सर्दियों में पतले कपड़े पहनने का शौक इन 3 बीमारियों को देता है न्यौता

सर्दियों का मौसम दस्तक दे चुका है। इस मौसम की एक अलग खासियत है, लेकिन जो लोग हाई ब्लडप्रेशर और हृदय रोगों से ग्रस्त हैं, उनके लिए यह मौसम कुछ समस्याएं उत्पन्न कर सकता है। 
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सर्दियों में पतले कपड़े पहनने का शौक इन 3 बीमारियों को देता है न्यौता


सर्दियों का मौसम दस्तक दे चुका है। इस मौसम की एक अलग खासियत है, लेकिन जो लोग हाई ब्लडप्रेशर और हृदय रोगों से ग्रस्त हैं, उनके लिए यह मौसम कुछ समस्याएं उत्पन्न कर सकता है। बावजूद इसके, कुछ सजगताएं बरतकर आप और आपका दिल इस मौसम में स्वस्थ बना रह सकता है। मौसम में बदलाव का असर मानव शरीर पर भी पड़ता है। शरीर में परिवर्तन होते हैं। सर्दियों के मौसम में शरीर पर ये प्रभाव पड़ते हैं..

रक्त वाहिनियों में सिकुड़न

इस मौसम में रक्त-वाहिकाएं (ब्लड वैसल्स)शरीर की गर्मी को संरक्षित (कॅन्जर्व) करने के प्रयास में सिकुड़ जाती हंै। इसके अलावा सर्दियों में आम तौर पर(सामान्य स्थिति में) पसीना भी नहीं निकलता। इस कारण शरीर में साल्ट संचित हो जाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप रक्तचाप(ब्लड-प्रेशर) बढ़ जाता है। ब्लड प्रेशर के बढ़ने से दिल पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। इन सब कारणों से वे हृदय रोगी जो पहले स्वयं को ठीक महसूस कर रहे थे,उनकी दशा बिगड़ सकती है। ऐसे मरीजों को सांस लेने में दिक्कत होती है और इनके शरीर में सूजन आ सकती है।

फेफड़ों पर दुष्प्रभाव

सर्दियों में वाइरल इंफेक्शन और गले व सांस की नलियों में संक्रमण होने की आशंकाएं बढ़ जाती हैं। इन संक्रमणों का दुष्प्रभाव फेफड़ों पर पड़ता है। फेफड़े और दिल आपस में करीबी तौर से एक-दूसरे से सम्बद्ध हैं। इन संक्रमणों के कारण दिल पर बुरा असर पड़ता है।

खानपान का असर

सर्दियों में सामाजिक समारोह और कई त्योहार पड़ते हैं। वैसे भी अन्य ऋतुओं की तुलना में सर्दियों में भूख कुछ ज्यादा या खुलकर लगती है। इस स्थिति में लोग वसायुक्त चटपटे आहार ज्यादा ग्रहण करते हैं, जिससे शरीर में नमक(साल्ट)की मात्रा बढ़ती है। मौसम के नाम पर अनेक लोग शराब की मात्रा बढ़ा देते हैं। इन सब का दिल पर प्रतिकूल असर पड़ता है।

क्या है उपचार

  • सर्दियों के कारण आम तौर पर लोग कंबल लपेट कर लेटे रहना कहीं ज्यादा पसंद करते हैं। वे नियमित रूप से व्यायाम नहीं करते। इस कारण उनका वजन बढ़ने लगता है। वजन बढ़ना दिल की सेहत के लिए हानिकारक है
  • जो लोग हाई ब्लडप्रेशर से पीडि़त हैं, उन्हें खानपान में नमक की मात्रा कम से कम करनी चाहिए। उन्हें नियमित तौर पर अपने ब्लड प्रेशर की जांच करनी या करानी चाहिए ताकि यह पता चल सके कि उनका ब्लड प्रेशर सामान्य रेंज में है या नहीं। यदि नहीं तो फिर डॉक्टर से परामर्श लेकर दवाओं की डोज सुनिश्चित कराएं।
  • सर्दियों में सीने में संक्रमण, दमा और ब्रॉन्काइटिस की समस्याओं के गंभीर होने की आशंकाएं बढ़ जाती हैं। अगर कोई व्यक्ति पहले से ही हृदय रोग से ग्रस्त है, तो उपर्युक्त रोगों से उसकी हालत और भी खराब हो सकती है। ऐसी स्थिति आने के पहले ठंड से और प्रदूषण से बचने के लिए हरसंभव उपाय करें। शरीर को गर्म रखने के लिए पर्याप्त ऊनी वस्त्र पहनें।
  • सांस संबंधी किसी भी तकलीफ के सामने आने पर शीघ्र इलाज कराएं। इस मौसम में कुछ विशेष तरह के संक्रमण ज्यादा खतरनाक होते हैं, जिनमें इंफ्लुएंजा और न्यूमोकोकल संक्रमण प्रमुख हैं। इनसे बचाव के लिए डॉक्टर से संपर्क कर टीका लगवाएं।
  • खानपान की आदतों में सकारात्मक सुधार लाएं। भूख से अधिक जमकर खाने की आदत सेहत के लिए अच्छी नहींहै। खासकर हाई ब्लडप्रेशर, हृदय रोग और डायबिटीज से ग्रस्त रोगियों को अधिक खाने की आदत से बाज आना चाहिए।
  • सर्दियों में दिल का दौरा(हार्ट अटैक) पड़ने के मामले बढ़ जाते हैं। हृदय रोगियों को कड़ाके की ठंड से बचना चाहिए।
  • हाई ब्लडप्रेशर और हृदय रोगियों को टहलने की आदत को बरकरार रखना चाहिए, लेकिन उन्हें तड़के और देर शाम नहीं टहलना चाहिए। खिली धूप निकलने के बाद ही टहलने जाएं।

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