बच्‍चों में आहार सम्‍बन्‍धी परेशानियां

जो बच्चे बचपन में स्वस्थ खाने की आदते सीख लेते हैं वो उम्र बढ़ने पर ही उनके काम आती है। स्वस्थ व पौष्टिक आहार खाने की आदत बच्चों को गंभीर बीमारियों से बचाते हैं।
  • SHARE
  • FOLLOW
बच्‍चों में आहार सम्‍बन्‍धी परेशानियां


जो बच्चे बचपन में स्वस्थ खाने की आदते सीख लेते हैं वो किशोर अवस्था में भी उन्हें जारी रख पाते हैं। स्वस्थ खान-पान की आदतों की मदद से बच्चों को किशोर अवस्था में कुछ लाईलाज बीमारियों से बचाया जा सकता है जैसे कि दिल की बिमारियां, कैंसर, मधुमेह, और ऑस्टियोपोरोसिस और कुछ आम बिमारियां जैसे बचपन में दंत क्षय रोग, अधिक वजन और मोटापा आदि का खतरा भी कम करती हैं।

diet problem in kidsपांच से बारह साल के बच्चे पहले ही खाने को लेकर पसंद और नापंसद रखते हैं। लेकिन उनकी खाने की इच्छा परिवार दोस्तो और मीडिया(विशेषकर टीवी) के द्वारा प्रभावित हो सकती हैं। स्कूल उम्र के बच्चे अपने से छोटे भाई और बहनों की बजाय खाने में नई प्रयोग करने के लिए खुले होते हैं।

एक बच्चे की खाने की आदतें माता पिता के लिए चिंता का एक विषय  हो सकती हैं। लेकिन यह याद रखे कि यह बच्चे में विकास का एक सामान्य चरण है। बच्चों में खाने की समस्या का सही निदान मुश्किल हो सकता है। बच्चों में खाने एक समस्या की रूप में केवल पिछले 20 सालों में ही पहचाना गया है।

बच्चों में होने वाली खाने की आम समस्याएं -

  • खानों के लिए इन्कार करना
  • एक सीमा में खाना
  • चुन कर खाना या खाने को लेकर सनकी होना
  • फूड फोबिया
  • भावानात्मक रूप से खाने के लिए मना करना।
  • नाश्ता ना करना
  • बहुत ज्यादा खाना
  •  बहुत कम खाना

 

सलेक्टिव या खाने को लेकर सनकी होना

यह समस्या बच्चों में आम तौर पर पाई गई है। कुछ बच्चे सीमित खाना ही खाते है बाकि को रिजेक्ट कर देते हैं। ऐसा व्यवहार आपका बच्चा तभी कर सकता है जब उसे आपके द्वारा ज्यादा खाने को लेकर सलाह दी गई हो या फिर आपका बच्चा एक जैसा खाना खाकर रोजना ठक गया हो। खाना खाने का कांटा बच्चों को उनका टेस्ट और खाने की स्वतंत्रता देती है। यह माता पिता के लिए कष्टदायक हो सकता है लेकिन फूड जग बहुत की कम चिंता का विषय है।

 

सीमित भोजन खाना

कई बच्चे जितना उनको भोजन खाना चाहिए, उससे कम खा सकते हैं।  ये बच्चे शायद खानों की सामान्य रेंज खाते हैं जो कि उन्हें उपभोग करनी चाहिए। लेकिन जितनी उनको आवश्यकता है उससे कम मात्रा में उपभोग करते हैं। इसी के कारण वो कमजोर होते हैं और अपनी उम्र कम करते हैं लेकिन स्वस्थ और सक्रिय हैं। इन बच्चों को शायद कम खाने की आदत रही हो और हो सकता है कि उनके परिवार की कम खाने की इतिहास हो सकती है ।

 

फूड फोबिया

कुछ बच्चे खाने और पीने को लेकर बहुत ही प्रतिबंधीत हो सकते हैं। यह माता पिता के लिए मुख्य चिंता का विषय हो सकता है। वे अक्सर कुछ खानों से बचते हैं क्योंकि वे बिमार होने और नए खाने और गेगिंग, चोकिंग से डरते हैं। खाने और पीने से मना करने पर खाने के समय युद्धक्षेत्र में बदल सकता है। हालांकि फूड फोबिया वाले बच्चे स्वस्थ होते है और ग्रोथ और विकास सही ढंग से करते है जो वो खाते है या पीते हैं उसी से ज्यादा कैलोरी और पोषक मिलते हैं।

खाने के लिए मना करना

जो बच्चे प्री- स्कूल उम्र के होते हैं उनमें खाने से मना करना एक आम शिकायत होती है। हालांकि यह कुछ थोड़े बड़े बच्चों में भी पाया जा सकता है। वे बिना कोई शिकायत और समस्या के जो उन्हें पसंद होता है वह खाना खा लेते हैं और कुछ खानों के लिए मना कर सकते हैं और कुछ वातावरण में खाना नहीं खा सकते जैसे किन्ही विशेष लोगों, स्कूल या फिर घर पर। वे आमतौर पर स्वस्थ होते है और उनकी ग्रोथ और विकास सामान्य होता है। आमतौर पर खाना से इंकार करना चिंता का विषय नहीं है।

 

उम्र के हिसाब से खाने की अनुचित संरचना

कुछ बच्चे ठोस पदार्थ खाने से मना कर सकते हैं। वे खाने को थूक सकते है या उन्हें उबाक आ सकती है या पूरी तरीके से ठोस खाना खाने से मना कर सकते हैं। वे आमतौर पर स्वस्थ, सामान्य लंबाई, सामान्य वजन, ग्रोथ और विकास कर रहे होते हैं। यह समस्या बहुत ही कम चिंता का विषय है लेकिन ये किसी विशेष स्थान जैसे स्कूल में नहीं खा सकते।

 

हद से ज्यादा खाना

हद से ज्यादा खाना खाने वाली आदत अधितकर इंडिया में माता पिता द्वारा डाली जाती है। इंडिया में कुछ लोगों को गलतफहमी है कि मोटा बच्चा स्वस्थ बच्चा होता है। इस प्रोबल्म से बचना चाहिए क्योकिं यह बचपन में मोटापे का कारण बन सकती है जो कि कई शारिरिक और मानसिक समस्या का कारण बन जाती हैं। दूसरी ओर यह नोटिस किया गया है कि जो बच्चे बचपन में मोटे होते है वो बड़े होकर भी मोटे बनते हैं।

 

 

Read More Articles On Parenting In Hindi

Read Next

यह हमारी नाक है उसका पसीना नहीं

Disclaimer

How we keep this article up to date:

We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.

  • Current Version