9 तरह की होती हैं एक्सरसाइज, जानें कौन से अंग के लिए कौन सी एक्सरसाइज करना है फायदेमंद

एक्सरसाइज भी कई तरह की होती हैं। जानें 9 अलग-अलग प्रकार की एक्सरसाइज और इन सभी के फायदों के बारे में विस्तार से।
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9 तरह की होती हैं एक्सरसाइज, जानें कौन से अंग के लिए कौन सी एक्सरसाइज करना है फायदेमंद


व्यायाम यानी एक्सरसाइज, स्वस्थ रहने के लिए बहुत जरूरी हैं। वैसे तो आप दिनभर जो भी काम करते हैं, वो किसी न किसी प्रकार से व्यायाम ही होता है। मगर यहां व्यायाम से हमारा तात्पर्य ऐसी क्रियाओं (Avtivities) से है, जिनको आप शरीर को हेल्दी रखने के उद्देश्य से करते हैं और जिनसे आपके किसी न किसी अंग की मांसपेशियों पर दबाव बढ़ता है और रक्त प्रवाह (Blood Circulation) बढ़ता है।

यहां यह जान लेना जरूरी है कि सिर्फ व्यायाम करने या सिर्फ हेल्दी खाना खाने से ही आप स्वस्थ नहीं सकते हैं। पूरे शरीर की फिटनेस और रोगों से बचाव के लिए आपको व्यायाम और डाइट का संतुलन बनाना होगा। कई तरह की रिसर्च में ये बात सामने आई है कि जो लोग सप्ताह में 150 मिनट व्यायाम करते हैं, उन्हें हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, कैंसर, हार्ट अटैक जैसे रोग नहीं होते हैं। इसका मतलब ये है कि हर व्यक्ति के लिए सप्ताह में कम से कम 5 दिन रोजाना 30 मिनट व्यायाम करना जरूरी है।

व्यायाम यानी एक्सरसाइज कई तरह की होती हैं। ये सभी फायदेमंद होती हैं और आप अपनी सुविधानुसार इन्हें कर सकते हैं। आज हम आपको बता रहे हैं व्यायाम के प्रकार और उनके फायदों के बारे में।

आइसोटोनिक व्यायाम (Isotonic exercise)

कुछ कसरतों में कुछ विशेष पेशियां नियमित तौर पर संकुचित और शिथिल होती हैं। इन कसरतों में पेशियों का तनाव बना रहता है, और पेशियों के तन्तुओं की लम्बाई कम व ज़्यादा होती रहती है। इस प्रकार की कसरतों को आइसोटोनिक (समतानी) कसरतें कहा जाता है। सीधे तौर पर समझा जाए तो जिस कसरत में अधिक हलचल हो उसे आइसोटोनिक कसरत कहा जाता है। जैसे भागना, दौड़ना, तैराकी, पहाड चढ़ना, साइकिल चलाना, गेम जैसे फुटबाल, टेनिस, क्रिकेट आदि आइसोटोनिक व्यायाम के उदाहरण हैं।

आइसोमेट्रिक व्यायाम (Isometric exercise)

जब हम काफी देर तक कोई भारी चीज़ उठाते हैं, या भार को हाथों से आगे-पीछे या ऊपर-नीचे धकेलते हैं, लेकिन पेशियों के तन्तुओं की लम्बाई पर कोई असर नहीं होता। ऐसी क्रिया को आइसोमेट्रिक (सममितीय) व्यायाम कहा जा सकता है। इस कसरत में कुछ प्रतिरोध के साथ ज़ोर लगाया जाता है इसलिए बिना बहुत ज्यादा हलचल हुए ही पेशियों को काम करना पड़ता है। कसरत के इस प्रकार से पेशियों का बल और आकार जल्दी बढ़ता है। सप्ताह में तीन दिन भी ये कसरत करना मांसपेशियों के लिये काफी होता है। इसलिये इन्हें हर दिन करने की जरुरत नहीं होती। जिम के अलग अलग मशीनों में इसके काफी तरीके उपलब्ध होते हैं।

