
चक्कर आने की समस्या को हल्के में ना लें यह डायबिटीज का संकेत हो सकता है। क्योंकि अगर आपको डायबिटीज है, तो इस स्थिति में आपकी पेनक्रियाज ग्रंथि सही प्रकार से काम नहीं करती।
डायबिटीज वह मेडिकल स्थिति है जिसमें पेनक्रियाज की इन्सुलिन पैदा करने की क्षमता पर नकारात्मक असर पड़ता है। यह वह हार्मोन होता है, जो रक्त में ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित रखता है। इन्सुलिन की पर्याप्त मात्रा न होने पर, डायबिटीज काफी तेजी से बढ़ सकता है।
जब रक्त में शर्करा की मात्रा बढ़ती है, तो व्यक्ति को कई लक्षण नजर आते हैं। चक्कर आना भी इनमें से एक है। इसके अलावा अधिक प्यास लगना, भूख बढ़ जाना, थकान और सुस्ती का अहसास भी होता रहता है। डायबिटीज का असर आंखों पर भी होता है और यह आंखों की रक्त कोशिकाओं पर बेहद गहरा प्रभाव डालता है। इसकी वजह से नजर तो धुंधली होती ही है साथ ही चक्कर भी आने लगते हैं। साथ ही रक्त में शर्करा की अधिक मात्रा का असर दिल की कार्यक्षमता पर भी पड़ता है। दिल के आसपास इससे क्लॉट जमा हो जाते हैं, जिससे उसे पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिलती और जिसकी वजह से भी चक्कर आने लगते हैं।
चक्कर आना और रक्त में शर्करा की मात्रा
इन्सुलिन वह हार्मोन है जो रक्त में शर्करा की मात्रा को नियंत्रित करता है। यह कोशिकाओं से ग्लूकोज अवशोषित करने का काम करता है। अगर आपको डायबिटीज है, तो इस स्थिति में आपकी पेनक्रियाज ग्रंथि सही प्रकार से काम नहीं करती। इसकी वजह से रक्त में ग्लूकोज की मात्रा काफी बढ़ जाती है। मेडिकल भाषा में इस परिस्थिति को हायपरग्लाईसीमिया (hyperglycaemia) कहा जाता है। यह बात भी ध्यान देने योग्य है कि डायबिटीज के मरीजों के रक्त में हमेशा शुगर की उच्च मात्रा नहीं होती। कई बार उनके रक्त में शर्करा की मात्रा कम हो जाती है। इस परिस्थिति को हायपोग्लाइसीमिया (hypoglycaemia) कहते हैं।
चक्कर दोनों परिस्थिति के लोगों को आते हैं। कई बार रक्त में शर्करा की मात्रा का अधिक या कम हो जाना आपको कई तरह की परेशानियां दे सकता है। अगर आप काफी देर तक बैठने के बाद खड़े हों तो आपको इस परिस्थिति का सामना करना पड़ता है।
चक्कर से कैसे बचा जाए
- डायबिटीज की मात्रा अधिक या कम होने पर चक्कर आने लगते हैं। हम जानते हैं कि किसी भी बीमारी का इलाज करने से बेहतर है कि उसे होने ही न दिया जाए। तो इसलिए हम आपको बता रहे हैं कुछ ऐसे उपाय जिन्हें अपनाकर आप चक्कर से बच सकते हैं।
- अपने रक्त में शर्करा की मात्रा की नियमित जांच करवायें। ऐसा करने से आप किसी भी गम्भीर परिस्थिति के लिए स्वयं को पहले ही तैयार कर सकते हैं।
- व्यायाम को अपनी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बनाइये। रोजाना महज 30 मिनट की तेज चाल भी आपके शरीर से अतिरिक्त कैलोरी को बर्न करती है, जिससे आपका शुगर स्तर सामान्य रहता है।
- अपने आहार पर पूरा ध्यान दें। एक संतुलित और हाई-फाइबर डायट प्लान अपनाइए। अपने आहार में सभी जरूरी पोषक तत्व शामिल करें। फाइबर को अपने आहार का जरूरी हिस्सा बनाइए। कम और अधिक खाना भी आपके शरीर के शुगर लेवल पर विपरीत प्रभाव डाल सकता है।
- दवायें समय से लें। केवल डॉक्टर द्वारा लिखित दवायें ही खायें। किसी दवाई का अधिक इस्तेमाल कई बार आपके रक्त से शुगर की मात्रा अचानक कम कर देता है।
- अधिक नमक, चीनी और कॉर्बोहाइड्रेट वाले भोजन का सेवन न करें। यहां तक कि एक कप कॉफी और एक कोला आपके शरीर में शर्करा की मात्रा को असामान्य कर सकता है।
- अपनी जीवनशैली में जरूरी बदलाव करें। छोटे-छोटे बदलाव आपकी जिंदगी को बदल सकते हैं। जैसे आप कॉफी की जगह ग्रीन टी ले सकते हैं। लिफ्ट की जगह सीढि़यों का इस्तेमाल कर सकते हैं। जिम, योग या डांस क्लास भी आपके लिए काफी मददगार साबित हो सकती हैं।
चक्कर आने को हल्के में न लें। यह आपको संभल जाने का इशारा देता है। जब भी आपको चक्कर आने का अहसास हो तो फौरन अपने डॉक्टर से संपर्क करें यह आपके शरीर में ग्लूकोज की मात्रा का कम अथवा अधिक होने का इशारा हो सकता है।
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