Does asthma disappear as kids grow older myth vs fact: अस्थमा श्वसन तंत्र से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है। अस्थमा (Asthma) फेफड़ों की वायु मार्ग (airways) में सूजन के कारण होता है। अस्थमा के मरीजों को सांस लेने में तकलीफ, सांस लेते वक्त घरघराहट और गंभीर मामले सीने में जकड़न की परेशानी होती है। आधुनिक भारत में आज भी जब कोई बच्चा अस्थमा से परेशान होता है, तो लोग कहते हैं- 'कोई बात नहीं जैसे-जैसे उम्र बढ़ेगी अस्थमा अपने आप ही ठीक हो जाएगा।'
भारतीय समाज और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में फैली इस प्रकार की भ्रांतियों को दूर करने के लिए हर साल 6 मई को वर्ल्ड अस्थमा डे (World Asthma Day 2025) मनाया जाता है। वर्ल्ड अस्थमा डे के खास मौके पर हम आपको बताने जा रहे हैं, उम्र बढ़ने के साथ अस्थमा ठीक हो जाता है या नहीं (Does asthma disappear as kids grow older)।
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क्या उम्र के साथ अस्थमा ठीक हो जाता है?
डॉ. सपना यादव, वरिष्ठ सलाहकार - पल्मोनोलॉजी, सर्वोदय अस्पताल, ग्रेटर नोएडा वेस्ट (Dr. Sapna Yadav, Senior Consultant - Pulmonology, Sarvodaya Hospital , Greater Noida West) के अनुसार, अस्थमा लंबे समय तक रहने वाला क्रोनिक रोग है। अस्थमा बच्चों और बुजुर्गों दोनों को प्रभावित करता है। बच्चों के उम्र बढ़ने के साथ ठीक होने की मुख्य धारण इसलिए बनी, क्योंकि कई बार कई बार छोटे बच्चों में अस्थमा जैसे लक्षण समय के साथ कम हो जाते हैं या पूरी तरह से गायब हो जाते हैं। कुछ बच्चों में अस्थमा उम्र बढ़ने के साथ ठीक होने की मुख्य वजह फेफड़ों का विकास और उम्र के साथ होने वाली मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ना है। जैसे-जैसे बच्चों की उम्र बढ़ती है, उनमें एलर्जी पर प्रतिक्रिया कम हो जाती है, जिससे अस्थमा के लक्षण कम हो जाते हैं।
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हालांकि इसका मतलब यह है कि अस्थमा पूरी तरह से ठीक हो चुका है। बच्चों की उम्र बढ़ने के साथ अस्थमा के ठीक होने को "निष्क्रिय अवस्था (remission)" कहा जाता है। यानि किसी अन्य कारण से अस्थमा दोबारा ट्रिगर हो जाता है और बच्चे को दोबारा प्रभावित कर सकता है।
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क्या अस्थमा पूरी तरह से ठीक हो सकता है?
डॉ. सपना यादव ने कहा, बच्चों और वयस्कों में अस्थमा के लक्षणों व परेशानियों को मैनेज किया जा सकता है। लेकिन अस्थमा को पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता है। अस्थमा के कुछ मामलों में लक्षण इतने हल्के हो सकते हैं कि व्यक्ति सोचता है कि अस्थमा खत्म हो गया है, लेकिन अंदरूनी सूजन बनी रहती है। सूजन के कारण भविष्य में परेशानियां न हो, इसे मैनेज करने के लिए अस्थमा के मरीजों को नियमित तौर पर दवाएं, जीवनशैली, खानपान और रोजमर्रा की आदतों को सुधारने की सलाह दी जाती है।
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बच्चों में अस्थमा को कैसे मैनेज करें?
- बच्चों को अस्थमा होने पर घर की साफ-सफाई का ध्यान रखें। धूल, मिट्टी के कण और पालतू जानवरों के बाल अस्थमा के लक्षणों को ज्यादा ट्रिगर कर सकते हैं।
- बच्चे जिस बिस्तर पर सोते हैं, उनकी चादर और तकिया को नियमित तौर पर धोएं। ऐसा करने से गंदगी बच्चों के नाक में नहीं जाती है।
- स्वयं धूम्रपान न करें और धूम्रपान वाले क्षेत्रों से बच्चों को दूर रखने की कोशिश करें।
- वायु प्रदूषण से बचाव के लिए घर में एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें। एयर प्यूरीफायर गंदगी और धूल -मिट्टी से बचाव करते हैं।
- बच्चे को इनहेलर का सही तरीका सिखाएं (स्पेसर के साथ देना आसान होता है), ताकि अस्थमा ट्रिगर होने पर उसे कंट्रोल करना आसान हो।
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निष्कर्ष
डॉक्टर के साथ बातचीत के आधार पर हम यह कह सकते हैं कि बच्चों को होने वाला अस्थमा उम्र के साथ स्वयं ही ठीक नहीं होता है, बल्कि कुछ मामलों में लक्षणों में कमी आ सकती है या रोग "निष्क्रिय" हो जाता है। अगर आपके परिवार या आस-पड़ोस में किसी व्यक्ति को अस्थमा है, तो उसके मन से इस धारणा को पूरी तरह से निकालने की कोशिश करें। अस्थमा के मरीजों को खानपान, जीवनशैली का विशेषतौर पर ध्यान रखना चाहिए।
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FAQ
अस्थमा का पक्का इलाज क्या है?
अस्थमा (Asthma) एक श्वसन रोग है। जीवनशैली, खानपान और रोजमर्रा की छोटी-छोटी आदतों में बदलाव करके इसे मैनेज किया जा सकता है। लेकिन इसे पूरे तरह से ठीक किया नहीं किया जा सकता है।अस्थमा के कारण क्या हैं?
किसी भी व्यक्ति को अस्थमा होने के मुख्य कारण हैं : 1. जेनेटिक- माता-पिता को अस्थमा है, तो बच्चों को इस बीमारी के होने की संभावना ज्यादा रहती है।2. धूल- हवा में मौजूद धूल के करण, परागकण, फंगल स्पोर्स और पालतू जानवरों के बालों के संपर्क में रहने से भी अस्थमा हो सकता है।3. वायु प्रदूषण - हवा में मौजूद मिट्टी, फैक्ट्रियों का धुआं, फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है। लंबे समय तक प्रदूषित हवा में सांस लेने से भी अस्थमा हो सकता है।4. धूम्रपान- खुद धूम्रपान करना या पास के व्यक्ति द्वारा धूम्रपान के धुएं के संपर्क में आने से भी अस्थमा की बीमारी हो सकती है।क्या अस्थमा में दूध पीना चाहिए?
दूध पीने से गले में भारीपन और बलगम की परेशानी होती है। जिन लोगों को पहले से ही दूध से एलर्जी है और वो अस्थमा की परेशानी में दूध का सेवन करें, तो यह स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक हो सकती है। हालांकि इस तरह की परेशानी हर किसी व्यक्ति को नहीं होती है।