आइसोमेट्रिक और आइसोटोनिक दोनों

आइसोमेट्रिक कसरतों से पेशियां तेजी से बनती हैं इसलिए शरीर की नुमाइश करने वाले लोग ये कसरतें अधिक करते हैं। वहीं आइसोटोनिक कसरतें पहलवानों और कम दूरी के धावकों के लिए ज़्यादा उपयोगी होती हैं, क्योंकि ये स्टेमिना बढ़ाती हैं। ज़्यादातर कसरतों में इन दोनों को ही शामिल किया जाता है। ताकि ताकत व सहन शक्ति दोनों को बढ़ाया जा सके। उदाहरण के तौर पर कुश्ती में हलचल और प्रतिरोध के खिलाफ बल लगाना होता है, लेकिन इसमें हलचल का प्रयोग कम होता है। जब कोई इंसान साइकल रिक्शा खींच रहा होता है या कोई मजदूर हाथ गाड़ी धकेलता है, तो ऐसे में उनके द्वारा पैरों से हलचल और हाथों से स्थाई बल लगाया जाता है। इसका अर्थ है कि यहां आइसोमेट्रिक और आइसोटोनिक दोनों का प्रयोग हो रहा होता है। बाजुओं को आइसोमेट्रिक और पैरों को आइसोटोनिक से फायदा होता है।

चलना(Walking)

चलना एक मध्यम दर्जे का और सहज व्यायाम होता है। यह सभी उम्र के लोगों के लिए (खासतौर पर दिल की बीमारियों से प्रभावित लोगों के लिए) काफी उपयोगी होता है। शारीरिक फायदों के अलावा चलने से स्फूर्ति और आराम मिलता है। एक किलोमीटर मध्यम गति से चलने पर करीब 50 कैलोरी उर्जा खर्च होती है। इसलिये जितना हो सके चलना चाहिये।

खेल (Games)

सामूहिक खेलकूद केवल कसरत करने से कहीं ज़्यादा उपयोगी होते हैं। खेलों में मज़ा तो आता ही है साथ ही शारीरिक कसरत भी हो जाती है। लेकिन सभी खेल एक जितने उपयोगी नहीं होते हैं। जैसे -

  • शरीर का कौन सा अंग उपयोग उपयोग हो रहा है आदि।
  • खेल की गति (फुटबॉल, हॉकी अधिक गतिमान, पर टेबल टेनिस उतना नहीं)
  • कितनी ताकत चाहिए (कुश्ती में ताकत का काम है, पर बैडमिन्टन में स्फूर्ती का)
  • पेशियों का तालमेल (रायफल शूटिंग में हाथ, आंख और शरीर के अन्य भोगों का तालमेल जरुरी होता है)
  • सहने की क्षमता और तन्यता (क्रिकेट में लगभग पूरे दिन खेलना होता है)

योग (Yoga)

योग में शारीरिक और मानसिक दोनों तरह के अनुशाषन की ज़रूरत होती है। योग एख कमाल का व्यायाम होता है, जिसमें मूलतः तीन चीज़ की जाती हैं-

आसन (Asanas)

किसी निश्चित समय के लिए किसी निश्चित स्थिति में रहने को आसन कहा जाता है। आसन में आइसोमैट्रिक व आइसोटोनिक कसरतें सभी शामिल होती हैं और इससे शरीर में रक्त का बहाव और पेशियों के तालमेल और सहने की क्षमता आदि बढ़ते हैं।

मुद्राएं (Mudras)

मुद्राएं दरअसल चेहरे की कसरतें होती हैं। उदाहरण के लिये सिंह मुद्रा चेहरे की पेशियों को स्वस्थ बनती है।

बंध

बंध पेशियों को कसने वाली कसरतें होती हैं। इसकी मदद से पेशियों को तानने में सहायता होती है। उदाहरण के लिए मूल बंध से श्रोणी की पेशियां तन जाती हैं। ठीक इसी प्रकार जालंधर बंध से गले की पेशियां पुष्ट होती हैं।

कुल मिलाकर लगातार और नियमित शारीरिक व्यायाम, प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है और हृदय रोग, रक्तवाहिका रोग, टाइप 2 मधुमेह और मोटापा जैसे रोगों की रोकथाम करता है। इससे मानसिक स्वास्थ्य सुधारता है और तनाव दूर करने में मदद मिलती है।

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