3 हफ्ते से ज्यादा खांसी हो रही हैं तो न करें नजरअंदाज, फेफड़े के कैंसर की हो सकती है शुरुआत

lung cancer: जिन लोगों की उम्र 40 या उससे ज्यादा है और वे 15 साल या उससे अधिक समय से धूम्रपान कर रहे हैं उन लोगों को फेफड़ों के कैंसर (lung cancer) का जोखिम ज्यादा होता है।  
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3 हफ्ते से ज्यादा खांसी हो रही हैं तो न करें नजरअंदाज, फेफड़े के कैंसर की हो सकती है शुरुआत

पर्यावरण में बदलाव और बढ़ते प्रदूषण स्तर से फेफड़े हमारा शरीर का सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाला अंग है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि डॉक्टरों के क्लीनिक में खांसी की शिकायत लेकर आने वाले लोगों की संख्या ज्यादा होती है, जो कि इसका एक आम लक्षण है। एलर्जी, अस्थमा, सीओपीडी, सीने में संक्रमण, निमोनिया खांसी के पीछे सबसे आम कारण होता है। लेकिन कुछ मामलों में हम खांसी को फेफड़ों के कैंसर (lung cancer) के रूप में भी देखते हैं। जिन लोगों की उम्र 40 या उससे ज्यादा है और वे 15 साल या उससे अधिक समय से धूम्रपान कर रहे हैं उन लोगों को फेफड़ों के कैंसर (lung cancer) का जोखिम ज्यादा होता है। 

वायु प्रदूषण सबसे बड़ा कारक

हालांकि हमेशा ऐसा नहीं होता क्योंकि धूम्रपान नहीं करने वाले और कम उम्र के युवा भी फेफड़े के कैंसर (lung cancer) का शिकार हो रहे हैं। 2013 में इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर द्वारा कैंसर के लिए बाहरी वायु प्रदूषण को एक कारण करार दिया गया था। धूम्रपान और मोटापे जैसे अन्य जोखिम कारकों की तुलना में यह लोगों को अधिक प्रभावित करता है क्योंकि वायु प्रदूषण सभी को प्रभावित करता है।

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पीएम2.5 का स्तर कम रखना बहुत जरूरी

शोध में बताया गया कि सूक्ष्म कण, जिन्हें हम पीएम यानी पार्टिकुलेट मैटर के नाम से भी जानते हैं वह वायु प्रदूषण का एक अहम हिस्सा होते हैं। वहीं प्रदूषण में पीएम 2.5 का स्तर हमारे फेफड़ों को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। हवा में पीएम2.5 का बढ़ता स्तर फेफड़ों के कैंसर के खतरे को बढ़ा देता है। हालांकि खांसी जैसे अन्य लक्षण भी कभी-कभार फेफड़ों के कैंसर का संकेत हो सकते हैं।

फेफड़ों के कैंसर के अन्य संकेत

  • खांसी, जो कम होने का नाम नहीं ले रही।
  • थोड़ा सा काम करने या मेहनत करने के बाद सांस लेने में तकलीफ।
  • थूक में खून आना।
  • वजन कम होना और भूख कम लगना।
  • आवाज में भारीपन।
  • थका हुआ महसूस करना।
  • छाती और कंधों में दर्द।

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कैंसर का निदान

कैंसर का निदान करने के लिए जरूरी है इसका शुरुआत में ही पता लगाना। फेफड़ों के कैंसर का शुरुआती चरण में उपचार किया जा सकता है लेकिन एडवांस स्टेज नें पहुंचने के बाद इसका उपचार नहीं किया जा सकता। अगर आपको तीन सप्ताह से ज्यादा खांसी है तो आपके लिए बहुत जरूरी है कि आप डॉक्टर से बात करें। शुरुआत में सीने का एक्स-रे बहुत ही अहम भूमिका निभाता है और यह कैंसर का पता लगाने का सबसे जूरूरी टूल है। कैंसर की स्टेज से आपको पता चलता है कि यह कितना बड़ा है और कहां तक फैल गया है। स्टेज को पहचान कर यह तय करने में मदद मिल सकती है कि रोगी को किस उपचार की आवश्यकता है।

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