डिप्रेशन यानी तनाव किसी भी लिहाज से स्वास्थ्य के लिए सही नहीं है, अगर आपको अक्सर तनाव रहता है तो इससे बचें। हाल ही में हुए एक शोध की मानें तो डिप्रेशन से दिमाग भी सिकुड़ सकता है है। डिप्रेशन से दिमाग का हिपोकैंपस छोटा हो जाता है। हिपोकैंपस स्मरण और विभिन्न भावनाओं के लिए जिम्मेदार होता है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हुए इस अध्ययन में यह खुलासा हुआ कि डिप्रेशन से दिमाग सिकुड़ जाता है।
शोधकर्ताओं ने यह भी कहा है कि यदि अवसाद का इलाज हो जाए, तो हिपोकैंपस वापस अपने सामान्य आकार में आ जाता है। इस अध्ययन दल के सदस्य और सिडनी विश्वविद्यालय के ब्रेन एंड माइंड रिसर्च इंस्टीट्यूट के हिकी ने बताया, 'कोई व्यक्ति जितनी अधिक बार अवसाद की चपेट में आता है, उतना ही उसके हिपोकैंपस का आकार सिकुड़ता है।'
न्यूजपेपर गार्जियन के मुताबिक, यह अध्ययन दुनियाभर के 15 शोध संस्थानों ने मिलकर किया है। इसमें 8,927 लोगों पर अध्ययन किया गया, जिसमें 1,728 लोग गहरे तौर पर अवसादग्रस्त थे, बाकी स्वस्थ्य थे।
शोधार्थियों ने पाया कि 65 फीसदी अवसादग्रस्त लोग ऐसे थे, जो बार-बार अवसादग्रस्त हुए थे और इन लोगों का हिपोकैंपस दूसरों की तुलना में छोटा था।
हिकी ने यह भी कहा, 'यदि व्यक्ति बार-बार अवसादग्रस्त हो रहा है और उसका इलाज नहीं हो पा रहा है, तो उसके हिपोकैंपस अधिक क्षतिग्रस्त होता जाता है। सिर्फ दवा से अवसाद का प्रभावी इलाज नहीं हो सकता है, इसके लिए सामाजिक मदद की भी जरूरत होती है।'
रिसर्च में कहा गया है, 'किशोरों में अवसाद का इलाज करने के लिए पहले मानसिक चिकित्सा का सहारा लिया जाना चाहिए।'
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