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सिजेरियन डिलीवरी की जरूरत किन स्थितियों में पड़ती है? डॉक्टर से जानें

C-Section: सिजेरियन डिलीवरी की जरूरत उन महिलाओं को पड़ती है, जिनकी पहली डिलीवरी सी-सेक्शन से हुई होती है और जिन्हें मल्टीबर्थ का जोखिम होता है।
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सिजेरियन डिलीवरी की जरूरत किन स्थितियों में पड़ती है? डॉक्टर से जानें


Cesarean Delivery Kyu Hoti Hai: एक महिला के लिए प्रेग्नेंसी का सफर जितना चुनौतीपूर्ण होता है, उसके मन में डिलीवरी को लेकर भी उतनी ही बेचैनी होती है। असल में, डिलीवरी की प्रक्रिया कई महिलाओं के लिए बहुत ही ज्यादा कष्टकारी होती है। कई बार परिस्थितियां ऐसी भी हो जाती हैं कि महिलाओं की नॉर्मल डिलीवरी नहीं हो पाती है। ऐसे में सिजेरियन डिलीवरी की मदद ली जाती है। हालांकि, ऐसा तभी किया जाता है कि कंडीशन बहुत सीरियस हो यानी प्रेग्नेंट महिला को नेचुरल डिलीवरी में कई सारी परेशानियां या जटिलताएं आ रही हैं। मगर सवाल है, ऐसी कौन-सी परिस्थितियां होती हैं, जिनकी वजह से सिजेरियल डिलीवरी की जरूरत पड़ती है। आइए, इस बारे में डॉक्टर से जानते हैं।

सिजेरियन डिलीवरी की जरूरत किन स्थितियों में पड़ती है?- Causes Of Cesarean Section In Hindi

Causes Of Cesarean Section In Hindi

मल्टीपल बर्थ

मल्टीपल बर्थ यानी एक से ज्यादा बच्चे होने पर अक्सर महिला को सिजेरियन डिलीवरी करवानी पड़ती है। दरअसल, नेचुरल डिलीवरी के दौरान महिला को काफी प्रेशर लगाना पड़ता है। अगर वह डिलीवरी से पहले थक जाती है, तो यह बच्चे और मां के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। इसीलिए, डॉक्टर्स अक्सर मल्टीपल बर्थ में सिजेरियन डिलीवरी को प्राथमिकता देते हैं। इससे जानमाल का खतरा कम होता है और बच्चों का सर्वाइवल दर भी बढ़ता है।

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गर्भ में बच्चे की पोजिशन सही न होना

Causes Of Cesarean Section In Hindi

अगर डिलीवरी के दौरान गर्भ में बच्चे की पोजिशन सही नहीं है, तो यह भी सिजेरियन डिलीवरी का कारण हो सकता है। दरअसल, जब बच्चा गलत पोजिशन में होता है या गर्भ में उल्टा होता है, तो ऐसे में बच्चे के निकलने में बाधाएं आ सकती हैं। उसके गले में गर्भनाल फंस सकती है। इस तरह की सिचुएशन में डिलीवरी के पहले ही बच्चे की मृत्यु हो सकती है। ऐसा न हो, इसीलिए डॉक्टर सिजेरियरन करते हैं। हां, इस संबंध में महिला और उसके परिवार की सहमति लेना आवश्यक होता है।

बच्चे का हार्ट रेट अनियमित होना

डिलीवरी के समय बच्चे और मां का हार्ट रेट सामान्य होना चाहिए। अगर किसी वजह से डिलीवरी के दौरान महिला या बच्चे का हार्ट रेट अनियमित हो जाता है, तो यह जानलेवा साबित हो सकता है। असल में, जब हार्ट रेट बढ़ता-घटता है, तो इससे पता चलता है कि बच्चे के शरीर में पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं जा रहा है। यह कंडीशन बिल्कुल सही नहीं है। आपको बता दें कि गर्भ में बच्चे की हार्ट रेट 120 से 160 प्रति मिनट होनी चाहिए। अगर लगातार 3 से 5 मिनट तक बच्चे की हार्ट 100 से कम प्रति मिनट होती है, तो यह खतरे की ओर इशारा करता है। इसका मतलब है कि बच्चे का अंदर दम घुट रहा है और जल्द से जल्दी डिलीवरी करवाने की जरूरत है, वरना बच्चे का ब्रेन हैमरेज हो सकता है। इस तरह की स्थिति से बचने के लिए सिजेरियन डिलीवरी करवाई जाती है।

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पहले सी-सेक्सशन हो चुका है

उन महिलाओं को अक्सर सिजेरियन डिलीवरी करवाने की सलाह दी जाती है, जिनकी पहली डिलीवरी सी-सेक्शन से हुई है। दरअसल, एक बार सी-सेक्शन होने के बाद दूसरी बार नेचुरल डिलीवरी की कोशिश करना रिस्की होता है। चूंकि पहली डिलीवरी सी-सेक्शन है, तो ऐसे में दूसरी डिलीवरी के दौरान बच्चे को निकालने के प्रेशर बनाते समय गर्भाशय फट सकता है। यह बच्चे और महिला दोनों के लिए जानलेवा हो सकता है। इसलिए, डॉक्टर्स इस तरह का जोखिम नहीं उठाते हैं और गर्भवती महिला को दूसरी डिलीवरी के लिए सी-सेक्शन की सलाह देते हैं।

All Image Credit: Freepik

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