कोरोना के इलाज के बाद बच्चे की भूरी आंखें अचानक हो गईं नीली, डॉक्टर्स भी हैं हैरान

बच्चे की मां के मुताबिक उसने इलाज के 18 घंटे बाद बच्चे की आंखों के रंग में बदलाव देखा। बच्चे की आंखें पहले हल्के भूरे रंग की थी, लेकिन इलाज के बाद आंखों का रंग अचानक से नीला पड़ गया था।
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कोरोना के इलाज के बाद बच्चे की भूरी आंखें अचानक हो गईं नीली, डॉक्टर्स भी हैं हैरान

कोरोना का इलाज कराने के बाद लोगों में बहुत से बदलाव देखे गए हैं। ऐसे में थाइलैंड से ऐसा मामला सामने आया है, जहां कोरोना के इलाज के बाद 6 महीने के बच्चे की डार्क भूरी आखें अचानक नीली पड़ गईं। थाइलैंड का यह मामला देख डॉक्टर्स भी हैरान हो गए थे। आंखों में परिवर्तन आने से पहले बच्चे में कोविड के लक्षण दिखाई दिए थे। 

फेविपिराविर दवाई दी गई

बच्चे को कोविड होने के बाद खांसी और बुखार जैसे लक्षण देखने को मिले थे, जिसके बाद उसे 3 दिन तक फेविपिराविर दवाई दी गई। हालांकि, यह दवा देने के बाद बच्चे की सेहत में सुधार आ गया। बच्चे की आंखों में होने वाले बदलाव के बाद डॉक्टरों ने इस दवा को बंद कर दिया। बच्चे की मां के मुताबिक उसने इलाज के 18 घंटे बाद बच्चे की आंखों के रंग में बदलाव देखा। बच्चे की आंखें पहले हल्के भूरे रंग की थी, लेकिन इलाज के बाद आंखों का रंग अचानक से नीला पड़ गया था। आमतौर पर कोविड के इलाज के बाद लोगों के सीने में जलन, हार्ट से जुड़ी समस्याएं या फिर लंबे समय तक सिरदर्द आदि जैसी समस्याएं देखी जाती हैं।

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किस काम आती है फेविपिराविर? 

दरअसल, फेविपिराविर कोरोना के इलाज का पहला ड्रग उपचार माना जाता है। आमतौर पर यह इन्फ्लूएंजा के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाती है। हालांकि, प्रेग्नेंट महिलाओं या फिर कुछ गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए यह कई तरीकों से नुकसानदायक भी साबित हो सकती है। यह इंफ्लुएंजा वायरस के प्रकोप या फिर जोखिम को कम करने में काफी उपयोगी मानी जाती है। सरकार की गाइडलाइन्स के मुताबिक यह दवा केवल जरूरतमंद रोगियों को ही दी जानी चाहिए। कोविड के बाद से हेल्थ केयर प्रोवाइडर्स इस दवा का उपयोग कोरोनो के लक्षणों को कम करने के लिए करते हैं। चिकित्सक की सलाह के बिना इसका इस्तेमाल करना सेहत को कई तरीकों से नुकसान भी पहुंचा सकता है।

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