हीट एक्जाशन और हीट स्ट्रोक में क्या अंतर है, जानें हीट स्ट्रोक (लू लगने) के कारण, लक्षण और इलाज

तेज गर्मी के कारण हीट एक्जाशन और हीट स्ट्रोक दोनों समस्याएं होती हैं। जानें इन दोनों के बीच अंतर और लू लगने के गंभीर संकेतों के बारे में।
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हीट एक्जाशन और हीट स्ट्रोक में क्या अंतर है, जानें हीट स्ट्रोक (लू लगने) के कारण, लक्षण और इलाज


गर्मियों की लहर बढ़ने के साथ-साथ हमारी शरीर में होने वाली कई बीमारियों की भी संभावनाएं बढ़ जाती हैं। इस बार गर्मी ने जल्दी दस्तक दे दी है। मौसम का पारा अपना रंग दिखाने लगा है। ऐसे में हमें हीट स्ट्रोक (Heat Stroke) का अधिक खतरा रहता है। क्या आप जानते हैं हीट स्ट्रोक क्या है? हीट स्ट्रोक शरीर की वह अवस्था है, जो गर्मी के कारण होती है। इस स्थिति में आपकी शरीर का तापमान सामान्य से बढ़कर आसमान में पहुंच जाता है। आसान शब्दों में समझें तो इसमें सूरज की चिलचिलाती धूप (Scorching Sun) में हमारा शरीर प्रभावित होता है। इस अवस्था में यदि कोई उपचार नहीं लिया जाए तो व्यक्ति की सेहत बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो सकती है। इसमें लापरवाही बरतना जान पर भी भारी पड़ सकता है। बता दें कि हीट रिलेटेट सिंड्रोम (Heat Related Syndrome) में से सबसे गंभीर स्थिति हीट स्ट्रोक ही है। हीट इंडेक्स (Heat Index) के कारण हीट स्ट्रोक की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। सूरज का पारा (Sun Rise) चढ़ने के साथ-साथ ऐसे मामलों की संख्या भी बढ़ने लगती हैं। चिकित्सकों की मानें तो हमारी शरीर का तापमान 97 डिग्री सेल्सियस से लेकर 98 डिग्री सेल्सियस के बीच में रहना चाहिए। हालांकि हीट स्ट्रोक की स्थिति में उपचार मिलने के बाद व्यक्ति की स्थिति सामान्य हो जाती है।

हीट स्ट्रोक को उष्माघात के नाम से भी जाना जाता है। हीट स्ट्रोक की स्थिति में हमारे शरीर को ठंडा रखने वाला प्राकृतिक कूलिंग सिस्टम (Natural Cooling System) सुचारू रूप से अपनी कार्यक्षमता प्रदर्शित करने में असमर्थ हो जाता है। जिससे शरीर के तापमान की गर्मी कम नहीं हो पाती और व्यक्ति का स्वास्थ्य बिगड़ जाता है। बहुत से लोग हीट एक्जाशन (Heat Exhaustion) और हीट स्ट्रोक को लेकर कंफ्यूज रहते हैं। आएये जानते हैं इनके बीच में क्या अंतर है। 

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हीट एक्जाशन और हीट स्ट्रोक के बीच अंतर (Heat Exhaustion vs Heat Stroke)

  • दरअसल हीट एक्जाशन (Heat Exhaustion) शरीर की वह अवस्था है, जिसमें आपकी शरीर का तापमान निर्धारित तापमान (Fixed Temperature) से ज्यादा नहीं बढ़ता है। इस अवस्था में आपकी शरीर का तापमान 104 डिग्री से ज्यादा नहीं बढ़ेगा। वहीं हीट स्ट्रोक से पीड़ित व्यक्ति की शरीर का तापमान चिलचिलाती धूप (Scorching Sun) की तरह गर्म होने के साथ दिल की धड़कने भी अपनी सामान्य गति से बढ़कर धड़कने लगती हैं। जिससे उस दौरान शरीर में कई परिवर्तन भी हो सकते हैं। 
  • हीट एक्जाशन का सीधा अर्थ है शरीर से पसीना (Sweat) निकलना। इस स्थिति में हमारी शरीर से काफी पसीना निकलता है। वहीं हीट स्ट्रोक की स्थिति में आपकी शरीर से पसीना और गर्मी निकलने की बजाय गर्मी और ज्यादा बन जाती है। जो हीट एक्जाशन से गंभीर स्थिति है। 
  • हीट एक्जाशन की बीमारी आपको जंक फूड या प्रोसेस्ड फूड (Processed Food) का सेवन करने से भी लग सकती है। वहीं हीट स्ट्रोक की समस्या आपको तेज धूप लगने के कारण हो सकती है। 
  • हीट एक्जाशन की स्थिति में आपको तेज पसीना और चक्कर जैसे लक्षण दिख सकते हैं। वहीं हीट स्ट्रोक में आपकी शरीर में पानी की कमी, आंखों में जलन आदि समस्याएं हो सकती हैं। 

