झुककर बैठने और लेटकर पढ़ने से हो सकता है सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस, जानें बचाव और उपचार

 कुछ सुझावों पर अमल कर इस समस्या से बचा जा सकता है...सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस नामक रोग में गर्दन के भाग की रीढ़ की हड्डी की वर्टिब्रा प्रभावित होती है।  
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झुककर बैठने और लेटकर पढ़ने से हो सकता है सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस, जानें बचाव और उपचार

रीढ़ की हड्डी को सही पोस्चर्स में न रखने और अन्य कारणों से सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस की समस्या बढ़ती जा रही है। कुछ सुझावों पर अमल कर इस समस्या से बचा जा सकता है...सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस नामक रोग में गर्दन के भाग की रीढ़ की हड्डी की वर्टिब्रा प्रभावित होती है।  


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जानें लक्षणों को 

  • गर्दन में दर्द और जकड़न। 
  • गर्दन का कम घूमना। 
  • चक्कर आना। 
  • कंधे में दर्द, जकड़न और खिंचाव महसूस करना। 
  • उंगलियों और हथेलियों में सुन्नपन। 

क्या हैं कारण 

  • सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस के मर्ज से इन दिनों कम उम्र के लोग भी प्रभावित हो रहे हैं। इस रोग के कुछ प्रमुख कारण ये हैं... 
  • अनियमित जीवन-शैली। खड़े होते और बैठते वक्त वक्त रीढ़ की हड्डी को सीधा न रखना। 
  • टेढ़े-मेढे़ होकर सोना। 
  • हमेशा लचकदार गद्दों पर सोना, आरामदेह सोफों और गद्देदार कुर्सी पर कई घंटों तक गर्दन झुकाकर बैठना। 
  • लेटकर टेलीविजन देखना। 
  • बहुत झुककर बैठकर पढ़ना या फिर लेटकर पढ़ना। 
  • गलत ढंग से शारीरिक शक्ति से अधिक बोझ उठाना, व्यायाम न करना और चिंताग्रस्त जीवन जीना। इसके अलावा शरीर में विटामिन डी की कमी होना। 
  • दोपहिया वाहन चलाते वक्त एक तरफ गर्दन झुकाकर सेल फोन पर बात करना। 

ऐसे करें रोकथाम 

अगर उपर्युक्त कारणों को दूर कर दिया जाए, तो सवाईकल स्पॉन्डिलोसिस की रोकथाम की जा सकती है। जैसे खड़े होते और बैठते वक्त रीढ़ की हड्डी को सीधा रखना आदि। रोकथाम के लिए इन सुझावों पर भी अमल करें...  

  • नियमित व्यायाम करना। 
  • कुर्सी और सोफे पर बैठते समय पीठ, गर्दन और कमर को सीधा रखना। 
  • अत्यधिक मुलायम गद्दों से परहेज करें। 
  • पढ़ते समय गर्दन आगे न झुकाएं। 
  • देर तक गाड़ी चलाने की स्थिति में पीठ को सहारा देने के लिए तकिया लगाएं। 
  • कुर्सी पर लगातार नहीं बैठें। 

सर्वाइकल माईइलोपैथी 

जब सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस का मर्ज काफी बढ़ जाता है, तो इस स्थिति में यह  गर्दन के भाग में स्पाइनल  कॉर्ड को दबाता है। इसके परिणामस्वरूप पैरों की नसें प्रभावित होती हैं। इससे हाथ और पैर में कमजोरी आ जाती है। हाथों से लोग शर्ट का बटन बंद नहींकर पाते, दाढ़ी नहीं बना पाते, खाने का निवाला नहीं तोड़ पाते और उंगलियों से चीजें छूटने लगती हैं। इसके अलावा पैर में लड़खड़ाहट शुरू हो जाती है। डॉक्टर के परामर्श से एक्सरे और एमआरआई कराना पड़ता है।  

इलाज के बारे में 

सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस की शुरुआती स्थिति में कुछ दवाओं से आराम मिल सकता है। इस स्थिति में फिजियोथेरेपी का भी योगदान है। कैल्शियम और विटामिन-डी के सेवन से भी रिकवरी जल्द होती है, लेकिन जब मरीज को उपर्युक्त विधियों से राहत नहीं मिलती, तब अंतिम इलाज के तौर पर सर्जरी का सहारा लिया जाता है।    

सर्वाइकल फ्यूजन सर्जरी

एमआरआई जांच से अगर यह पता चलता है कि स्पाइनल कॉर्ड पर दबाव है, तो इसका शीघ्र ऑपरेशन कर नस खोली जाती है। ऑपरेशन में देरी होने की वजह से परेशानी बढ़ सकती है। गर्दन पर नस का दबाव खोलने वाला यह ऑपरेशन एक इंच के छोटे चीरे से करते हैं। नस खोलने के बाद टाइटेनियम की प्लेट लगाकर उस भाग को मजबूत बना देते हैं। यह ऑपरेशन पूरी तरह सुरक्षित और सफल है। 

डॉ.अंकुर गुप्ता स्पाइन सर्जन 

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