प्लाज्मा डोनर के प्लाज्मा डोनेट करने के 3-4 महीने बाद ही नष्ट हो जाते हैं कोविड-19 के एंटीबॉडीज: रिसर्च

हाल में हुए एक अध्‍ययन में पाया गया है कि प्लाज्मा डोनेट करने के 3 से 4 महीने बाद कोविड-19 के एंटीबॉडी गायब या नष्‍ट होना शुरू हो जाते हैं। 
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प्लाज्मा डोनर के प्लाज्मा डोनेट करने के 3-4 महीने बाद ही नष्ट हो जाते हैं कोविड-19 के एंटीबॉडीज: रिसर्च

जैसा कि कोरोनोवायरस दुनिया भर में फैल रहा है, ऐसे में प्लाज्मा ट्रीटमेंट एक मात्र आशा की किरण है, जो गंभीर रूप से बीमार COVID-19 रोगियों को इससे ठीक होने में मदद कर सकती है। क्‍योंकि इस ट्रीटमेंट की कोशिश कोविड-19 रोगियों की स्थिति में सुधार और रिकवरी को बढ़ावा देने के लिए की जाती है। हालांकि यह रिकवरी को तेज कर सकता है, लेकिन एंटीबॉडी शरीर में तीन महीने से अधिक नहीं रह सकती हैं। ऐसा हम नहीं हाल में हुए एक नए अध्ययन में पाया गया है। जिसमें शोधकर्ताओं का मानना है कि कुछ महीनों में एंटीबॉडी प्लाज्मा में गिरावट आती है। आइए यह रिसर्च क्‍या है, इस बारे में विस्‍तार से जानने के लिए इस लेख को आगे पढ़ें। 

COVID-19 Antibodies

संकट के बीच और टीकों की सख्त जरूरत में प्लाज्मा थेरेपी आशा की किरण लेकर आई। इस उपचार के साथ कई लोगों की जान बचाई गई है, लेकिन वैज्ञानिकों ने पाया है कि इस थेरेपी के साथ रोगी को दिए गए एंटीबॉडी लंबे समय तक नहीं रह सकते हैं और कुछ महीनों के भीतर गिर सकते हैं। प्लाज्मा थैरेपी (Convalescent Plasma Therapy) की प्रभावकारिता हमेशा एक बहस का विषय रही है, लेकिन यह एकमात्र समाधान है जो फिलहाल कोरोनावायरस से निपटने या उभरने के लिए अभी हमारे पास है।

क्या डोनेटेड प्लाज्मा थेरेपी प्रभावी है?

पत्रिका 'ब्लड' ने एक अध्ययन प्रकाशित किया है, जिसके अनुसार देखा गया है कि डोनर के ब्‍लड प्‍लाज्मा में मौजूद एंटीबॉडी 3-4 महीने के भीतर कम होने लगती हैं। ये एंटीबॉडी शरीर में उत्पन्न होते हैं, जब व्यक्ति किसी संक्रमण से ग्रस्‍त होता है। ये प्राकृतिक रूप से उत्पादित एंटीबॉडीज़ प्लाज्मा में महीनों और सालों तक बने रहते हैं, लेकिन यह प्लाज्मा थैरेपी (Convalescent Plasma Therapy) में ऐसा नहीं हो सकता है। यह एक ठीक हुए या रिकवर हुए व्यक्ति द्वारा किसी बीमार व्यक्ति को शरीर की संक्रमण से लड़ने की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए डोनेट किया गया प्लाज्मा है।

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कनाडा के हेमा-क्यूबेक ब्लड सेंटर से इस अध्ययन के लेखक रेनी बाजीन कहते हैं: “जबकि कोविड-19 के इलाज के लिए कई क्लिनिकल परीक्षण इस बात को समझने के लिए चल रहे हैं कि क्या प्लाज्मा थैरेपी (Convalescent Plasma Therapy) कोविड के इलाज के रूप से फायदेमंद है। एक महत्वपूर्ण सवाल यह है कि किस समय बिंदु यह एंटीबॉडी से मौजूद डोनर प्लाज्मा को इकट्ठा करने के लिए सबसे प्रभावी है जो वायरस से लड़ने में मदद करता है। उनका कहना है, हमारे निष्कर्षों के आधार पर, नए कोरोनोवायरस के खिलाफ एंटीबॉडी शाश्वत नहीं हैं। "

शोधकर्ताओं के इस निष्कर्ष पर आने से पहले व्यापक अध्ययन किया गया था। जो लोग एक निश्चित समय या अवधि के बाद सेरोपोसिटिव (एंटीबॉडी की उपस्थिति) सेरोनोगेटिव हो गए थे। यह समय के साथ एंटीबॉडी में गिरावट को दर्शाता है।

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COVID-19 Antibodies in Donated Plasma Blood Decline After 3-4 Months

डॉ. बाजीन ने कहा, “एंटीबॉडी तेजी से गायब हो जाते हैं, इसलिए COVID -19 से उबरने वाले लोग, जो ब्‍लड प्लाज्मा डोनेट करना चाहते हैं, उन्हें डोनेट करने के योग्य बनने के बाद बहुत लंबा इंतजार नहीं करना चाहिए। हमारे निष्कर्षों के आधार पर, डॉक्‍टरों को आदर्श रूप से प्लाज्मा का उपयोग करना चाहिए, जो डोनर के लक्षणों  की शुरुआत के बाद जल्दी से एकत्र किया जाता है और एक मरीज को डोनर का प्लाज्मा देने से पहले उसके एंटीबॉडी की उपस्थिति की जांच करनी चाहिए। ”

यह खोज उपचार के बाद COVID-19 के पुन: संक्रमण की रोकथाम में मदद कर सकती है। 

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