मस्तिष्क में सूजन की समस्या को मेडिकल की भाषा में सेरेब्रल एडिमा (cerebral edema) कहते हैं। नोएडा के भावा न्यूरोसेंटर के सीनियर कंसल्टेंट न्यूरोलॉजिस्ट और डायरेक्टर डॉक्टर अभिनव गुप्ता का कहना है कि यह समस्या किसी भी व्यक्ति को तब होती है, जब उसके मस्तिश्क के चारों ओर द्रव बनने लगता है। इस द्रव के कारण दिमाग पर प्रेशर पड़ने लगता है। इस प्रेशर को इंट्राक्रैनियल प्रेशर कहते हैं। जिसकी वजह से मस्तिष्क में सूजन आने लगती है। एडिमा एक मेडिकल कंडीशन है, जिसे साधारण भाषा में सूजन कहते हैं। एडिमा सिर्फ मस्तिष्क में द्रव इकट्ठा होने की परेशानी नहीं है, बल्कि यह समस्या शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है। लेकिन अगर यह समस्या हमारे मस्तिष्क में होती है, तो यह काफी गंभीर रूप धारण कर लेती है।
डॉक्टर अभिनव गुप्ता का कहना है कि मस्तिष्क में द्रव भरने की वजह से मस्तिष्क तक खून की आपूर्ति कम होने (What is cerebral edema) लगती है, जिसकी वजह से हमारे दिमाग में सही से ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती है। जिसके कारण हमारे कई तरह के कार्य प्रभावित होते हैं। इसके अलावा मस्तिष्क में ऑक्सीजन की कमी के कारण मस्तिष्क की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचने लगता है। ऐसी कुछ गंभीर परिस्थिति में व्यक्ति की जान भी जा सकती है।
मस्तिष्क में सूजन के कारण (Cerebral Edema Causes)
दिमाग या मस्तिष्क में सूजन के कई कारण हो सकते हैं। चलिए जानते हैं इस बारे में-
स्ट्रोक
इस्केमिक स्ट्रोक के कुछ मामलों में ब्रेन में सूजन की समस्या देखी गई है। किसी भी व्यक्ति को इस्केमिक स्ट्रोक तब होता है, जब उसके मस्तिष्क के आसपास खून का थक्का बनने लगता है। इस स्थिति में दिमाग में ऑक्सीजन की आपूर्ति कम या रूक जाती है। ऐसे में मस्तिष्क की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचता है। ऐसी स्थिति में ब्रेन में सूजन हो जाती है।
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ट्यूमर होना
ब्रेन ट्यूमर से ग्रसित मरीजों के ब्रेन में सूजन की शिकायत देखी गई है। दरअसल, ब्रेन में ट्यूमर होने से मस्तिष्क पर दबाव पड़ने लगता है, जिसके कारण मस्तिष्क के आसपास सूजन की शिकायत हो सकती है।
संक्रमण
मस्तिष्क में किसी भी तरह के बैक्टीरिया या फिर संक्रमण फैलने के कारण भी सूजन हो सकता है। खासतौर पर यह समस्या तब बढ़ जाती है, जब इसका सही समय पर इलाज न किया जाए।
ट्रॉमेटिक ब्रेन इंजरी होना
किसी भी चीज से गिरने या फिर टकराने की वजह से मस्तिष्क में सूजन आ सकती है। गंभीर स्थिति में खोपड़ी में दरार यानि क्रैक भी हो सकती है। जिसकी वजह से खोपड़ी में सूक्ष्म टुकड़े एकत्रित होने लगते हैं। इस स्थिति में मस्तिष्क में ब्लड और ऑक्सीजन की आपूर्ति रूक जाती है, जिससे मस्तिष्क की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचने लगता है। इसके अलावा कई अन्य परिस्थितियां हैं, जिसकी वजह से आपके मस्तिष्क में सूजन हो सकती है। जैसे-
- वायरल इंफेक्शन
- कार्बन मोनो ऑक्साइड के संपर्क में आना
- जहरीले केमिकल्स के संपर्क में आना।
- दवाओं का अत्यधिक इस्तेमाल करना
