क्या प्लाज्मा डोनेट करने से सेहत को होता है कोई नुकसान? डॉक्टर और डोनर से समझें क्या है प्लाज्मा डोनेशन

प्लाज्मा डोनेट करना पुण्य का काम है। इसे डोनेट करने से घबराएं नहीं। प्लाज्मा डोनेट करके आप अकेले कई लोगों की जान बचा सकते हैं।
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क्या प्लाज्मा डोनेट करने से सेहत को होता है कोई नुकसान? डॉक्टर और डोनर से समझें क्या है प्लाज्मा डोनेशन


‘’मैं चार बार प्लाज्मा डोनेट कर चुका हूं। प्लाज्मा डोनेट करने के बाद वापस ड्यूटी भी जॉइन की है। इसे डोनेट करने से कोई नुकसान नहीं होता है।’’ दिल्ली के नरेला में पोस्टिड हेड कांस्टेबल शंकर ने ऑन्ली माई हेल्थ को अपने प्लाज्मा दान करने के अनुभवों (Plasma Donation Experience) के बारे में बताया। वे बताते हैं कि ‘’प्लाज्मा डोनेट करने के बाद कोई कमजोरी नहीं होती है। इसे डोनेट करने से लोगों की जान बचती है। प्लाज्मा को लेकर लोगों में भ्रम है। पर इसे डोनेट करने से कोई नुकसान नहीं होता है।’’ आज के इस लेख में हम जानेंगे उन लोगों के अनुभव जिन्होंने प्लाज्मा डोनेट किया। साथ ही जानेंगे कि यह डोनेशन कैसे होता है और डॉक्टर से जानेंगे कि प्लाज्मा कोरोना मरीज की कैसे मदद करता है। 

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क्या प्लाज्मा डोनेशन से बच रहीं कोविड मरीजों की जान?

कोरोना की दूसरी लहर (Second Wave Of Corona In India) लोगों को शारीरिक और मानसिक दोनों रूपों में प्रभावित कर रही है। मेडिकल व्यवस्था में संसधानों की कमी लोगों में पैनिक डाल रही है। ऑक्सीजन व ऑक्सीजन सिलेंडेर की कमी, अस्पतालों में बेड्स की कमी जैसी कई परेशानियां हैं जो अब लोगों को झेलनी पड़ रही हैं। इसी बीच एक बार फिर से प्लाज्मा डोनेशन की मांग बढ़ गई है। हालांकि अभी तक यह तय नहीं हुआ है कि क्या प्लाज्मा थेरेपी कोरोना का इलाज है, पर मुंबई में अपना क्लिनिक चलाने वाली डॉक्टर वंदना तिवारी का मानना है कि जब तक कोरोना की कोई नई दवा नहीं आ जाती तब तक प्लाज्मा से काम चलाना पड़ेगा। पर यह देखा गया है कि जिन लोगों को प्लाज्मा दिया जा रहा है उनकी रिकवरी जल्दी हो रही है। 

क्या है प्लाज्मा डोनेशन?

प्लाज्मा डोनेशन (Plasma donation) एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें कोरोना से ठीक हुआ व्यक्ति किसी दूसरे संक्रमित व्यक्ति को अपना प्लाज्मा दान करके उसकी जान बचा सकता है। डॉक्टर वंदना तिवारी ने प्लाज्मा थेरेपी के बारे में बताया कि हमारे शरीर में जो ब्लड होता है उसमें लाल रक्त कोशिकाएं, प्लेटलेट्स और प्लाज्मा होता है। प्लाज्मा पानी होता है। 70 फीसद हमारा खून पानी से बना होता है। जो 70 फीसद पानी वो प्लाज्मा है। प्लाज्मा में 92 फीसद पानी, प्रोटीन, ग्लुकोज, मिनरल, हार्मोन, कार्बनडाइऑक्साइज होता है। हमारे शरीर में 65 फीसद प्लाज्मा है। 

जब हम कोरोना से संक्रमित हो जाते हैं तब हमारे शरीर में एंटीबॉडी बनती हैं। वो एंटीबॉडी ब्लड में सर्कुलेट होती रहती हैं। रिकवर होने के 21 दिन बाद आप प्लाज्मा डोनेट कर सकते हैं। जिस व्यक्ति के प्लाज्मा में कोरोना की एंटीबॉडी बन जाती है उसका प्लाज्मा दूसरे संक्रमित व्यक्ति में चढ़ाया जाता है, इस तरह यह कोरोना से ठीक होने में मदद करता है। वे कहती हैं कोरोना से बचने के लिए लोगों को प्लाज्मा दान करने को लेकर जागरुक करना होगा। 

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क्या प्लाज्मा डोनेट करने से कोई साइड इफैक्ट होता है?