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हीट स्ट्रोक के कारण (Causes of Heat Stroke)

1 तेज धूप में बाहर निकलना (Getting out in the Sun)

गर्मियों के मौसम में चिलचिलाती धूप में बाहर निकलना इसका प्रमुख कारण है। सूरज की तेज किरणें जब मुंह और शरीर के दूसरे हिस्सों में लगती है तो आपको हीट स्ट्रोक होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। ऐसे में लू से बचने के लिए आप अपने सिर, मुंह और हाथ आदि को किसी हल्के कपड़े से ढ़ककर रखना चाहिए। यदि संभव हो तो छाता लेकर ही घर से बाहर निकलें। 

2 जंक फूड का अधिक सेवन (Eating Too Much Junk Food)

जंक फूड (Junk Food) का अधिक सेवन भी आपको हीट स्ट्रोक और हीट एक्जाशन की चपेट में ला सकता है। कुछ जंक फूड्स में मोनोसोडियम (Monosodium), ग्लूटामेंट्स के साथ गर्म और हानिकारक पदार्थ मौजूद होते हैं, जिनकी मात्रा शरीर में पहुंचकर आपकी शरीर में गर्मी को और बढ़ा देता है। जिससे शरीर हीट स्ट्रोक का सामना नहीं कर पाता है। 

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3 पानी की कमी (Lack of Water)

हीट स्ट्रोक के कारणों में से शरीर में पानी की कमी भी इसका एक बड़ा कारण माना जाता है। गर्मियों में डिहाइड्रेशन से जुड़े बहुत से मामले देखे जाते हैं। शरीर में पानी की कमी लेकर धूप में निकलने से आप हीट स्ट्रोक की चपेट में तो आएंगे ही साथ ही साथ पानी की कमी के कारण होने वाली अन्य कई बीमारियों को भी दावत दे बैठेंगे। ऐसे में हाइड्रेट रहने के लिए आप नारियल पानी का सेवन कर सकते हैं। 

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4 थायरॉइड का असंतुलित होना (Imbalanced Thyroid)

अगर आपको थायरॉइड की समस्या है और आप धूप में निकल रहे हैं तो आपको हीट स्ट्रोक होने की संभावनाएं और भी बढ़ जाती हैं। थायरॉइड के असंतुलित होने पर आपका ब्लड प्रेशर परिवर्तित होने के साथ ही आप थकान भी महसूस करते हैं। इस स्थिति में खुद को धूप में जाने से रोकें। 

हीट स्ट्रोक के लक्षण (Symptoms of Heat Stroke)

  • तेज बुखार (High Fever)
  • रक्त चाप का अचानक कम हो जाना (Low Blood Pressure)
  • चक्कर आना (Dizziness)
  • उल्टी होना (Vomiting)
  • मांसपेशियों में अकड़न होना (Stiffness in Muscles)
  • लगातार तेज पसीना आना (Persisting Sweating)
  • कमजोरी होना (Weakness)
  • त्वचा पर चकत्ते पढ़ना (Skin Rashes)
  • बेहोशी आना (Fainting)
  • सिरदर्द होना (Headache)
  • सांस लेने में कठिनाई होना (Problem in Breathing)
  • घबराहट व बेचैनी होना (Restlessness)

हीट स्ट्रोक से कैसे करें बचाव (How to Prevent From Heat Stroke)

  • तेज धूप में निकलने से बचें। कोशिश करें धूप में निकलते समय छाते का प्रयोग करें। 
  • गर्मियों के दिनों में चाय-कॉफी या गर्म खाद्य पदार्थों के सेवन से बचें। 
  • शरीर में सामान्य तापमान बने रहने के लिए पानी की कमी न होने दें। प्रयास करें दिन में 2 से 3 लीटर पानी पिएं। 
  • लंबे समय तक धप में काम करने से बचें। 
  • शिशुओं के मामले में खास ध्यान रखें कि उन्हें धूप में न निकालें। 
  • हीट स्ट्रोक की स्थिति होने पर जरा भी देरी न करें और चिकित्सक को दिखाएं। 
  • शुगर वाले पेय पदार्थों का सेवन करने से बचें। 
  • खुले और हवादार कपड़े पहनें। 
  • धुप में निकलने से पहले सनस्क्रीन और सनग्लासिज का प्रयोग जरूर करें। 
  • संतुलित और पौष्टिक आहार लें, जिससे पाचन में समस्या न हो। 
  • तेज धूप होने पर व्यायाम या साइकिलिंग करने से बचें। 

हीट स्ट्रोक को नजरअंदाज करना आपको काफी नुकसान पहुंचा सकता है। यह ऐसी स्थिति है, जिसके गंभीर होने पर व्यक्ति की जान तक भी जा सकती है या उसे दौरे भी आ सकते हैं। हीट स्ट्रोक में सावधानी रखना बेहद जरूरी है। इस लेख में दिए गए उपायों से आप खुद को हीट स्ट्रोक से दूर रख सकते हैं।

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