एपिलेप्सी या मिर्गी ऐसी अवस्था है जबकि व्यक्ति को असमय झटके आते हैं या फिर कुछ समय के लिए उसकी चेतना तक चली जाती है। ऐसा मस्तिष्क में असंतुलित इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी के कारण होता है। सामान्यत: मिर्गी बचपन में होती है जो अगर लाइलाज रहे तो उसके लक्षण बार-बार सामने आने लगते हैं। मगर कुछ मौकों पर स्ट्रोक के कारण भी बुजुर्गों में मिर्गी के लक्षण व्यक्त होने लगते हैं। मिर्गी के झटके ज्यादा आते हैं या कभी-कभार, यह इस बात से तय करता है कि असामान्य इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी से मस्तिष्क का कितना हिस्सा प्रभावित है।
10 में से 6 व्यक्तियों में मिरगी के कारणों की खोज संभव नहीं होती है, हालांकि इसके लिए जीन का प्रभाव भी जिम्मेदार होता है। मस्तिष्क से जुड़ी किसी भी बीमारी या मस्तिष्क को किसी भी तरह की क्षति की स्थिति में बार-बार मिर्गी के दौरे भी आने लगते हैं। जिन लोगों को मिरगी की शिकायत है उनमें नींद की कमी या ठीक समय पर भोजन नहीं करने से भी दौरे बढ़ सकते हैं। इसके अलावा जो लोग शराब का अधिक सेवन करते हैं उन्हें भी मिरगी के दौरे आने की शिकायत बढ़ सकती है। तेजी से लाइट का चमकना या कम्प्यूटर और टीवी की स्क्रीन से भी व्यक्ति को समस्या हो सकती है।
मिरगी हो तो भी हार न मानें
- अगर किसी व्यक्ति को हाल ही में मिरगी होना पाया गया है तो उसके लिए ये कदम फायदेमंद हो सकते हैं-
- उन चीजों से बचें जिनके कारण आपको पिछली बार दौरा आया था। जैसे लाइट की तेज चमक या कम्प्यूटर स्क्रीन पर ज्यादा देर बैठना।
- खुद को सहज रखने का अभ्यास करें क्योंकि तनाव के कारण भी मिरगी का दौरा आ सकता है।
- नियमित अंतराल में कुछ न कुछ खाते रहें। खाना कभी भी न छोड़ें।
- अल्कोहल के सेवन से पूरी तरह बचने की कोशिश करें।
- किसी भी तरह दवाई लेने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें।
- जब भी स्विमिंग या ड्राइविंग करें तो ध्यान रहे कि आपके साथ कोई हो।
- आपकी नौकरी का स्वभाव अपने डॉक्टर को जरूर बताएं ताकि वे बचाव बता सकें।
- अगर संतान के बारे में सोच रहे हैं तो पहले डॉक्टर से जरूर सलाह लें।
दौरे के दौरान यह न करें
- मिरगी प्रभावित व्यक्ति को दौरा आने पर उसे रोकने की कोशिश न करें अन्यथा वह आपको चोटिल भी कर सकता है।
- दौरा आने पर खाने या पीने के लिए कुछ नहीं दें। एक घूंट पानी भी दौरे के दौरान गले में अटक सकता है।
- दौरा आने पर मुंह में कुछ भी रखने से बचना चाहिए। दौरे के दौरान लोग अपनी जीभ को भीतर लेते हैं लेकिन उसके मुंह में कुछ भी रखने का प्रयास न करें।
- दौरे के बाद व्यक्ति कुछ देर के लिए अचेत हो सकता है और ऐसा लगता है कि इस दौरान वह श्वास नहीं ले रहा है मगर ऐसे में उसे कार्डियो पल्मोनरी रेस्पिरेशन की कोशिश कभी न करें।
कैसे होगा रोग का निदान
मिरगी के 3 में से 1 मरीज को एक झटका आने के बाद दूसरा 2 वर्ष के अंतराल में कभी आता है। तुरंत दौरा आने की आशंका पहले सप्ताह में ज्यादा होती है। हालांकि ज्यादातर मरीजों में इसका निदान संभव है। अनुमान है कि 10 में से 7 लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें 10 वर्ष में कभी दौरा पलटकर नहीं आता। मिरगी का इलाज किया जा सकता है और इसके लिए प्रभावित व्यक्ति को डॉक्टर के पास ले जाना ही सबसे उपयुक्त है। घरेलू पद्धतियों से मिरगी का इलाज करना खतरनाक हो सकता है। जिस किसी व्यक्ति को एक ही बार दौरा आया है उसे किसी भी तरह के इलाज की जरूरत नहीं है।
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