अवसाद का मतलब होता है कुण्ठा, तनाव, आत्महत्या की इच्छा होना। अवसाद यानी डिप्रेशन मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, इसका असर स्वास्थ्य पर भी पड़ता है और व्यक्ति के मन में अजीब-अजीब से ख्याल घर करने लगते हैं। वह चीजों से डरने और घबराने लगता है। इसलिए अवसाद हर हाल में बेहतर स्वास्थ्य के लिहाज से बिलकुल भी ठीक नहीं है। इस लेख में विस्तार से जानिये स्वास्थ्य के लिए क्यों खतरनाक है अवसाद और इसका क्या-क्या असर पड़ता है।
- अवसाद के चलते व्यक्ति का न सिर्फ मानसिक स्वास्थ्य बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य भी बिगड़ने लगता है।
- अवसाद में रहते हुए व्यक्ति की आत्महत्या की इच्छा प्रबल होने लगती है।
- व्यक्ति के मन में हीनभावना होना, कुण्ठा पनपना, अपने को दूसरों से कम आंकना, तनाव लेना सभी अवसाद के लक्षण है।
- व्यक्ति अवसाद के कारण अपने काम पर सही तरह से फोकस नहीं कर पाता।
- कुछ समय पहले के आंकड़ो पर गौर करें तो विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक दुनिया के ज्यादातर बड़े शहरों में डिप्रेशन की समस्या का बहुत तेजी से विस्तार हुआ है। भारत जैसे विकासशील देशों में 10 पुरुषों में से एक व 5 महिलाओं में से एक अपनी जिंदगी के किसी न किसी पड़ाव पर डिप्रेशन का शिकार बनते हैं।
- कोई व्यक्ति अवसाद से ग्रसित रहता है तो उसे डिमेंशिया होने की आशंका अधिक बढ़ जाती है।
- अवसाद से हृदय और मस्तिष्क को भी भारी खतरा उत्पन्न हो सकता है।
- अवसाद और मधुमेह से पीड़ित लोगों में दिल से जुड़ी बीमारियां, अंधापन और मस्तिष्क से जुड़ी बीमारियां होने की आशंका बनी रहती है।
- डिप्रेशन से हार्ट डिज़ीज जैसे हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
- इम्यून सिस्टम पर अतिरिक्त असर पड़ता है।
- मानसिक बीमारी से हृदय संबंधी बीमारी के चलते मौत का खतरा 75 साल की उम्र तक दो गुना अधिक होता है।
- अवसाद से व्यक्ति किसी पर जल्दी से भरोसा नहीं कर पाता।
- वह अधिक गुस्सेवाला और चिड़चिड़ा हो जाता है।
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