शीतलपेय से सेहत को होने वाले नुकसान के बारे में आपने सुना होगा। एक नई शोध में यह बात सामने आई है कि शीतलपेयों का अधिक सेवन बच्चों में आक्रामकता, ध्यान केंद्रित करने में समस्या और समाज से अलग रहने की प्रवृत्ति को बढ़ावा देता है।
कोलंबिया यूनिवर्सिटी के मेलमैन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ, यूनिवर्सिटी आफ वेरमोंट तथा हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ ने इस संबंध में एक अध्ययन किया और पांच साल तक के करीब तीन हजार बच्चों की खानपान की आदतों की तुलनात्मक दृष्टि से जानकारी हासिल की।
इस अध्ययन में अमेरिका के 20 बड़े शहरों में माताओं से उनके बच्चों के शीतलपेय पीने की आदतों के बारे में पूछा गया और उसी के आधार पर बाल व्यवहार सूची तैयार की गई। अध्ययनकर्ताओं ने पाया कि करीब 43 फीसदी बच्चे प्रतिदिन कम से कम एक गिलास शीतलपेय पीते हैं। वहीं चार फीसदी बच्चे हर रोज चार गिलास या इससे अधिक शीतलपेय का सेवन करते हैं।
अध्ययन के बाद इस नतीजे पर पहुंचा गया कि शीतलपेयों में पाया जाने वाला सोडा बच्चों में आक्रामकता, विरक्ति और ध्यान केंद्रित करने में परेशानी जैसी समस्याएं पैदा करता है। साथ ही यह भी देखा गया कि इसके अधिक सेवन से भूख मर जाती है और शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो जाती हैं।
यह देखा गया कि जो बच्चे दिनभर में चार या इससे अधिक गिलास शीतलपेय पीते हैं वे अन्य बच्चों के मुकाबले चीजों को अधिक तोड़ते-फोड़ते हैं। ये बच्चे अन्य बच्चों के मुकाबले ज्यादा लड़ाई झगड़ा करने के साथ ही लोगों पर या अपने हम उम्र बच्चों पर हमला भी कर देते हैं। यह अध्ययन रिपोर्ट द जर्नल आफ पिडियाट्रिक्स में प्रकाशित हो चुका है।
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