मस्तिष्क में सूजन के लक्षण (Cerebral Edema Symptoms)
- बेहोश होना।
- सिर चकराना
- सिर दर्द होना।
- उल्टी होना।
- जी मिचलाना।
- याददाश्त कमजोर होना।
- दौरे पड़ना।
- कम दिखाई देना।
- गर्दन में दर्द और अकड़न होना।
- चलने-फिरने में कठिनाई होना।
- बोलने में दिक्कत होना।
ये सभी लक्षण मरीजों में उनकी स्थिति के आधार पर दिख सकते हैं। अगर आपको अपने शरीर में इन में से किसी भी तरह के लक्षण दिखाई दे, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
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मस्तिष्क में सूजन की जांच (Cerebral Edema Diagnosis)
डॉक्टर कहते हैं कि मस्तिष्क में सूजन का पता लगाना काफी मुश्किलभरा काम है। लक्षणों के आधार पर आप इस बीमारी का पता नहीं लगा सकते हैं। इसके लिए आपको सही टेस्टिंग की आवश्यकता होती है। जैसे-
- न्यूरोलॉजितकल्स एग्जामिनेशन
- सिर और गर्दन की जांच
- एमआरआई
- सूजन के कारण कुछ ब्लड टेस्ट
- लंबर पंक्चर टेस्ट
- सूजन का सही स्थान पता करने के लिए सीटी स्कैन
मस्तिष्क में सूजन का इलाज (Cerebral Edema Treatment)
डॉक्टर अभिनव बताते हैं कि मस्तिष्क में सूजन को कम करने के लिए तुरंत इलाज की आवश्यकता होती है। अगर आप सही समय पर इलाज नहीं करवाते हैं, तो मरीज की जान भी जा सकती है। इन इलाज से मस्तिष्क में ऑक्सीजन और ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर करने की कोशिश की जाती है।
दवाइयां
डॉक्टर गुप्ता कहते हैं शुरुआती दौर में मरीजों को दवा देकर मस्तिष्क के सूजन को कम करने की कोशिश की जाती है। अगर मस्तिष्क में खून का थक्का जम गया है, तो ऐसी स्थिति में मरीज को खून पतला करने की दवाई दी जाती है। डॉक्टर द्वारा दिए गए दिशा-निर्देश से दवाइयों का सेवन करना जरूरी रहता है। वरना आपकी समस्या बढ़ सकती है।
सर्जरी
मरीज की स्थिति अगर गंभीर होती है, तो ऐसी परिस्थिति में डॉक्टर सर्जरी का सहारा लेते हैं। इसमें दिमाग के उस हिस्से को ठीक करने की कोशिश की जाती है, जिसमें सूजन की वजह से कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा है। इसके अलावा मस्तिष्क में मौजूद तरल पदार्थ को बाहर निकाला जाता है।
ओस्मोथेरेपी
दवाई और सर्जरी के अलावा डॉक्टर थेरेपी का सहारा लेकर मस्तिष्क में ऑक्सीजन और ब्लड प्रवाह को बेहतर करने की कोशिश करते हैं। ओस्मोथेरेपी भी उन्हीं थेरेपी में से एक है। इस थेरेपी में मस्तिष्क के ब्लड प्रवाह को बेहतर करने की कोशिश की जाती है। साथ ही इससे शरीर से अतिरिक्त तरल पदार्थ को बाहर निकालने की कोशिश की जाती है।
हाइपोथर्मिया
इस थेरेपी में मरीज के शरीर का तापमान कम किया जाता है, जिससे मस्तिष्क के सूजन को कम किया जा सके।
मस्तिष्क में किसी भी तरह की समस्या महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। क्योंकि मस्तिष्क में छोटी से छोटी समस्या गंभीर रूप धारण कर सकती है। अगर आपको ज्यादा थकान या फिर उल्टी जैसी समस्या महसूस हो तो उसे नजरअंदाज करने से बचें। किसी भी तरह की न्यूरोलॉजी समस्या होने पर किसी अच्छे न्यूरोलॉजिस्ट से इलाज कराएं। ताकि आगे होने वाली गंभीर परेशानियों से बचा जा सके।
Image Credit - Pixabay
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