आपकी कोई दोस्त पहले काफी मोटी थी, फिर एक डाइट प्लान को फॉलो करके वो एकदम फिट और स्लिम हो जाती है। आप उससे प्रेरित होते हैं और उसी की तरह बनने के लिए आप भी वही डाइट फॉलो करने लगते हैं। लेकिन क्या वही डाइट आपके लिए भी फायदेमंद हो सकती है? क्या जो डाइट एक को फायदा पहुंचाता है, वो सभी के लिए फायदेमंद हो सकता है? तो इसका जवाब है नहीं। क्योंकि सबके शरीर की अलग-अलग बनावट होती है, सबका शरीर अपने हिसाब से उसे पचाता है और उसके पोषक तत्वों को ग्रहण करता है। आयुर्वेद के अनुसार सभी लोगों के शरीर की प्रकृति अलग-अलग होती है, ऐसे में अपनी प्रकृति के अनुसार ही भोजन करना चाहिए। प्रकृति के विपरीत भोजन करने से शरीर में कई गंभीर बीमारियां जन्म ले लेती हैं। इस बारे में विस्तार से जानने के लिए हमने आरोग्य एवं न्यूट्रीशन क्लीनिक की आयुर्वेदिक डायटीशियन डॉक्टर सुगीता मुटरेजा से बातचीत की-
सबका मेटाबॉलिज्म अलग होता है (Everyone's Metabolism is Different)
डॉक्टर सुगीता मुटरेजा बताती हैं कि एक ही डाइट कभी भी सबको फायदा नहीं पहुंचा सकती है। सबके शरीर का मेटाबॉलिज्म अलग-अलग होता है, ऐसे में उसी के हिसाब से किसी भी चीज का सेवन करना चाहिए। एक परिवार के लोगों का मेटाबॉलिज्म भी अलग-अलग होता है। उदाहरण के लिए अगर घर के सभी सदस्यों ने गोभी की सब्जी खाई तो उससे किसी को कोई समस्या नहीं होती, लेकिन वहीं एक को गोभी की सब्जी खाने से पेट में गैस की समस्या होने लग जाती है। यहां तक कि जुड़वा बच्चों का शरीर भी अलग-अलग होता है। यह जरूरी नहीं है कि अगर एक चीज एक बच्चे ने पचा ली तो दूसरा भी उसे पचा लेगा। कुछ लोग सलाद खाकर ही अपना कई किलो वजन कम कर लेते हैं और फिट हो जाते हैं, लेकिन कुछ लोगों को सलाद खाने के बाद कब्ज की समस्या होने लगती है, क्योंकि उनके शरीर में गैस बढ़ जाती है।
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अपने प्रकृति के अनुसार करें भोजन (Eat According to Your Nature)
आयुर्वेद के अनुसार शरीर वात, पित्त और कफ प्रकृति से बना होता है। ऐसे में हमेशा अपनी प्रकृति के अनुसार ही भोजन करना चाहिए। इसके विपरीत भोजन करने से शरीर गंभीर रोगों का घर बन जाता है। आप पहले अपने शरीर की प्रकृति की जांच कर लें, इसके बाद उसी के अनुकूल कोई भी भोजन ग्रहण करें। इन तीन प्रकृतियों को कॉम्बिनेशन भी शरीर में हो सकता है- जैसे वात और पित्त, कफ और वात, कफ और पित्त। आयुर्वेद में अपनी प्रकृति के आधार पर ही भोजन करना चाहिए, क्योंकि आपके शरीर में जो प्रकृति ज्यादा है, उसे अंसुलित करने से बचना चाहिए।
वात प्रकृति (Vata Prakriti)
वात प्रकृति के लोग अगर बाहर का तला-भुना खाना, प्रोसेस्ड फूड, बेकरी प्रोडक्ट खाएंगे तो इससे उन्हें कई तरह की समस्याएं होनी शुरू हो जाती हैं। इससे उन्हें कब्ज, अपच और हेयर फॉल की समस्या होना शुरू हो जाएंगी।
पित्त प्रकृति (Pitta Prakriti)
पित्त प्रकृति यानी शरीर में गर्मी बहुत ज्यादा मात्रा में होती है। अगर जिन लोगों के शरीर में गर्मी बढ़ी हुई है, वे ज्यादा मिर्च-मसाला खाएंगे तो इससे पित्त बढ़ जाता है। इससे हार्ट बर्न, एसिडिटी, मुंह में छाले और त्वचा रोग होने शुरू हो जाते हैं।
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कफ प्रकृति (Cough Prakriti)
कफ प्रकृति के लोगों को ठंडी चीजें, दूध-दही से बनी चीज खाने से बचना चाहिए। इनके सेवन से शरी में कफ बढ़ जाता है, जिससे उन्हें खांसी-जुकाम होने लगता है और वजन भी बढ़ने लगता है।
कैसे करें खाने को बैलेंस (How to Balance Food)
अगर वात प्रकृति वाले को सलाद खाना है, तो सिंपल सलाद न खाकर वह सलाद में तेल, नींबू, जीरा और काली मिर्च डालकर इसे खा सकते हैं। इससे शरीर में वात नहीं बढ़ेगा। वहीं अगर कफ प्रकृति वाले को दूध पीना है, तो सिंपल दूध न देकर उसे हल्दी वाला दूध दिया जा सकता है। इससे शरीर में कफ नहीं बढ़ेगा।
क्या पित्त प्रकृति के लिए सही है काढ़ा पीना ( Kadha for Pitta Prakriti)
कोरोना वायरस से अपना बचाव करने के लिए आजकल हर कोई काढ़ा पी रहा है। लेकिन क्या काढ़ा पीना सभी पित्त प्रकृति के लिए फायदेमंद होता है? काढ़ा काफी गर्म होता है, ऐसे में पित्त प्रकृति वालों को काढ़ा पीने से त्वचा में रैशेज, जलन, मुहं में छालों की समस्या हो सकती है।
अगर आपको अपने शरीर की प्रकृति नहीं पता है, तो आप एक बार अपने आयुर्वेदिक डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं। वे आपको आपकी प्रकृति पहचानने में मदद कर सकते हैं। इससे आप अपनी प्रकृति के अनुसार खाना खा सकते हैं। प्रकृति के अनुसार भोजन करने से शरीर में रोग उत्पन्न नहीं होते हैं। इनके अलावा भी कई ऐसी चीजें हैं, जो अपनी प्रकृति के अनुसार ही लेनी चाहिए।
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