भारतीय बच्चों में आत्महत्या करने वालो की संख्या बहुत तेज़ी से बढ़ रही है ।शिक्षा, प्रतियोगिता परीक्षा और तेजी से बढते प्रतिशत ने कई बच्चों को किनारे पर ला कर खड़ा कर दिया है ।इसी के साथ जो आज हो रहा है वह यह है की शिक्षा संस्थानों में दलित छात्रों का जात पात के आधार पर दलित विद्यार्थियो के साथ बुरा बर्ताव करना ।इस तरह के भेद भाव से कई आरक्षित वर्ग के विद्यार्थियो ने कक्षा में आना छोड़ दिया और इसी के साथ कई आत्महत्याए भी हो गयी हैं जिसकी वजह से हमारी आधुनिक सांस्क्रति को एक धक्का भी मिला है और इससे हमारे देश के गौरव को भी ठेस पहुंची है ।
पिछले ४ सालो में निचले वर्ग के परेशान १८ विद्यार्थियो ने आत्महत्या की है ।इस तथ्य के पीछे का कारण यह है की दलित विद्यार्थियों ने आत्महत्या इसलिए की क्योंकि क्योंकि शिक्षण संस्थानों में उन लोगो को टीचरो और उनके साथियो द्वारा प्रताडना झेलनी पडी ।और सबसे बडी बात तो यह है की यह भारत के जाने माने सबसे बढ़िया शिक्षण संस्थान इन्डियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में हुई (आईआईटी ) ।
तथ्य
• आइआईटी में पढ़ने वाले मनीष कुमार ने बिल्डिंग की पांचवी मंजिल से कूद कर आत्महत्याकर ली
उस लडके को कोलेज में लगातार निचले वर्ग का होने की वजह से प्रताडित किया जा रहा था ।और इस के साथ दुखी कुमार ने जब इस बात की शिकायत सम्बन्धित लोगो से करी तो वहाँ से भी कोई मदद नहीं मिली ।इस की वजह से उसे डिप्रेशन हो गया और उसे आत्महत्या करनी पड गयी ।
• बाल मुकुंद , अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में पड़ने वाला निचले वर्ग का विद्यार्थी ने मार्च २०१० में आत्महत्या कर ली क्योंकि उसके शिक्षक उसे लगातार उसके निचले वर्ग के होने की वजह से प्रताडित कर रहे थे ।इस के साथ शिक्षकों ने यह तक कह दिया की वह इस संस्थान में अपने कोटे की वजह से आया है न की अपनी मेरिट की वजह से ।इस लगातार होने वाली बदनामी की वजह से उस छात्र ने आत्महत्या कर ली और अपनी जिंदगी को खत्म कर लिया ।
सारी ऊपर कही गयी घटनाओं में दलित और निचली जात के विद्यार्थियों को परेशान करने की वस्तु और शर्म के पुतले बना दिया था और यह सब किसी गैर ने नहीं उन्ही के शिक्षक और सहपाठियों ने किया था ।इस बात का मतलब है की यह एक बहुत बडी गलती है जो की हमारे देश के बढ़िया से बढ़िया संस्थानों में तेज़ी से फ़ैल रही है ।
हमारे देश के छात्रों में डिप्रेशन आत्महत्या का मुख्य कारण है ।और इसको आगे बढाने वाले हैं जात पात ओर्फ़ धर्म के आधार पर होने वाला भेदभाव जो की इस बात से साफ़ है की कितने ही दलित विद्यार्थियों ने इससे बचने के लिए आत्महत्या का सहारा लिया ।यह बिलकुल सही समय है की हम यह बात जाने की इस २१ सदी में जात पात के आधार पर भेद भाव करना हमारे विकास और प्रगति के लिए एक बहुत बडी बाधा है ।हमे यह बात नहीं भूलनी चाहिए की ये विद्यार्थी हमारे देश का भविष्य हैं और यह एक ऎसी बात है जिसके बार में हमे तुरंत ध्यान देना होगा ।
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