ज्यादातर मसूडों की बीमारी इन्फेक्शन के कारण होती है। इंफेक्शन दांतों के नीचे हड्डियों तक फैल जाता है। मसूडों की बीमारी एक आम समस्या हैं जिसके कारण दांतों को भी नुकसान होता है। मसूडों की समस्या के दो स्टेज होते हैं, अगर पहले स्टेज पर ही इसका पता चल जाए तो इससे होने वाले नुकसान से बचा जा सकता हैं।
जिंजिवाइटिस की समस्या मसूडों की बीमारी का पहला स्टेज होती है जो कि खतरनाक है। प्रोटीन की कमी से पेरियोडोन्टाइटिस नामक मसूड़ों की एक बीमारी होती है, जिसमें मसूड़ों से खून निकलता है और दांतों के आसपास की हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। इस बीमारी में मुंह के कीटाणुओं के प्रति प्रतिरोधक तंत्र ज्यादा सक्रिय हो जाता है। उम्र बढ़ने के साथ लोगों में इस बीमारी से ग्रस्त होने का खतरा बढ़ता जाता है।
प्रोटीन की कमी से होने वाली मसूडों की बीमारियां
मसूड़ों की बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है। लेकिन 35 वर्ष की उम्र के बाद मसूड़ों की बीमारी का खतरा बढ जाता है। और अगर शरीर में प्रोटीन की कमी हो तो इस उम्र में हर चार में से तीन लोग मसूड़ों की बीमारी से पीड़ित होते हैं। प्रतिदिन 1000 मिलीग्राम प्रोटीन और विटामिन खाने से मसूडों की समस्या कम होती है।
जिंजिवाइटिस
यह मसूड़ों की सबसे आम समस्या है। इसमें मसूड़े सूखकर लाल हो जाते हैं और कमजोर पड़ जाते हैं। कई लोगों में दांतों के बीच में उभरा हुआ तिकोना क्षेत्र बन जाता है जिसे पेपीले कहते हैं। इसका मुख्य कारण सफेद रक्त कोशिकाओं का जमाव, बैक्टीरिया का संक्रमण और प्लॉक हो सकता है। जिंजिवाइटिस से बचने के लिए जरूरी है कि मुंह की साफ-सफाई का खास ख्याल रखा जाए।
पायरिया
अगर ब्रश करने या खाना खाने के बाद मसूड़ों से खून बहता है तो यह पायरिया के लक्षण हैं। इसमें मसूड़ों के ऊतक सड़कर पीले पड़ने लगते हैं। इसका मुख्य कारण दांतों की ठीक से सफाई न करना है। गंदगी की वजह से दांतों के आसपास और मसूड़ों में बैक्टीरिया पनपने लगते हैं। पायरिया से बचने के लिए जरूरी है कि मुंह की सफाई का विशेष ध्यान रखा जाए। कुछ भी खाने के बाद ब्रश करने की आदत डाल लीजिए।
पेरियोडोंटाइटिस
यदि समय रहते जिन्जिवाइटिस का उपचार नहीं किया जाता है तो यह गंभीर रूप लेकर पेरियोडोंटाइटिस में बदल जाती है। पेरियोडोंटाइटिस से पीड़ित व्यक्ति में मसूड़ों की अंदरूनी सतह और हड्डियां दांतों से दूर हो जाती हैं और दांतों के बीच ज्यादा गैप बन जाते हैं। दांतों और मसूड़ों के बीच स्थित इस छोटी-सी जगह में गंदगी इकट्ठी होने लगती है, जिससे मसूड़ों और दांतों में संक्रमण फैल जाता है। यदि ठीक से उपचार न किया जाए तो दांतों के चारों ओर मौजूद ऊतक नष्ट होने लगते हैं और दांत गिरने लगते हैं।
मसूड़ों की बीमारी का सबसे प्रमुख कारण प्लॉक होता है। इसके अलावा कई बीमारियां जैसे कैंसर, एड्स और डायबिटीज मसूड़ों पर संक्रमण की आशंका बढ़ा देते हैं। धूम्रपान भी मसूड़ों पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। वैसे मुंह की साफ-सफाई का ख्याल न रखना मसूड़ों की समस्याओं का सबसे प्रमुख कारण है।
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