए लोगों को हल्का और सुपाच्य भोजन करना चाहिए। अगर आप रोजाना गेहूं की रोटी खाते हैं तो गेहूं के आटे में 50 प्रतिशत हल्का अनाज मिलाकर रोटिया बनाएं। जिन लोगों को इस मौसम में ज्यादा पाचन की दिक्कत रहती है उन्हें जौ के आटे की रोटियां खानी चाहिए। ऐसा इसलिए, क्योंकि जौ का आटा हल्का और सुपाच्य होता है। आयुर्वेद में वर्षा ऋतु के दौरान बेसन, रागी और मक्का जैसे भारी अनाजों का सेवन निषेध बताया गया है, ऐसे में इस तरह के भारी अनाजों का सेवन बंद कर देना चाहिए। इस मौसम में दिनभर में सिर्फ 2 बार भोजन करें और भोजन में हल्की चीजों को शामिल करें।
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डॉक्टर ने बताया कि इस मौसम में फलों में जामुन, नाशपाती, नख और बब्बूगोशा जैसे मीठे फलों का सेवन करना चाहिए। ये सभी फल डाइजेशन को बेहतर करने में सहायक होते हैं और शरीर में पित्त का शमन करते हैं। सलाद में खीरा खाया जा सकता है लेकिन इस मौसम में आम का सेवन बंद कर देना चाहिए। ऐसा इसलिए, क्योंकि आम का सेवन शरीर में पित्त को बढ़ा सकता है। इस मौसम में दिनभर में पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं, जिससे शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स की संतुलन बना रहे। इसके साथ ही पर्याप्त नींद के साथ योग और व्यायाम करने से पाचन प्रक्रिया में सुधार हो सकता है। पवनमुक्तासन, भुजंगासन और वक्रासन पेट के रोगों को दूर करने में सहायक हो सकते हैं और खाने को अच्छे से पचाने में मदद कर सकते हैं।
मानसून के दौरान बदलते मौसम के कारण शारीरिक समस्याएं भी बढ़ जाती हैं और इस अवधि में पाचन तंत्र कमजोर हो सकता है। अगर आप इस समस्या से परेशान हैं, तो आयुर्वेद के ये सरल उपाय अपनाकर आप अपने पाचन तंत्र को सुधार सकते हैं।
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