दांतों की सभी परेशानियों से निज़ात कैसे पायें

दांतों से जुड़ी बीमारी अन्‍य कई प्रकार की बीमारियां जैसे दिल और पाचन से संबंधित बीमारियां, स्ट्रोक या बैक्टीरियल निमोनिया का कारण भी हो सकती हैं। इसलिए अच्छे स्वास्थय के लिए मुंह की बीमारियों से स्वयं का बचाव करना बहुत जरूरी है।
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दांतों की सभी परेशानियों से निज़ात कैसे पायें


हमारे संपूर्ण स्‍वास्‍थ्‍य के लिए दांतों को स्‍वस्‍थ होना बहुत जरूरी होता है। दांत हमारी सुंदरता के साथ-साथ हमारे स्‍वास्‍थ्‍य को भी प्रभावित करते हैं। दांतों की समस्याओं से बचने के लिए सिर्फ ब्रश करना ही काफी नहीं होता, बल्कि स्वच्छता के लिए दांतों की नियमित जांच भी जरूरी होती है।

 

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अगर मुंह में होने वाली समस्या का ध्यान न रखा जाए तो इसका असर पूरी सेहत पर पड़ता है। हमारे मुंह में बहुत से बैक्टीरिया होते हैं जो दांतों और मसूड़ों से जुड़ी समस्याएं फैलाते हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार, दांतो से जुड़ी बीमारी पेरियोडोन्टिस, अन्‍य कई प्रकार की बीमारियां जैसे दिल से जुड़ी बीमारियां, ओरल कैंसर, पाचन से संबंधित बीमारियां, स्ट्रोक या बैक्टीरियल निमोनिया का कारण भी हो सकती हैं।

लेकिन मुंह की कैविटी से न्यूट्रिशनल डिफिसियंशी या इन्फेक्शन का पता आसानी से लगाया जा सकता है। डायबिटीज, एड्स या स्जोग्रन सिन्ड्रोम जैसी बीमारियों का पता भी सबसे पहले ओरल परेशानियों से चलता है।

पेरियोडोन्टिस से ग्रसित गर्भवती को तो बच्चों को जन्म देने में कई परेशानियां तक हो सकती है, साथ ही वह कम वजन वाले बच्‍चे को जन्‍म देती है। एच आई वी इन्फेक्शन, एड्स, डायबिटीज़, ब्लड सेल डिज़ार्डर से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है और इससे पेरियोडन्टल बीमारियां और गंभीर हो जाती हैं।

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शोधों के अनुसार ऐसा भी पाया गया है, डायबिटीज में होने वाला पेरियोडान्टिस डायबिटीज न होने की तुलना में ज़्यादा प्रभावी होता है। पेरियोडान्टिस और दूसरी दिल की बीमारियों के जुड़े होने का अर्थ है कि अच्छे स्वास्थय के लिए मुंह की बीमारियों से स्वयं का बचाव करना बहुत जरूरी है।

उच्च रक्तचाप की समस्या होने पर पेरियोडान्टिस से पीड़ित होने की आशंका अधिक होती है। साथ ही कमजोर दांतों और अन्य ओरल समस्‍याओं के कारण विभिन्न प्रकार के संक्रमणों का खतरा अधिक रहता है। मसूढ़ों की बीमारी और आर्थराइटिस के बीच भी गहरा संबंध होता है। ऑटोइम्यून दांतों की वो बीमारी है, जिसके कारण शरीर के जोड़ों में सूजन व दर्द जैसी शिकायतें होने लगती हैं।

मुंह की बीमारियों से बचने के कुछ टिप्स

  • दिन में दो बार ब्रश जरूर करें।
  • फ्लास या किसी और प्रकार के इन्टरडेंटल क्लीनर से एक बार दांतों को जरूर साफ करें।
  • दंत चिकित्‍सक से सम्पर्क करके ओरल हाइजीन के लिए आप एंटीमाइक्राबियल माउथरिंज का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • संतुलित भोजन करें और फास्ट फूड कम लें।
  • नियमित डेंटल चेकअप के लिए अपने डेन्टिस्ट के पास जायें।
  • सिर्फ प्रोफेशनल क्लीनिंग से ही दांतों से कैलकलस या टारटार हटाया जा सकता है और इससे प्लेग के बैक्टीरिया भी निकल जाते हैं।
  • तंबाकू का सेवन न करें, इससे ओरल कैंसर होने का खतरा बना रहता है।

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डेंटिस्ट से सम्पर्क

दांतों से जुड़ी कुछ स्थितियां ऐसी होती है जिसमें डेंटिस्ट से सम्पर्क करना बहुत जरूरी हो जाता है। आइए ऐसी ही कुछ स्थितियों के बारे में जानें।

  • ब्रश करते समय या फ्लासिंग के दौरान दांतों से खून आना।
  • मसूड़ों का लाल होना या फूलना। 
  • मुंह से दुर्गन्ध आना।
  • दांत का टूटना।
  • दांतों या मसूड़ों से पस आना। 
  • खाना खाते समय या कुछ काटते समय दांतों का आपस में ठीक से फिट नहीं बैठना।


ऐसी किसी भी स्थिति में अपने डेन्टिस्ट से सम्पर्क करना ना भूलें। डेन्टिस्ट को अपने स्वास्थ्‍य के बारे में सब कुछ बतायें।  अगर आप तम्बाकू का सेवन कर रहे हैं तो आपको अपने दांतो का खास ख्याल रखने की ज़रूरत है। आप प्रेगनेंट हैं तो भी आपको अपने दांतो का खास ख्याल रखने की जरूरत है क्योंकि आपके हार्मोन लेवल में बदलाव आने की वजह से दांतों में भी परेशानी हो सकती है।

अगर आप सम्पूर्ण स्वास्थ्य का ख्याल रखना चाहते हैं तो आपको ओरल हैल्थ का खास ख्याल रखना भी जरूरी है।

Image Courtesy : Getty Images

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