प्लाज्मा डोनेट करने वाले कांस्टेबल कुलदीप दुहूं दिल्ली पुलिस में कार्यरत हैं। वे अब तक तीन बार प्लाज्मा डोनेट कर चुके हैं। वे अपने प्लाज्मा डोनेट करने के अनुभव को साझा करते हुए कहते हैं कि प्लाज्मा दान करना पुण्य का काम है। अगर मेरी वजह से किसी की जान बच जाए तो अच्छी बात है। प्लाज्मा देने से कोई कमजोरी नहीं आती। प्लाज्मा देना अच्छी बात है। उन्होंने बताया कि 9 जून,2020 को वे पॉजिटिव हुए फिर 20 जुलाई के बाद नेगेटिव हो गए। उसके बाद तीन बार प्लाज्मा डोनेट किया। उन्होंने दिल्ली के अग्रेसन, मैक्स और शालीमार बाग अस्पताल में में प्लाज्मा डोनेट किया है। वे बताते हैं कि डॉक्टर मशीन से खून निकालते हैं फिर उसमें से प्लाज्मा निकालकर फिर वो ब्लड वापस शरीर में चढ़ा देते हैं। 

डॉक्टर वंदना का कहना है कि प्लाज्मा को डोनेट करने से कोई साइड इफैक्ट नहीं होता है। डोनेशन कोई भी कर सकता है। प्लाज्मा रिसिविंग में डॉक्टर आपके ब्लड ग्रूप के हिसाब से रिसिव करता है। प्लाज्मा रिसिव करने के बाद भी कोई साइड इफैक्ट नहीं होता है। सिर्फ हार्ट पेशेंट के अगर फेफड़े बहुत कमजोर हैं, तब उन मरीजों की ज्यादा देखभाल करनी पड़ती है।

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प्लाज्मा कोरोना पर कैसे काम करता है?

डॉक्टर वंदना तिवार ने बताया कि शरीर में कोरोना का वायरस आने के बाद शरीर उस वायरस को पहचान लेता है। जिसके बाद वह उसके खिलाफ शरीर एंटीबॉडी बना लेता है। 92 दिनों तक शरीर में एंटीबॉडी घूमते रहते हैं। तो इस बीच में अगर आप वापस कोरोना वायरस से डिटेक्ट होते हैं, तब आपका शरीर इस वायरस को पहचान चुका होता है। अब वो उससे लड़ने के लिए तैयार होता है। प्लाज्मा में ये एंटीबॉडी घूमते रहते हैं। संक्रमित होने के बाद प्लाज्मा एंटीबॉडी से रिच हो जाता है। प्लाज्मा देने से फाइट बैक मेकेनिज्म तेज हो जाता है। वे कहती हैं कि प्लाज्मा से मदद हो रही है। पर वायरस खत्म नहीं हो रहा है।

कौन कर सकता है प्लाज्मा डोनेट?

  • प्लाज्मा वही व्यक्ति डोनेट कर सकता है जिसको पहले कोरोना हुआ हो और नेगेटिव होने की रिपोर्ट साथ हो। 
  • कोरोना वायरस से ठीक हो चुके लोग 28 से 30 दिन बाद प्लाज्मा डोनेट कर सकते हैं। 
  • प्लाज्मा दान करते समय कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव होने के साथ-साथ आधार कार्ड की कॉपी भी साथ होनी चाहिए।
  • 18 साल से ऊपर वाले और 60 साल के स्वस्थ व्यक्ति भी प्लाज्मा डोनेट कर सकते हैं।
  • जिनके शरीर में एंटीबॉडी बन गए हैं और उसकी रिपोर्ट उनके पास है तो वे भी है प्लाज्मा डोनेट कर सकते हैं। 
  • सिर्फ गर्भवती महिलाएं और किडनी, कैंसर, लिवर, डायबिटीज और हार्ट के मरीज प्लाज्मा डोनेट नहीं कर सकते हैं। इसके अलावा भी अगर कोई गंभीर बीमारी है तो भी प्लाज्मा डोनेट कर नहीं कर सकते।

कोरोना से बचाव के लिए दवाओं पर अभी भी ट्रायल चल रहे हैं। लेकिन प्लाज्मा थेरेपी अभी भारत में काम आ रही है। विशेषज्ञों ने देखा है कि जिन लोगों को प्लाज्मा थेरेपी दी जा रही है वे जल्दी ठीक हो रहे हैं। प्लाज्मा डोनेट करना पुण्य का काम है। अगर आप भी संक्रमित हो चुके हैं तो देर न करें प्लाज्मा जरूर डोनेट करें। आपका प्लाज्मा कई लोगों की जान बचा सकता है। 

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